पीलीभीत: अब CMS ने इमरजेंसी स्टाफ को बचाया..लापरवाही के बिंदुओं पर नहीं की जांच और ड्यूटी पर तैनात स्टाफ के नाम छिपाए  

सीएमओ ने कार्रवाई की संस्तुति कर मेडिकल कॉलेज प्राचार्य और शासन को भेजा पत्र,इमरजेंसी स्टाफ पर लटकी कार्रवाई की तलवार

पीलीभीत: अब CMS ने इमरजेंसी स्टाफ को बचाया..लापरवाही के बिंदुओं पर नहीं की जांच और ड्यूटी पर तैनात स्टाफ के नाम छिपाए  

पीलीभीत, अमृत विचार। मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के सामने सड़क पर प्रसव में नवजात की मौत के मामले में भले ही शासन स्तर तक मामला पहुंच चुका हो, लेकिन निचले स्तर पर जिम्मेदार लापरवाही पर पर्दा डालने से नहीं चूक रहे। चहेते स्टाफ को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

पहले एसीएमओ ने अपनी जांच में पीड़ित परिवार को ही गुनहगार बना दिया था और अब सीएमएस पुरुष अस्पताल  ने भी इमरजेंसी स्टाफ को बचाते ही गोलमोल आख्या दे डाली। पूरी आख्या इमरजेंसी स्टाफ की लापरवाही का जिक्र ही नहीं किया। फिलहाल सीएमओ ने अपने स्तर से कार्रवाई की संस्तुति कर पत्र मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.संगीता अनेजा और शासन को भेज दिया है। माना जा रहा है कि जल्द ही इमरजेंसी स्टाफ पर कार्रवाई होगी।  

बता दें कि बरेली जिले के थाना हाफिजगंज क्षेत्र के गांव पृथ्वीपुर निवासी कृष्णपाल अपनी पत्नी मुन्नी देवी और पुत्रवधू सुमन के साथ बहनोई पीलीभीत के गजरौला थाना क्षेत्र के गांव देवीपुरा में एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए आए थे। पुत्रवधू सुमन नौ माह की गर्भवती थी। बुधवार दोपहर करीब एक बजे सुमन को प्रसव पीड़ा होने पर परिवार वाले ई-रिक्शा से उसे लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। आरोप है कि 45 मिनट तक परिवार भटकता रहा और महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती रही लेकिन इमरजेंसी स्टाफ ने सुध नहीं ली। नतीजतन सड़क पर प्रसव कराना पड़ा और नवजात की जान चली गई। 

डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने भी एक दिन पूर्व रिपोर्ट तलब की थी। इधर, जिला स्तर पर जांच के नाम पर जिम्मेदार खेल करने से बाज नहीं आ रहे। एसीएमओ डा.छत्रपाल ने अपनी जांच में पीड़ित को गुनहगार साबित कर दिया था। जिसके बाद सीएमओ ने मेडिकल कॉलेज में पुरुष ईकाई के सीएमएस डॉ. संजीव सक्सेना से जांच कर आख्या मांगी तो उन्होंने भी इमरजेंसी में घटना के वक्त तैनात स्टाफ को बचाने क लिए गोलमोल कर दिया। 

सीएमएस डॉ. संजीव सक्सेना ने पीड़िता के ससुर कृष्णपाल के बयान दर्ज किए। इमरजेंसी में मदद मांगने की बात का भी उल्लेख किया। मगर उसके बाद की लापरवाही को छिपा गए। ड्यूटी पर कार्यरत डॉक्टर व अन्य स्टाफ के नाम भी नहीं दिए। सीएमओ डॉ. आलोक कुमार के पास आख्या पहुंची तो उन्होंने रिपोर्ट गलत बताते हुए कैंसिल कर दिया। दो अफसरों से जांच करने के बाद भी इमरजेंसी को लेकर कोई भी जांचधिकारी स्थिति स्पष्ट नहीं कर सका है। 

इस पर सीएमओ ने बुधवार दोपहर में तैनात स्टाफ के नाम मांगे। सीएमओ ने इमरजेंसी ड्यूटी पर कार्यरत  डॉक्टर और स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करते हुए मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. संगीता अनेजा को पत्र लिखा है।  सीएमओ का कहना है कि लापरवाही की वजह से नवजात की मौत हो गई। इसलिए इमरजेंसी स्टाफ पर कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही मेडिकल कॉलेज में साइन बोर्ड की व्यवस्था की जाए। ताकि मरीजों को आसानी से पता चल सके।  शासन को भी पत्र की प्रतिलिपि भेजी गई है।

हकीकत न हो उजागर, नहीं निकलवा रहे सीसीटीवी फुटेज
इमरजेंसी के बाहर महिला का सड़क पर प्रसव के दौरान हुई नवजात की मौत मामले में जिम्मेदार जांच की बात तो कह रहे हैं। मगर परिवार के आरोपों को गलत बताते हुए  इमरजेंसी स्टाफ से मदद न मांगने की बात कह रहे हैं। मगर हकीकत का पता लगाने के लिए मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में लगे कैमरों की फुटेज को चेक कराने की सुध नहीं ली जा रही है। जबकि अगर कैमरे बताए अनुसार ठीक काम कर रहे हैं तो इनमें घटना का पूरा वाक्या कैद होगा। महिला के आने से लेकर इमरजेंसी में जाने की कहानी कैद होगी। इमरजेंसी के मुख्यद्वार पर एक कैमरा जबकि दूसरा इमरजेंसी के भीतर ड़्यूटी रुम के दाहिनी ओर लगा है। ऐसे में अगर इसे चेक किया जाए तो पुख्ता प्रमाण साबित हो सकता है।

डीजी हेल्थ भी कर रहे मॉनीटरिंग, आखिर दोषी कौन?
प्रसव की गूंज शासन तक पहुंचने के बाद डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की दखल देने के बाद खलबली मची हुई है। अब शुक्रवार को लखनऊ डीजी हेल्थ ने दोबारा से इसकी पूरी रिपोर्ट मांगी है। जिसको लेकर पूरे दिन महिला ईकाई में बने सीएमएस के एक कमरे में गुफ्तगू चलती रही। आखिर क्या रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जाए। चूकि  कोरोना के दौरान महिला ईकाई के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार कार्रवाई की चपेट में आ गए थे। इसलिए वह अब दोबारा न फंसने से बचने पर भी ध्यान दे रहे हैं।

सिर्फ बयान हुए दर्ज, नहीं हो रही कार्रवाई
गर्भवती समुन के प्रसव के नवजात की मौत के बाद उसका महिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। शुक्रवार को बयान दर्ज कराने के बाद कृष्णपाल ने पुत्रवधू को डिस्चार्ज करने के लिए भी कहा। कृष्णपाल ने बताया कि सिर्फ घटना के बाद अफसर बयान दर्ज कर रहे हैं। मगर लापरवाही बरतने वालों पर क्या कार्रवाई हो रही है। इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। फिलहाल शुक्रवार दोपहर बाद महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया। परिजन उसे अपने साथ ले गए।

मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के सामने सड़क पर प्रसव में नवजात की मौत हुई थी। सीएमएस से इमरजेंसी ड्यूटी पर कार्यरत स्टाफ के नाम मांगे गए थे। मगर जांच रिपोर्ट में नाम नहीं दिए गए। न ही इमरजेंसी स्टाफ से मदद मांगने के बिंदु पर जांच की गई है। इस रिपोर्ट से भी असंतुष्ट हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को घटना के वक्त इमरजेंसी में कार्यरत स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा गया है। साथ इसकी सूचना शासन को भी भेजी गई है। - डॉ. आलोक कुमार,  सीएमओ

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