चंपावत: वनरावतों के दर्द की कोई दवा नहीं... दो साल  से खराब है रोपवे, कोई सुनने वाला नहीं

चंपावत: वनरावतों के दर्द की कोई दवा नहीं... दो साल  से खराब है रोपवे, कोई सुनने वाला नहीं

देवेन्द्र चन्द देवा, चम्पावत, अमृत विचार। चम्पावत जिले की आदिम जनजाति वाला अकेला गांव है खिरद्वारी। चारों ओर पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा होने के साथ ही बेहद खूबसूरत यह गांव बाहर से जितना हराभरा दिखता है, गांव के भीतर प्रवेश करने पर उतना ही कांटों से भरा है। खेती और मजदूरी ही ग्रामीणों की आजीविका काा साधन है। 

पोथ ग्राम पंचायत के अंतर्गत खिरद्वारी गांव के साथ ही लोडिया सेरा, पिपरिया सेरा, सोनेत फुरकियाझाला, उपराकोट, बेलखेड़ गांव भी आते हैं। जहां कुल 395 मतदाता है। अकेले खिरद्वारी गांव में 37 परिवारों में कुल 153 वनरावत हैं। इस गांव में कुल 96 मतदाता हैं। जिला मुख्यालय चम्पावत से 45 किमी के सफर में 12 किमी पैदल चलकर नेपाल सीमा से लगे वनरावतों के गांव खिरद्वारी पहुंचा जाता है।

मुश्किलों की भरमार वाला खिरद्वारी गांव दुनिया से किस कदर कटा है, इसका अंदाज इसी बात से लगता है कि बरसात के दिनों में मार्ग बंद हो जाने से यहां के लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं। आज तक इस गांव से एकमात्र सुरेश सिंह रजवार सरकारी नौकरी में हैं, और वह भी चतुर्थ श्रेणी में। आठवीं से आगे का स्कूल न होने से आगे की पढ़ाई यहां लोगों को नसीब नहीं है। यहां की भोजन माता लक्ष्मी देवी की पुत्री नीमा ने बाहर जाकर इंटर की परीक्षा पास की है जो इस गांव की सबसे शिक्षित बालिका है।

दो साल पहले खिरद्वारी से लोडियालसेरा गांव को जोड़ने वाला 500 मीटर लंबा रज्जु मार्ग (रोपवे) खराब है। लधिया नदी को आरपार करने के लिए सहारा बने इस रोपवे का तार और जनरेटर भी खराब है। यदाकदा लोग इस रोपवे को अपने व छिटपुट सामान ढोने के लिए उपयोग में लाते हैं।

लेकिन बरसात के दिनों में आवाजाही के लिए लधिया नदी पार करने की बेबसी है। खिरद्वारी के लोगों को गेहूं और दूसरा अनाज पिसवाने के लिए लोडियालसेरा आने में भी मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। ग्रामीण कहते हैं कि वे अपने दर्द को कई बार अफसरों और नेताओं को बता चुके हैं, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं है। खिरद्वारी गांव में बिजली भले ही न हो, लेकिन यहां 2010 से बिजली के पोल जरूर लगे हैं। रात्रि में अंधेरा होने के कारण यहां के लोगों को जंगली जानवरों का हमेशा भय बना रहता है।


यह है खिरद्वारी के लोगों का दर्द:
1.सड़क तक पहुंचने के लिए 12 किमी की पैदल दूरी।
2.सरकारी राशन लेने के लिए 12 किमी पैदल चल्थी तक की दौड़।
3.आठवीं से आगे की पढ़ाई के लिए 12 किमी पैदल चल्थी जाना।
4.एएनम केंद्र भी नहीं, इलाज के लिए 12 किमी पैदल और फिर 36 किमी सड़क
मार्ग से टनकपुर जाना।


खिरद्वारी गांव के लोगों की समस्याओं की सुध लेने वाला कोई नहीं है। यहां अफसर और नेता कम ही आते हैं और आते भी है तो भी कोई समाधान नहीं होता। बिजली, आठवीं से आगे की पढ़ाई के लिए स्कूल, एएनएम केंद्र, झूला पुल और सड़क का निर्माण यहां के ग्रामीणों की मुख्य मांग हैं। इनके होने पर ही गांव के लोगों का भला हो सकेगा। और इससे भी बढ़कर यहां के रोपवे को ठीक करना जरूरी है। 
                                                                                        -जीत सिंह उप ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत पोथ