कासगंज: वर्षों से धार्मिक आस्था का केंद्र बना है मां पार्वती का मंदिर, पढ़िए पूरी जानकारी

कासगंज: वर्षों से धार्मिक आस्था का केंद्र बना है मां पार्वती का मंदिर, पढ़िए पूरी जानकारी

कासगंज, अमृत विचार: शहर मुख्यालय से लगभग 44 किलोमीटर दूर स्थित पटियाली तहसील क्षेत्र में बना माता पार्वती देवी का मंदिर हजारों वर्षों से धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां की मान्यताएं हिंदू धर्म के पौराणिक काल से चली आ रही है। कई धर्म शास्त्रों में भी माता पाटलावती देवी का वर्णन है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार मान्तया है कि हज़ारों वर्ष पूर्व द्वापरयुग में पटियाली पांचाल प्रदेश का एक बड़ा प्रशासनिक केंद्र था, लेकिन उससे पूर्व भी पटियाली के पश्चिमी भाग में दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्त्रोत्र के अनुसार 41वें खंड में अनुश्रति माता पाटलावती देवी का मंदिर स्थापित था। माना जाता है कि द्वापरयुग में माता पाटलावती देवी अखंड पांचाल प्रदेश के राजाद्रुपद की कुल देवी रही थीं और गुरु द्रोणाचार्य ने भी पटियाली के इसी माता पाटलावती देवी मंदिर में घोर साधना की थी। 

मंदिर के पुजारी रघुवरदास बताते हैं कि समूचे विश्व में सिर्फ एक पटियाली में ही माता पाटलावती देवी का मंदिर स्थापित है। दर्गाष्टोत्तरशतनामस्त्रोत्र के अनुसार माता देवी दुर्गा भगवान् शिव की पत्नी माता पार्वती का ही स्वरुप हैं। सनातन धर्म में माता देवी दुर्गा को ब्रह्मांड की परम शक्ति के रूप में जाना जाता है। 

दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्त्रोत्र के अनुसार माता देवी दुर्गा के 108 स्वरूपों में 41 वें खंड में माता देवी पाटलावती का नाम अनुश्रति है। जिसका अर्थ है गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली देवी। पटियाली तहसील के नाम को लेकर भी यहां तमाम किंवदंतियों हैं जिनके मुताबिक यहां के निवासी गौरव तिवारी कहते हैं कि उनके बुजुर्गों का कहना है कि माता पाटलावती देवी के नाम पर ही पटियाली का नाम रखा गया है।

एक नजर में पढ़िए:-
- मां दुर्गा की 108 सिद्धपीठों में से 41 वीं सिद्धपीठ पटियाली में है स्थित।
-पूरे विश्व में मां पाटलावती देवी का एकमात्र मंदिर सिर्फ पटियाली में है स्थित।
-श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र के अनुसार 41 वें खंड में है पटियाली की मां पाटलावती देवी का स्थान।
- गुरु द्रोणाचार्य से लेकर राजा द्रुपद की कुलदेवी के रूप में भी है मां पाटलावती देवी की मान्यता।
- द्रौपदी की पहली मंगला आरती भी पटियाली के इसी मंदिर में हुई, मंदिर से जुड़े हैं अनेकों पौराणिक संदर्भ।
- द्रौपदी के स्वयंवर में जाने से पूर्व पांडवों ने मां पाटलावती देवी के किए थे दर्शन।

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