बरेली: होटल वालों का आरोप... हजारों का बिल लाखों में पहुंच गया

बरेली: होटल वालों का आरोप... हजारों का बिल लाखों में पहुंच गया

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बरेली, अमृत विचार। जीआईएस सर्वे के आधार पर लागू हाउस टैक्स पर भारी विरोध के बाद नगर निगम का टैक्स विभाग बैकफुट पर आ गया है। टैक्स कलेक्शन की खिड़की शुक्रवार को भी बंद रही जिस कारण बिल लेकर पहुंचे लोगों को निराश होकर लौटना पड़ा। 

इस बीच होटल वेलफेयर एसोसिएशन ने भी हजारों का बिल लाखों में पहुंच जाने का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया है और मामले को मुख्यमंत्री दरबार में ले जाने की चेतावनी दी है। उधर, शनिवार को व्यापारियों की ओर से दामोदर स्वरूप पार्क में अनाप-शनाप हाउस टैक्स लागू करने के विरोध में धरना दिया जाएगा।

जीआईएस सर्वे नगर निगम के गले का फांस बन गया है। नगर निगम क्षेत्र में 82,897 भवनों पर पहली बार टैक्स लागू किया है, इसके अलावा 1.45 लाख पुराने करदाता हैं। नए निर्धारण के बाद नए-पुराने दोनों करदाताओं को समस्या झेलनी पड़ रही है। शुक्रवार को होटल वेलफेयर एसोसिएशन ने नगर आयुक्त को ज्ञापन देकर टैक्स निर्धारण में सुधार की मांग की। 

कहा, जीआईए सर्वे में जीपीएस का उपयोग होने से होटल मालिकों को बड़ी चपत लग रही है। अध्यक्ष अनुराग सक्सेना की अगुवाई में पहुंचे होटल मालिकों ने कहा कि अगर समस्या का समाधान न हुआ तो वे मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में समस्या रखेंगे। नगर आयुक्त ने उन्हें भौतिक सत्यापन कराने का आश्वासन दिया है।

होटल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि शहर में करीब 150 होटल है, इसमें कई ऐसे है, जहां लोगों ने मकान के कुछ हिस्से में होटल खोल रखा है। बाकी हिस्सा आवासीय है लेकिन पूरी इमारत पर कॉमर्शियल टैक्स लगा दिया गया है। हजारों में आने वाला बिल लाखों में पहुंच गया है। सचिव शुजा खान ने बताया कि प्रापर्टी टैक्स को तीन गुना कर दिया गया है। जिसका 1.50 लाख का बिल आता था, उसे एक शून्य बढ़ जाने से 15 लाख का बिल आया है। ज्ञापन देने वालों में श्वेतांग अस्थाना, सतीश अग्रवाल आदि भी शामिल थे।

पार्षद भी परेशान... ऐसे ही रहा तो चुनाव में लोग वोट नहीं देंगे
हाउस टैक्स बिलों में भारी गड़बड़ियों से ज्यादातर पार्षद भी परेशान हैं। नए पार्षदों में बेचैनी ज्यादा है, वे पहली बार चुनाव जीतने की बात कहते हुए मेयर से शिकायत कर रहे है कि जल्द लोगों को राहत न मिली तो वे दोबारा वोट नहीं देंगे। जीआईएस सर्वे पर पांच करोड़ से ज्यादा का बजट और चार साल से ज्यादा समय लगने को लेकर भी नगर निगम का नेतृत्व करने वालों पर ताने कसे जा रहे हैं। उधर, टैक्स विभाग सफाई दे रहा है कि इस समस्या का निदान स्थानीय स्तर पर संभव नहीं है।

मेयर बोले- मुख्यमंत्री को बता दी है यह समस्या
मेयर उमेश गौतम ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर जीआईएस सर्वे के बाद पैदा हुई समस्या के बारे में बताया है। शहर के विकास पर भी बात हुई है। टैक्स सुधार का काम चल रहा है। किसी दशा में किसी को गलत बिल नहीं भरना पड़ेगा। जीआईएस सर्वे शासन स्तर से कराया गया है।

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