Kanpur Dehat: कुकर्म के आरोप में तीन साल जेल काटने के बाद साबित हुआ निर्दोष; कोर्ट ने दिए युवक की रिहाई के आदेश

Kanpur Dehat: कुकर्म के आरोप में तीन साल जेल काटने के बाद साबित हुआ निर्दोष; कोर्ट ने दिए युवक की रिहाई के आदेश

कानपुर देहात, अमृत विचार। मूसानगर क्षेत्र में करीब तीन साल पहले एक गांव निवासी महिला ने घाटमपुर क्षेत्र के एक गांव निवासी युवक पर अपने मासूम पुत्र के साथ कुकर्म और जान से मारने की कोशिश करने का मामला दर्ज कराया था। मामले की सुनवाई पॉक्सो कोर्ट में चल रही थी। शुक्रवार को अदालत ने अभियोजन कथानक को संदिग्ध मानते हुए तीन साल से जेल काट रहे आरोपी को दोषमुक्त करते हुए उसकी रिहाई के आदेश जारी किए हैं।

मूसानगर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी महिला ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि फरवरी 2021 की शाम गांव निवासी तिलक का साला विष्णु उसके चार वर्षीय मासूम बच्चे को टॉफी का लालच देकर उसे जंगल की ओर ले गया था। वहां उसके बच्चे को जान से मारने की कोशिश करते हुए मारपीट की। 

खोजबीन करने पर वह बेहोशी की हालत में मिला। पुलिस ने मामले में विवेचना करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। साथ ही मामले की विवेचना करते हुए उसके खिलाफ गंभीर रूप से घायल करने व कुकर्म करने के प्रयास में आरोप पत्र अदालत में पेश किए थे। मामले की सुनवाई अपर जिला जज 13 पॉक्सो कोर्ट में चल रही थी। 

बचाव पक्ष के अधिवक्ता चीफ डिफेंस काउंसिल संजय शुक्ला ने बताया कि मामले कि सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से घटना का कोई चश्मदीद साक्षी अदालत में पेश नहीं किया गया और न ही पीड़ित के ही बयान दर्ज कराए गए थे। वहीं मामले के तीन साक्षियों ने अदालत में दिए अपने बयानों में घटना देखने से इंकार किया था। 

जिन्हें अदालत के सामने बहस में रखा गया था। शुक्रवार को अदालत ने अपना निर्णय देते हुए यह पाया कि अभियोजन की ओर से पीड़ित को अदालत में परीक्षित न किए जाने से अभियोजन कथानक का समर्थन नहीं हो रहा है। वहीं मामले में विवेचक ने अपने बयानों में पीड़ित बालक के बोलने में असमर्थ होने के कारण उसके बयान नहीं लिए जाने की बात कही गई है। 

जबकि मामले के अभियोजन गवाह चिकित्सक ने अपने बयानों में बताया है कि पीड़ित उसके पास स्वस्थ्य आया था और अच्छी तरह से बोल रहा था। उसने उससे बातचीत की थी। पीड़ित को अदालत में परीक्षित न कराना अभियोजन कथानक को संदिग्ध बनाता है। इसपर अदालत ने अभियोजन के अपराध साबित करने में असफल रहने पर आरोपी को दोषमुक्त करते हुए उसे जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं।

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