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Kanpur: मेडिकल कॉलेज में हेपेटाइटिस बी व सी की होगी मुफ्त जांच, वायरल लोड का ट्रायल शुरू, मरीजों को मिलेगी राहत
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कानपुर, अमृत विचार। हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित मरीजों के वायरल लोड की जांच और इलाज जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क होगा। अब ऐसे मरीजों को जांच के लिए निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों में हजारों रुपये खर्च नहीं करने पड़ेंगे।
कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम का सेंटर बनाया गया है। यहां हेपेटाइटिस बी और सी के वायरल लोड का ट्रायल शुरू हो गया है। अगले माह की शुरुआत से जांच भी शुरू हो जाएगी।
निजी डायग्नोस्टिक सेंटर से जांच कराने में मरीज को 16 से 17 हजार खर्च करने पड़ते हैं। अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीएचसीपी) का सेंटर बन गया है, जिसके नोडल अधिकारी मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यट के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार हैं। सेंटर में हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड की जांच का ट्रायल शुरू हो गया है। जुलाई माह के शुरुआती सप्ताह में वायरल लोड की जांच शुरू हो जाएगी।
220 रोगियों को नहीं पता, कैसे हो गए संक्रमित
विशेषज्ञों के मुताबिक हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण लोगों के शरीर में हाईजीन के प्रति सजग नहीं होने से पहुंच जाता है। मेडिकल कॉलेज के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग में 220 रोगी हेपेटाइटिस बी और सी का इलाज करा रहे हैं, लेकिन किसी को यह नहीं पता है कि वह संक्रमित कब, कहां और कैसे हो गए। इनमें 32 महिलाएं हैं।
हेपेटाइटिस सेंटर खुलने से फायदे
-16-17 हजार रुपये की जांच होगी नि:शुल्क।
-10 से 17 हजार की दवाएं हर माह मिलेगी मुफ्त।
-शिविरों के माध्यम से जांचें होने पर रोगी होंगे चिह्नित।
-पंजीकृत संक्रमितों को एप के जरिये ट्रैक किया जाएगा।
-हेपेटाइटिस बी और सी के लिए होंगे जागरूकता कार्यक्रम।
इस तरह हो सकते संक्रमित
-दाढ़ी या बाल कटवाते समय।
- शरीर पर टैटू गुदवाने से।
- असुरक्षित संबंध बनाने से।
-संक्रमित सिरिंज का इस्तेमाल।
सरकार ने वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस सी के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। कॉलेज में जांच शुरू होने के बाद दवा व इलाज की और अच्छी सुविधा होगी। वायरल लोड की जांच के संबंध में ट्रायल चल रहा है। 10 से 15 दिन में हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड की जांच शुरू हो जाएगी। -प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ।
स्क्रीनिंग, इलाज के साथ डाटा होगा फीड
माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. सुरैया खानम ने बताया कि ट्रायल के बाद यहां पर मरीजों की स्क्रीनिंग एलाइजा विधि से की जाएगी। सभी मरीजों का डाटा एमआईएस पोर्टल पर फीड किया जाएगा। एलाइजा विधि से पता चलेगा कि मरीज में वायरल का लोड कितना ज्यादा या कम है। जिन मरीजों में लोड ज्यादा होगा उनका डॉक्टर द्वारा अलग से इलाज किया जाएगा।