मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बाद इस मस्जिद में इमामत करके दूसरी बार संसद पहुंचे ये मौलाना
पार्लियामेंट स्ट्रीट मस्जिद में कभी भारत के पहले शिक्षामंत्री भी कर चुके हैं इमामत
दिल्ली में संसद भवन के पास एक मस्जिद है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने यहां नमाज़ पढ़ाई है। अब यहां नमाज़ पढ़ाने वाले सपा के इस नेता को संसद जाने का मौका मिला।
अमृत विचार : दिल्ली में संसद भवन के पास एक मस्जिद है, जिसे पार्लियामेंट स्ट्रीट मस्जिद (Parliament Street Masjid) के नाम से जाना जाता है। करीब 15 साल से इस मस्जिद में इमामत करने वाले एक मौलाना ने ये शायद ख़्वाब में भी ये नहीं सोचा होगा कि एक दिन वह इसी मस्जिद से निकलकर, चंद दूरी पर स्थित भारत की संसद में पहुंच जाएंगे। संभव है कि जब यहां नेता या सांसद नमाज़ अदा करने आते हों तो, मौलाना के दिल में भी ये हसरत जागती हो। बरहाहल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (Maulana Abul Kalam Azad ) के बाद पार्लियामेंट स्ट्रीट मस्जिद में इमामत करने वाले मौलाना मोहिबुल्ला नदवी (Maulana Mohibullah Nadvi) उन्हीं मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, जोकि भारत के पहले शिक्षामंत्री रहे हैं। उनकी सीट, रामपुर से संसद पहुंच गए हैं। भारत के पहले आम चुनाव 1952 में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद रामपुर से ही सांसद चुनकर संसद पहुंचे थे।
अब दूसरी बार ये करिश्मा 18वीं लोकसभा के चुनाव में हुआ है। समाजवादी पार्टी के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में शुमार रामपुर से मौलाना मोहिबुल्ला नदवी ने 87,434 वोटों से भाजपा के सांसद घनश्याम लोधी को हराया है।
रामपुर, समाजवदी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान (Azam Khan Rampur) का अवैध क़िला है। साल 2019 के चुनाव में आज़म ख़ान यहां से सांसद चुने गए थे। 2022 के चुनाव में आज़म ख़ान लोकसभा से इस्तीफ़ा देकर विधायक का चुनाव लड़े। उप-चुनाव में भाजपा के घनश्याम लोधी ने यहां जीत दर्ज की थी। लेकिन एक बार फिर सपा ने भाजपा से ये सीट छीन ली है।
वापस फिर बात करते हैं मौलाना मोहिबुल्ला नदवी की। मौलाना मोहिबुल्ला नदवी मूलरूप से रामपुर की स्वार विधानसभा क्षेत्र के रज़ानगर के रहने वाले हैं। उन्होंने रामपुर गंज के फुरकानिया मदरसे से शुरुआती शिक्षा हासिल की। मदरसा अंजुमन माविलन इस्लाम से आलिम की डिग्री ली और लखनऊ के नदवातुल उलूम से मौलवियत की। मौलाना ने दिल्ली की प्रतिष्ठित जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से भी तालीम प्राप्त की है।
मौलाना मोहिबुल्ला पिछले 15 सालों से दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट की मस्जिद में इमामत कर रहे हैं। यहां ज्यादतर राजनीतिक लोग ही नमाज़ के लिए आते हैं। इस बार आज़म ख़ान चुनाव के दरम्यान जेल में रहे। इसलिए समाजवादी पार्टी से रामपुर सीट पर किसे उतारा जाए? इस कशमकश के बीच अखिलेश यादव ने मौलाना मोहिबुल्ला नदवी को मैदान में उतारकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया। शुरुआत में उनका विरोध भी सामने आया लेकिन बाद में रामपुर की समाजवादी पार्टी ने पूरी दम के साथ उन्हें चुनाव लड़ाया और जिताया भी।
इस तरह मौलाना मोहिबुल्ला, पार्लियामेंट स्ट्रीट मस्जिद से निकलकर देश की संसद में पहुंच गए हैं। दिलचस्प बात ये है कि एक वक्त में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भी पार्लियामेंट स्ट्रीट वाली मस्जिद में इमामत की भूमिका अदा की है। ये अलग बात कि वे यहां फुल टाइम इमामत नहीं करते थे, लेकिन उन्हें जब भी मौका मिला तो उन्होंने इमाम की भूमिका निभाते हुए नमाज़ अदा कराई।
और अब मौलाना मोहिबुल्ला नदवी यहां इमामत करने के साथ संसद पहुंच गए हैं। संसद में वह देश के मूल मुद्दों पर कितनी ताक़त के साथ अपनी बात रखेंगे ये वक्त तय करेगा। फिलहाल मौलाना मोहिबुल्ला सिर्फ इमामत तक सीमित नहीं है। वह उच्च शिक्षित हैं। देश की राजनीति और समज को भी गहराई से समझते हैं। तो माना जाता है कि वह राजनीतिक मसलों पर भी मज़बूती के साथ जनता का प्रतिनिधित्व करेंगे।