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5 साल में प्रदेश के 3 संस्थानों को लगाया 394 करोड़ का चूना
390 करोड़ की पुलिस ने कराई रिकवरी, 725 करोड़ उड़ाने की थी साजिश,गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के 29 आरोपी किए गए गिरफ्तार
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यूपीडा, कोआपरेटिव बैंक के बाद एकेटीयू को जालसाजों ने बनाया निशाना
इंद्र भूषण दुबे, लखनऊ/अमृत विचार : यूं तो जालसाजों ने लाखों की संख्या में लोगों से विभिन्न तरीकों से करोड़ों रुपये हड़पे होंगे लेकिन बीते पांच सालों में उन्होंने तीन बड़े हाथ मारने का साजिश रची। इसमें यूपीडा, कोआपरेटिव बैंक और एकेटीयू से जालसाजों ने कुल 725 करोड़ हड़पने की साजिश रची। 394 करोड़ रुपये ठिकाने भी लगाए लेकिन पुलिस ने लगभग पूरी रिकवर करा दी। इसमें कुल कुल 29 आरोपी गिरफ्तार किए गए लेकिन 15 की तलाश अभी भी की जा रही है।
लखनऊ पुलिस, साइबर क्राइम थाने की टीम व एसटीएफ के अनुसार, पहला मामला वर्ष 2020 में सामने आया जब उत्तर प्रदेश राज्य मार्ग प्राधिकरण (यूपीडा) के खाते से जालसाजों ने 125 करोड़ रुपये उड़ा लिये। वहीं, अक्तूबर 2022 में हजरतगंज स्थित कोआपरेटिव बैंक मुख्यालय से 300 करोड़ रुपये उड़ाने की साजिश रची और 149 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर लिये। लिमिट तय होने के कारण 151 करोड़ जालसाज ट्रांसफर नहीं कर सके। इसके बाद जून 2024 में एकेटीयू के खाते में सेंध लगाते हुए जालसाजों ने 300 करोड़ हड़पने की साजिश रची। इसमें 120 करोड़ रुपये उड़ा भी लिए।
दिल्ली, लखनऊ, गुजरात और महाराष्ट्र के थे आरोपी
इन दोनों ने सचिवालय में तैनात रामराज व गिरोह के सदस्यों के साथ मिलकर रकम उड़ाने के लिए एक करोड़ रुपये खर्च किए थे। रकम की हेराफेरी के लिए मुंबई के तीन हैकरों की सेवाएं लीं। इस मामले में कुल 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह एकेटीयू के खाते से 120 करोड़ उड़ाने में गुजरात, महाराष्ट्र और यूपी के 7 जालसाज पकड़े गए। अभी चार गुजरात, पांच यूपी और चार महाराष्ट्र के जालसाज की तलाश की जा रही है।
49 माह में तीन बार हुई बैंक खातों में सेंधमारी
पुलिस की जांच में सामने आया कि 49 माह में राजधानी के बड़े संस्थानों के खातों में तीन बार सेंधमारी हो चुकी है। 26 मई 2020 को पीएनबी बैंक विभूतिखंड से 125 करोड़ रुपये उड़ा लिए गए। इसके 29 माह बाद आपरेटिव बैंक के खाते से 149 करोड़ निकाले गए। फिर 20 माह बाद जालसाजों ने एकेटीयू के खाते पर अटैक किया और 120 करोड़ की हेराफेरी की।
बैंक कर्मियों की मिलीभगत
साइबर क्राइम थाने के प्रभारी बृजेश यादव ने बताया कि अब के हुए हेराफेरी के मामलों में बैंक के कर्मचारी और अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई। यूपीडा में बैंक के अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत से 125 करोड़ का ड्राफ्ट जालसाजों को मिला। कोआपरेटिव बैंक के कर्मचारी व पूर्व प्रबंधक के सहयोग से 149 करोड़ रुपये उड़ाए गए। एकेटीयू के मामले में भी बैंक के मुख्य प्रबंधक, तीन सहायक प्रबंधक और एक बाबू की भूमिका सामने आई।
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