शाहजहांपुर: आखिर कहां से आई 25 बोटा कोरों की लकड़ी?, अधिकारियों के पास नहीं जवाब

शाहजहांपुर: आखिर कहां से आई 25 बोटा कोरों की लकड़ी?, अधिकारियों के पास नहीं जवाब

खुटार, अमृत विचार: लौहगांपुर में सिहुरा बीट के बरनई जंगल में 25 बोटा कोरों की लकड़ी मिलने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। यह लकड़ी कहां से आई है, इसका पता नहीं चल पा रहा है। कारण है कि सिंहपुर पश्चिमी में आठ पेड़ काटे जाने की बात वन विभाग के अधिकारी पुष्टि कर रहे हैं। जो चार पेड़ की लकड़ी पहले ही बरामद हो चुकी है और चार पेड़ की लकड़ी जनपद रामपुर के टांडा आरा मशीन से बरामद दिखाई गई है।

सवाल उठता है कि आखिर इतनी भारी मात्रा में लकड़ी के बोटे कहां से आये हैं। इस प्रकरण में रेंजर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। देखा जाए तो अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दी गई है। 25 बोटा लकड़ी छुपाई जा रही है। रेंजर मनोज श्रीवास्तव के मुताबिक यह लकड़ी सिंहपुर जंगल की है। जहां कटान हुआ था।

बात आकर वहीं रुकती है कि क्या आठ से ज्यादा पेड़ का कटान हुआ था। यह बात अधिकारियों से छुपाई गई है। अधिकारी जांच करने की बात कह रहे हैं। पांच अप्रैल को सिंहपुर पश्चिमी जंगल में 12 से ज्यादा सागौन और कोरों के पेड़ काट दिए गए थे।

सूचना के बाद एसडीओ डॉक्टर सुशील कुमार ने रेंजर मनोज श्रीवास्तव के साथ मौके पर पहुंच कर जांच की थी। जहां कटान पाया गया था। लकड़ी बरामदगी को एसडीओ डॉक्टर सुशील कुमार ने आरा मशीनों पर छापेमारी की थी। लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया था। 13 अप्रैल को जनपद रामपुर के टांडा की आरा मशीन से लकड़ी और डीसीएम को बरामद कर लिया।

जबकि तीन तस्करों को पकड़कर खीरी मैलानी रेंज कार्यालय ले आये थे। इसके बाद तस्करों को जेल भेज दिया था। लेकिन 25 बोटा लकड़ी के विषय में पता नहीं चल सका है। वन विभाग अपनी ही बातों में उलझ गया है। रेंजर का कहना है कि सिंहपुर जंगल की लकड़ी है। जबकि दूसरी तरफ आठ पेड़ काटे जाने की बात कहकर लकड़ी बरामद पहले दिखा दी। इससे पता चलता है कि कटान अधिक पेड़ों का हुआ था।

सूचना पर टीम को बरनई जंगल जांच के लिए भेजा गया था। बरनई जंगल में पड़ी लकड़ी की जांच कराई गई है। जांच पूरी होने के बाद ही आगे कुछ बताया जा सकता है---डॉ. सुशील कुमार, एसडीओ वन विभाग।

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