Budaun News: मेंथा की जगह मूंगफली उगा रहे किसान, जून में होगी तैयार

मेंथा की पैदावार कम होने और सही दाम न मिलने की वजह से हटती जा रही है रुचि

Budaun News: मेंथा की जगह मूंगफली उगा रहे किसान, जून में होगी तैयार

बदायूं, अमृत विचार। जनपद में मूंगफली की बुवाई शुरू कर दी गयी है। इस समय लगाई जाने वाली मूंगफली जून और जुलाई में तैयार हो जाएगी। मूंगफली बेहतर उपज के लिए किसानों ने हाइब्रिड बीज लगाया है जो चार से पांच क्विंटल प्रति बीघा का उत्पादन देता है। किसान सरसों और आलू के खेत में मूंगफली लगा रहे हैं।

जनपद में मूंगफली का रकबा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। मैंथा छोड़ कर किसान मूंगफली की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। लगभग पन्द्रह साल तक किसानों को मैंथा ने खासा मुनाफा दिया, उसके बाद करीब पांच साल से मैंथा का भाव नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसानों ने अब मैंथा की जगह मूंगफली का उत्पादन शुरू कर दिया है। जिन खेतों में आलू लगाया गया उनमें मूंगफली की फसली अब लगाई जा रही है। किसानों का कहना है कि इस समय लगाई जाने वाली मूंगफली जून और जुलाई में तैयार हो जाती है।

मूंगफली की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि पहले वह लोग आलू के बाद मेंथा की खेती करते थे। कई साल तक मैंथा की खेती की, उसके बाद पिछले पांच साल से मैंथा का भाव नहीं मिल पा रहा है। लागत के हिसाब से भाव नहीं मिलने पर उसमें घाटा होता है इसलिए अब किसान मैंथा की खेती नहीं कर रहे हैं। मैंथा की जगह अब मूंगफली होने लगी है।

उदमई निवासी संतोष मौर्य ने बताया कि उन्होंने पिछले साल करीब दस बीघा मूंगफली की थी। बेहतर पैदावार हुई, भाव भी अच्छा मिला। भाव बेहतर मिलने से इस साल उन्होंने मूंगफली का रकबा बढ़ा दिया है। उनके साथ कई अन्य लोगों ने भी मूंगफली की है। सरसों और आलू के बाद मूंगफली की फसल की जा रही है। 

किसानों ने बताया कि इस साल ठीक दो गुना मूंगफली का रकबा है। क्योंकि लोगों ने मूंगफली लगाने के लिए अपने खेत खाली कर लिए हैं। इन खेतों में मूंगफली की जा रही है। उदमई, कुतरई, उघैनी, बरचऊ और रमजानपुर से लेकर कादरचौक क्षेत्र में मूंगफली का रकबा बढ़ रहा है। रमजानपुर से कादरचौक के बीच का क्षेत्र मूंगफली के लिए मुफीद है। इन खेतों में रेतीली मिट्टी होने के कारण मूंगफली की पैदावार अधिक होती है।

कादरचौक इलाके में मूंगफली की खेती का रकबा हर साल बढ़ता जा रहा है। इस क्षेत्र में मूंगफली किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। बेहतर उपज के साथ अच्छा भाव मिलने से किसान अन्य फसलें छोड़ कर मूंगफली की ओर दौड़ रहे हैं। किसानों ने बताया कि रेतीली मिट्टी में मूंगफली की पैदावार बेहतर होती है जबकि अन्य फसलों की उपज कम होती है।
 
पिछले दो साल से मूंगफली की खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है। पिछले साल लगभग दो हजार हेक्टेयर रकबा में मूंगफली की गयी । जबकि इस साल तीन से साढ़े तीन हजार हेक्टेयर में मूंगफली की खेती होने का अनुमान है। अच्छी पैदावार होने से किसान मूंगफली कर रहे हैं। अन्य फसलों की अपेक्षा मूंगफली की खेती में लाभ अधिक होता है इसलिए अब किसानों का रुझान मूंगफली की ओर है। अब तक किसान मैंथा करते थे। मेंथा की पैदावार कम होती है जबकि लागत अधिक आती थी लेकिन मूंगफली में लागत कम आती है और पैदावार अधिक होती है और भाव भी चार से पांच हजार रुपए क्विंटल का मिलता है इसलिए किसान अब मूंगफली की खेती करने लगे हैं-दुर्गेश कुमार - जिला कृषि अधिकारी।

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