शाहजहांपुर: संचारी रोगों का बढ़ा खतरा, शहर में पटी गंदगी...बीते वर्ष बुखार से 35 से ज्यादा लोगों की हो गई थी मौत

संचारी रोगों के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान, सावधानी न रखी गई तो हो सकता है बीते वर्ष जैसा हाल 

शाहजहांपुर: संचारी रोगों का बढ़ा खतरा, शहर में पटी गंदगी...बीते वर्ष बुखार से 35 से ज्यादा लोगों की हो गई थी मौत

शाहजहांपुर, अमृत विचार। संचारी रोगों की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से एक अप्रैल से अभियान शुरू कर दिया गया है। इसके बाद भी शहर से लेकर गांव तक गंदगी देखी जा रही है। बीते वर्ष बुखार की चपेट में आने से जिले में 35 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भी इस बार कोई विशेष सतर्कता दिखाई नहीं दे रही है। जबकि लोगों में अभी से डायरिया फैलने लगा है। डेंगू का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। मच्छर और गंदगी से फैलने वाले रोगों में इजाफा होने की आशंका है।

तापमान बढ़ने के साथ ही लोगों को डायरिया ने घेरना शुरू कर दिया है। राजकीय मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में फिजिशियन कक्ष में आने वाले करीब चार सौ मरीजों में आठ से 10 मरीज रोजाना ही डायरिया से पीड़ित आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने संक्रामक व संचारी रोगों पर नियंत्रण को लेकर अभी कोई ठोस उपाय नहीं किए हैं। शहर से लेकर गांवों तक में सफाई नहीं होने से मच्छर पनप रहे हैं। फॉगिंग नहीं होने से लोगों को मच्छरदानी का सहारा लेना पड़ रहा है। मलेरिया विभाग के अधिकारियों का कहना है कि संचारी रोग नियंत्रण अभियान को लेकर आयोजित बैठक में बीते दिनों सभी को माइक्रोप्लान देते हुए कार्य कराने के लिए निर्देशित किया गया है।

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काफी प्रयास के बाद भी सीएचसी पर मरीजों को बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। सीएचसी मात्र रेफर सेंटर बनकर रह गई हैं। इसके चलते संचारी रोगों के फैलने पर राजकीय मेडिकल कॉलेज में बेड फुल होने से जगह नहीं मिल पाती है। प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि उनके पास पर्याप्त बेड और दवाओं का इंतजाम है। मरीजों को दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि महानगर में मच्छरों से बचाव के लिए नियमित फॉगिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि महानगर में मच्छरों पर नियंत्रण कर लिया गया है। फॉगिंग के साथ ही नालियों में एंटी लार्वा दवा का छिड़काव कराया जा रहा है। 

जागरूकता के लिए बनाई गईं टीमें
लोगों को जागरूक करने के लिए टीमें बनाई गई थीं। इन टीमों ने एक से दस अप्रैल तक जगह-जगह जागरूकता कार्यक्रम चलाए। हालांकि इन कार्यक्रमों का कोई खास असर अब दिखाई नहीं दे रहा है। इसके बाद दस्तक अभियान शुरू हो गया है। जिसके तहत आशा व आंगनबाड़ी घर-घर जाकर बुखार, खांसी, जुकाम, कुष्ठ, फाइलेरिया रोगों के बारे में जानकारी कर रही हैं। मच्छरों से बचाव के बारे में भी बताया जा रहा है। 

बीते वर्ष 35 से ज्यादा जानें गईं
बीते वर्ष जिले में हालात बिगड़ गए थे। 35 से ज्यादा लोगों की मौत बुखार से हो गई। बुखार आने पर लोग छोटे से बड़े चिकित्सक के पास इलाज कराने जाते रहे, लेकिन वह बच नहीं पाए। एक के बाद एक लोगों की मौत होती चली गई। पहले से तैयारी नहीं करने की वजह से पिछले वर्ष डेंगू व मलेरिया की वजह से काफी लोगों की जान गई थी। जबकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में गिनती की मौतें हुई थी। नदी व तालाब वाले इलाकों में सबसे ज्यादा लोग पीड़ित हुए थे।

11 विभागों को दी गई जिम्मेदारी
संचारी रोग और दिमागी बुखार पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग समेत 11 विभागों को जिम्मेदारी दी गई है। नगर विकास विभाग को स्वच्छता के उपाय, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कराने के निर्देश दिए हैं। पंचायती राज विभाग, पशुपालन विभाग, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग, शिक्षा विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, कृषि एवं सिंचाई विभाग व उद्यान विभाग को भी जिम्मेदारी दी गई है।

सफाई और फॉगिंग के लिए विभागों को निर्देश दिए जा चुके हैं। संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं-डॉ. अंसार अली, नोडल अधिकारी संचारी रोग नियंत्रण।

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