अमेठी: बेमौसम बारिश ने ईंट भट्ठा संचालकों की तोड़ी कमर, लाखों का हुआ नुकसान
कच्ची ईंट की पथाई पर प्रति ईंट एक से डेढ़ रुपये का आता है खर्च, भट्ठा मालिकों ने कहा कि नुकसान की भरपाई करने के लिए टैक्स, रॉयल्टी, जीएसटी में दी जाए छूट

अमेठी। राविवर की रात झमाझम हो रही बेमौसम बारिश ने जिले के ईंट भट्ठा संचालकों की कमर तोड़ दी है। पिछले वर्ष भी चार मई को हुई बारिश में ईंट भट्ठा मालिकों को काफी घाटा उठाना पड़ा था। ज्यादातर भट्टों पर पकने के लिए तैयार ईंटें पानी में गलकर खराब हो गईं। ईंट भट्ठा संचालकों के अनुसार बारिश के चलते 8 से 12 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
कई स्थानों पर तो बारिश ने छोटे स्तर पर ईंट भट्ठे लगाने वालों को कहीं का नहीं छोड़ा है। लाखों कच्ची ईंटें बारिश की भेंट चढ़ चुकी हैं। ईंट भट्ठों में तैयार कच्ची ईंट मिट्टी बन गई हैं। ईंट भट्ठा संचालकों ने नुकसान की भरपाई करने के लिए रॉयल्टी एवं टैक्स में छूट देने की गुहार लगाई है।
बहादुरपुर ब्लाक क्षेत्र के पूरे दढियारा में शांति ब्रिक फील्ड, खरौली में किसान ब्रिक फील्ड, बघेल, मुबारकपुर मुखेतिया, मोजमगंज सहित एक दर्जन ईंट भट्ठा संचालित हैं। ईंट भट्ठों में लाखों की संख्या में कच्ची ईटों को खुले में सूखने के लिए रखा गया था। सूखने के बाद उसे चेंबर में डालकर पकाया जाता है।
बरसात के बाद इसी मौसम में नवंबर से जून तक कच्ची ईंटें तैयार होती हैं और पकाने के बाद उसकी बिक्री होती है। इसी बीच गत रविवार की रात से हुई झमाझम बेमौसम बारिश ने किए कराए पर पानी फेर दिया। ईट भट्ठा संचालकों की मानें तो मजदूरी मद में काफी राशि का भुगतान ईंट भट्ठा संचालकों को करना पड़ता है। ऐसे में ईंटों के नुकसान होने से नए सिरे से ईंट का निर्माण एवं मजदूरी भुगतान के लिए राशि की व्यवस्था करना मुश्किल हो गया है।
मौसम की मार झेल रहे ईंट भट्ठा मालिकों को ईंट के व्यवसाय में लगातार घाटा झेलना पड़ रहा है। सरकार से ईंट भट्ठा उद्योग को किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिल रही है। यही नहीं व्यवसायी विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाए जाने से भी परेशान हैं। जीएसटी, जिला पंचायत कर, प्रदूषण बोर्ड कर, रॉयल्टी और इनकम टैक्स के रूप में तमाम टैक्स देने पड़ रहे हैं। उसके बाद प्राकृतिक आपदा की मार भी झेलनी पड़ती है। इस वर्ष जब से पथाई का काम शुरू हुआ है, तब से लगातार प्राकृतिक कोप का भाजन बनना पड़ा है।
इस संबंध में ईंट भट्ठा संचालक जितेन्द्र सिंह व राम सिंह का कहना है कि किसान ब्रिक फील्ड व शांति ब्रिक फील्ड में ईंटो की पथाई कर तैयार कर लिया गया था और चैंबर में भराई चल ही रही थी कि बेमौसम बारिश से करीब सात लाख ईंट पानी मे गलकर मिट्टी बन गई है। उन्होंने कहा कि ईंट भट्ठा व्यवसायियों के हित में सरकार को सोचना चाहिए। बारिश के कारण हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए रॉयल्टी एवं टैक्स में छूट दी जानी जाए।
ईंट भट्ठा संचालकों कहना है कि पथाई कर रखी कच्ची ईंट गल जाने से लाखों का नुकसान हुआ है। कैसे कर्ज की भरपाई होगी समझ में नहीं आ रहा है। कुछ भट्ठा संचालकों का कहना है कि नए सिरे से ईंट का निर्माण एवं मजदूरी भुगतान के लिए राशि की व्यवस्था करना मुश्किल हो गया है।
यह भी पढ़ें:-अमेठी: ग्रामीणों ने परेशान होकर परिषदीय स्कूल में छुट्टा मवेशियों को किया बंद, शिक्षण कार्य रहा प्रभावित