Exclusive: हर चौथी किशोरी पीसीओएस ग्रस्त, जानें...किस वजह से होती है यह बीमारी और क्या हैं इसके प्रमुख लक्षण?

Exclusive: हर चौथी किशोरी पीसीओएस ग्रस्त, जानें...किस वजह से होती है यह बीमारी और क्या हैं इसके प्रमुख लक्षण?

कानपुर , विकास कुमार। किशोरियों में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक सामान्य समस्या होती जा रही है, जिसकी गिरफ्त में हर चौथी किशोरी आ रही है। किशोरियों को इस समस्या से बचाने व बीमारी की रोकथाम के संबंध में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में शोध किया जाएगा ताकि इसका सटीक कारण स्पष्ट हो सके और किस दवा से यह कंट्रोल हो सकता है, इसपर शोध किया जाएगा।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की ओपीडी में पहुंचने वाली हर चौथी किशोरी पीसीओएस से ग्रस्त मिल रही है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. नीना गुप्ता ने बताया कि पहले यह समस्या 30 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में देखने को मिलती थी, लेकिन अब यह समस्या छोटी उम्र की लड़कियों को भी होने लगी है। 

पीसीओएस किशोरी में होने वाली एक ऐसी समस्या हैं, जिसमें ओवरी में सिस्ट यानी गांठ आ जाती है। हार्मोंस में गड़बड़ी इस बीमारी का मुख्य कारण है। कई बार यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है। इसके अलावा खराब जीवन शैली, व्यायाम की कमी, खान-पान की गलत आदतें भी इसका एक बड़ा कारण है। 

इसकी रोकथाम व खतरे को कम करने के लिए मायोइनिसिटॉल और डी चिरो मायोइनिसिटॉल दवा का क्या असर पड़ता है, इस पर शोध किया जाएगा। इस शोध में करीब सौ किशोरियों को शामिल किया जाएगा। इसमें जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की मेडिकल रिसर्च यूनिट सहयोग करेगी।

हार्मोन की स्थिति का भी चलेगा पता 

पीसीओएस ग्रस्त मरीज में हार्मोन असंतुलन हो जाता है। जब तक दवा चलती है, तब तक मरीज ठीक रहती है। इन दवायों का असर मरीज का क्या पड़ता है, इसे जांचने के लिए शोध किया जा रहा है। दवा देने से पहले मरीज की एफएसएचएलएच जांच की जाएगी, जिसमें मरीज के हार्मोन की स्थिति का पता लगाया जाएगा। तीन महीने तक दवा चलाकर हार्मोन संतुलित हुए हैं या नहीं यह परखा जाएगा। 

200 मरीजों पर हुए शोध से मिला है अच्छा परिणाम 

विभागाध्यक्ष प्रो. नीना गुप्ता ने बताया कि करीब दो साल पहले दो बार छोटे-छोटे सैंपल साइज लेकर पीसीओएस के संबंध में शोध किया गया है, जिसमें मरीजों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। हालांकि यह शोध अपने स्तर से किया गया था, जिसमे पहली बार में 45 हजार और दूसरी बार में 90 हजार रुपये खर्च हुए थे। शोध में सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद मेडिकल रिसर्च यूनिट भी सहयोग करने को राजी है।

पीसीओएस के मुख्य लक्षण 

- पीरियड्स का अनियमित होना
- वजन का बढ़ना 
- चेहरे व शरीर पर अत्यधिक बाल 
- अंडेदानी में छोटी-छोटी गांठे (सिस्ट) 
- त्वचा पर भूरे रंग के धब्बों का उभरना 
- चिड़चिड़ापन महसूस होना

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