पीलीभीत: बाघ हमला...बीते साल सात, नए साल के 29 दिन में दो ने गंवाई जान

पीलीभीत, अमृत विचार। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बाघ आक्रामक होते जा रहे हैं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बाघ हमलों में बीते साल सात एवं नए साल के 29 दिनों में दो इंसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
वहीं पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद आठ सालों के भीतर 45 इंसान बाघ हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं। यह दीगर बात है कि इनमें 16 इंसानों की मौत जंगल क्षेत्र के अंदर हुए बाघ हमले के दौरान हुई। फिलहाल बाघ हमलों में इंसानों की मौतों का सिलसिला जारी है, वहीं जिम्मेदार महकमा सुरक्षा को लेकर अपने इंतजामों के पुख्ता होने का दावा कर रहा है।
पीलीभीत के जंगल को जून 2014 में संरक्षित करते हुए टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया था। खास बात यह है कि उस दौरान आनन-फानन में जंगल को टाइगर रिजर्व तो घोषित कर दिया गया, लेकिन जिम्मेदार जंगल से सटे गांवों की सुरक्षा एवं जरुरी संसाधन देना ही भूल गए। जिसका खामियाजा लोगों को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ रहा है। गुजरे साल पर गौर करें तो नौ जनवरी से 26 सितंबर के बीच बाघ हमलों में सात इंसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी। वहीं पीटीआर के लिहाज से नए साल की शुरुआत अच्छी नहीं रही। नए साल में 29 दिन के भीतर दो इंसानों की बाघ हमले में मौत हो चुकी है।
पीटआर के बाघ जंगल के बाहर न निकले, इसको लेकर पीटीआर प्रशासन जंगल सीमा पर लगातार गश्त करने के साथ निगरानी होने का तो दावा कर रहा है। मगर, जंगल सीमा के आसपास बाघ हमलों में हो रही इंसानों की मौत इन दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल का कहना है कि मानव वन्यजीव संघर्ष पर अंकुश लगाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
सभी रेंज अधिकारियों को संवेदनशील गांवों के ग्रामीणों के बैठक करने एवं जंगल सीमा पर लगातार गश्त करने को निर्देशित किया गया है। जंगल से बाहर निकलने वाले बाघों के लिए रेस्क्यू सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है। इसके साथ ही माला व महोफ रेंज में तार फैसिंग कार्य भी जल्द शुरू होने जा रहा है।
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