Exclusive: चुनाव में ‘गैर’ हुए थे ‘भाजपाई’, अब एक ओर ‘पहाड़’ तो दूसरी तरफ ‘खाई’

लोकसभा चुनाव में भाजपा में शामिल होने लगी थी होड़, अब भाजपाई फोड़ रहे गैर दलों से आए लोगों पर ठीकरा

Exclusive: चुनाव में ‘गैर’ हुए थे ‘भाजपाई’, अब एक ओर ‘पहाड़’ तो दूसरी तरफ ‘खाई’

उन्नाव, प्रकाश तिवारी। एक समय था जब गैर दलों व निर्दलीयों की भाजपा में शामिल होने की होड़ लगी हुई थी। जिसे देखो वह अन्य सभी रंग के गमछे व टोपी उतारकर भगवा ओढ़ रहा था। पार्टी में शामिल होते समय सभी सिर्फ यह कहते दिख रहे थे कि इस बार मोदी सरकार को 400 पार और सांसद साक्षी महाराज को 5 लाख पार कराना है। 

दिखाने को तो सभी इस दावे को पूरा करने में लगे भी रहे लेकिन, सांसद 5 लाख तो दूर 50 हजार से भी जीत दर्ज नहीं करा सके। भाजपाई अब जीत का अंतर कम होने का गैर दलों से आए लोगों पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। ऐसे में उनके सामने एक ओर पहाड़ है तो दूसरी ओर खांई होने जैसी स्थिति बन गई है। 

बता दें कि लोकसभा चुनाव-2014 में पहली बार जिले से चुनाव लड़ने आए साक्षी महाराज ने मोदी लहर में अपने विरोधियों पर तीन लाख से अधिक की जीत दर्ज कर रिकार्ड बनाया था। इसके बाद उन्होंने जिले में ताबड़तोड़ राजनीतिक बैटिंग करते हुए लोगों के दिल में अपनी जगह बनाने का प्रयास किया और सफल भी रहे। 

वहीं, लोकसभा चुनाव-2019 में उन्होंने अपने पांच साल के काम को खूब भुनाया और चार लाख से अधिक मतों से विरोधियों को परास्त किया। दूसरे पंचवर्षीय कार्यकाल में भी सांसद ने अपनी साख बनाए रखी और योगी-मोदी के विकास कार्यों की गाथा गाते हुए लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का श्रेय लिया। योगी-मोदी की सरकारों का जलवा देख अन्य राजनैतिक पार्टियों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी अपनी-अपनी पार्टियों को छोड़कर भगवाधारी होने को राजी हो गए। 

देखते ही देखते विभिन्न दलों के लोगों की भाजपा में शामिल होने की होड़ सी लग गई। उस दौरान जिले से सैकड़ों की संख्या में विपक्षी दलों के नेताओं, नगर पालिका-पंचायतों के चेयरमैन, ब्लाक प्रमुखों समेत अन्य लोगों ने भाजपा का दामन थामा था। भाजपा की सदस्यता लेते समय सभी ने पार्टी के शीर्ष नेताओं के सामने सांसद साक्षी महाराज को इस बार पांच लाख से जीत दिलाने का संकल्प भी लिया था। 

लेकिन, पैंतरा कुछ ऐसा पड़ा कि पांच लाख तो दूर सांसद 50 हजार की लीड भी नहीं ला सके और चुनाव पूर्व किये गए सभी दावे खोखले साबित हो गए। ऐसे में भाजपाई एक ओर गैर दलों से आए लोगों पर इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं तो दूसरी ओर भाजपा में शामिल हुए लोग इसे भाजपाइयों की कमी बता रहे हैं। 

इस माहौल में अब जो लोग अपने दलों को छोड़कर आए थे उन्हें कहीं ठौर नहीं मिल रही है। भाजपाई उन्हें तवज्जो नहीं दे रहे और उनके पुराने दल के लोग अपने पास फटकने नहीं दे रहे। ऐसे में उनके सामने एक ओर पहाड़ है तो दूसरी ओर खांई होने जैसी स्थिति बन गई है।   

दो सैकड़ा नेताओं ने अपने हजारों समर्थकों के साथ ओढ़ा था भगवा 

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए नगर निकाय चुनाव में सपा, कांग्रेस, बसपा व अन्य पार्टियों के समर्थन के अलावा निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते-हारे दो सैकड़ा नेताओं ने अपने हजारों समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थामा था। लेकिन, अब वहां तवज्जो न मिलने से वे अपने इस निर्णय को गलत मान रहे हैं।

सबसे अधिक सपा छोड़कर आए लोगों को है मलाल 

अन्य पार्टियों के अलावा निर्दलीयों को तो चाहे कम ही हो लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की जिले के अलावा प्रदेश व देश में स्थिति काफी मजबूत होने से सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए लोगों को अपने इस निर्णय पर सबसे अधिक पछतावा है।

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