हल्द्वानी: अब हर गुरुवार STH में हो सकेगी बच्चों की अस्थमा जांच

हल्द्वानी: अब हर गुरुवार STH में हो सकेगी बच्चों की अस्थमा जांच

हल्द्वानी, अमृत विचार। सांस की बीमारी से जूझ रहे बच्चों के माता-पिता के लिए अच्छी खबर है। डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में अस्थमा से पीड़ित बच्चों की जांच शुरू हो गई है। अब हर सप्ताह के गुरुवार को बाल रोग ओपीडी में अस्थमा क्लीनिक लगाया जाएगा।

एसटीएच के बाल रोग विभाग में रोजाना 150 से 200 बीमार बच्चों की ओपीडी होती है। कई बार ओपीडी में ऐसे बच्चे आते हैं, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है। जांच करने पर बच्चे में अस्थमा के लक्षण दिखते हैं। इसकी पुष्टि करने के लिए पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) कराया जाता है।

लेकिन अस्पताल में मशीन न होने के कारण माता-पिता को टेस्ट बाहर कराना पड़ता था। जिसमें करीब एक हजार रुपये खर्च होते थे। इस परेशानी को देखते हुए करीब एक सप्ताह पूर्व बाल रोग विभाग में पीएफटी मशीन स्थापित कर दी गई है। मशीन का ट्रायल पूरा हो गया है। अगले सप्ताह के गुरुवार से ओपीडी में अस्थमा क्लीनिक लगाकर सांस की बीमारी से पीड़ित बच्चों की जांच शुरू हो जाएगी।

6 से 16 साल तक के बच्चे अस्थमा की चपेट में
एसटीएच के बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रितु रखोलिया कहती हैं कि बच्चों में सांस लेने की समस्या तेजी से बढ़ रही है। 6 से 16 साल तक के बच्चे अस्थमा की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे बच्चों को मौसम में परिवर्तन के समय सबसे ज्यादा परेशानी होती है।

सर्दियों की शुरुआत और बौर आने के समय अस्थमा से पीड़ित बच्चे ठीक से सांस नहीं ले पाते। इसलिए उन्हें इन्हेलर थैरेपी दी जाती है। डॉ. रितु ने बताया कि किसी भी बच्चे में अस्थमा के शुरुआती लक्षणों को समय पर इलाज से रोका जा सकता है। लेकिन जिन बच्चों के माता-पिता को अस्थमा की शिकायत होती है, उन्हें लंबे समय तक तकलीफ रहती है।


पीएफटी मशीन के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को प्रस्ताव भेजा था। जिसके तहत ओपीडी में मशीन स्टाल हो गई है। इससे अस्थमा से पीड़ित बच्चों की जांच करने में आसानी होगी। हर सप्ताह के गुरुवार को ओपीडी में अस्थमा क्लीनिक लगाया जाएगा।
- डॉ. रितु रखोलिया, विभागाध्यक्ष बाल रोग विभाग एसटीएच