अमेरिका का एल चापो बना 'हल्द्वानी का बनमीत'... सबसे अमीर ड्रग डीलर था चापो
हल्द्वानी,अमृत विचार। 1957 में मैक्सिको के सिनालोआ के ला टूना गांव में किसान के घर जन्मा अकीन गुजमैन लोएरा उर्फ एल चापो ने 15 साल की उम्र में ड्रग्स का धंधा शुरू किया था। कुछ ही सालों में उसने अमेरिका सहित कई देशों में अपना वचर्स्व बना लिया। ड्रग्स बेचकर उसने इतनी दौलत कमाई कि फोर्ब्स मैगजीन को उसे छापना पड़ा। ड्रग्स के धंधे से अकूट संपत्ति हासिल करने वालों को अब अमेरिका की ड्रग ईन्फोर्समेंट एजेंसी 'एल चापो' के नाम से बुलाती है और बनमीत सिंह नरूला को भी एजेंसी ने यही नाम दिया है।
गुरुतेग बहादुर गली तिकोनिया हल्द्वानी निवासी बनमीत सिंह नरूला को अमेरिकी अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई है। बनमीत डार्क वेब के जरिये अमेरिका सहित 8 देशों और 50 राज्यों में ड्रग्स का धंधा करता था। अदालत में उसने अपना जुर्म भी स्वीकार किया। अब बनमीत के साथ उसके भाई परविंदर का नाम भी जुड़ चुका है। देहरादून से आई प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने बीते शुक्रवार को बनमीत के हल्द्वानी स्थित आवास पर छापा मारा। 24 घंटे से अधिक चली छापेमारी के बाद परविंदर को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया।
बनमीत उर्फ एल चापो ने अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड, स्कॉटलैंड सहित आठ देश और 50 राज्यों में ड्रग्स के धंधे से 150 मिलियन डॉलर कमाए। माना जा रहा है कि इसका बहुत बड़ा हिस्सा बनमीत ने अपने भाई परविंदर तक पहुंचाया। इसी 150 मिलिनट डॉलर की कमाई की वजह से अमेरिका की ड्रग ईन्फोर्समेंट एजेंसी (डीईए) ने बनमीत को एल चापो का नाम दिया। वहीं परविंदर की गिरफ्तारी के बाद इस बात की चर्चा है कि परविंदर भी बनमीत के धंधे में पूरी तरह शामिल है। वह न सिर्फ अमेरिका से हुई मनी ट्रेल का हिस्सा है, बल्कि ड्रग्स के धंधे का चलाने में भी उसका हाथ है।
द सिंह ऑर्गनाइजेशन से जुड़े हैं परविंदर के तार
प्रवर्तन निदेशालय को बनमीत और परविंदर से जुड़े कई अहम सुराग मिले हैं। सूत्रों की मानें तो ईडी का शक तब और गहरा गया जब उसे अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ तस्करों के गिरोह 'द सिंह ऑर्गनाइजेशन' के तार परविंदर से जुड़े होने के सुराग मिले। ये एक ऐसा ग्रुप है, जिससे दुनिया के कई ड्रग तस्कर और खरीदार जुड़े हैं। ये आर्गनाइजेशन भी डार्क वेब के जरिये संचालित किया जाता है। इसके कुछ और छोटे-छोटे ग्रुप बने होने की बात सामने आ रही है।
50 राज्य, 8 देश के बाद भारत बन रहा था 9वां देश
रुद्रपुर से ड्रग्स तस्करी की शुरुआत करने वाले बनमीत ने अमेरिका समेत 8 देशों और 50 राज्यों तक अपना धंधा फैलाया। अब उसके निशाने पर 9वां देश भारत था। सूत्रों का कहना है कि वह यहां अपने करीबियों के बूते नया ग्रुप खड़ा कर रहा था। भारत में कई बड़े ड्रग माफिया उसके संपर्क में थे, लेकिन वो गांजा और अफीम नहीं बल्कि स्पेशल ड्रग्स (गोलियां) बेचने की योजना बना रहा था। हालांकि इससे पहले ही वह गिरफ्तार हो गया, लेकिन ग्रुप फिर भी सक्रिय था।
रुद्रपुर से कुरियर के जरिये शुरू की थी तस्करी
बनमीत और परविंदर ने मिलकर कुछ साल पहले रुद्रपुर स्थित सिडकुल में एक फार्मा फैक्ट्री खोली, जिस पर फिलहाल ताला लटका है। इसी फैक्ट्री में दवाओं की आड़ में स्मैक और हेरोइन का धंधा शुरू हुआ। फैक्ट्री में ड्रग्स की पैकिंग होती थी और फिर कुरियर के जरिये उसे देश से बाहर भेज दिया जाता। दिल्ली में ऐसा ही एक कुरियर पकड़ा तो बनमीत का नाम सामने आया। फैक्ट्री पर ताला लग गया और बनमीत फरार हो गया। तब से वह ऊधमसिंहनगर पुलिस के दस्तावेजों में फरार घोषित है।