Pakistan: इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, PTI के नेता लड़ सकेंगे चुनाव
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को राहत देते हुए इसके अध्यक्ष परवेज इलाही और कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं को आठ फरवरी का आम चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है। न्यायमूर्ति मंसूर अली शाह, न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखैल और न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह की पीठ ने शुक्रवार को चुनाव न्यायाधिकरण और लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) द्वारा खान की पार्टी के अध्यक्ष इलाही की उम्मीदवारी निरस्त करने को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई की।
शीर्ष अदालत ने पार्टी के अन्य नेताओं- उमर असलम, ताहिर सादिक, सनम जावेद और शौकत बसरा, को भी आगामी आम चुनाव लड़ने की अनुमति दी। चुनावों से पहले खान और उनकी पार्टी को उस वक्त एक के बाद एक झटका लगा, जब चुनाव आयोग ने पार्टी का चुनाव चिह्न ‘क्रिकेट का बल्ला’ छीन लिया और 71-वर्षीय खान एवं कई शीर्ष नेताओं के नामांकन पत्रों को कई आधारों पर खारिज कर दिया। अदालत ने पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) को इलाही को एक चुनाव चिह्न आवंटित करने और इसे मतपत्रों में शामिल करने का भी निर्देश दिया। पंजाब प्रांत के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके इलाही ने आम चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी दाखिल की थी, लेकिन निर्वाचन अधिकारियों ने इसे खारिज कर दिया था।
उन्होंने इसे चुनाव न्यायाधिकरण में चुनौती दी, जिसने उनकी याचिका खारिज कर दी। बाद में, उन्होंने इसके खिलाफ एलएचसी में याचिका दायर की, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली और इसके बाद उन्हें उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। इससे पहले, उन्होंने राष्ट्रीय असेंबली की सीट एनए-64 और पीपी-32 के लिए अपनी उम्मीदवारी की अस्वीकृति के खिलाफ बुधवार को शीर्ष अदालत में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। उनके वकील फैसल सिद्दीकी ने मीडिया को बताया कि बाद में उन्होंने नेशनल असेंबली की सीट पर चुनाव लड़ने से संबंधित अपनी याचिका वापस ले ली।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कम समय होने के कारण केवल एक सीट पर (चुनाव) लड़ने का फैसला किया।’’ न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने सुनवाई के दौरान इस बात पर प्रकाश डाला कि यह अदालत की ज़िम्मेदारी है कि वह चुनाव अधिनियम की इस तरह से व्याख्या करे, जिससे लोग अपनी पसंद का प्रतिनिधि चुनने से वंचित न हों। अपनी दलीलों में, सिद्दीकी ने अदालत को बताया कि उन्हें अभी तक निर्वाचन अधिकारी से पूरा आदेश नहीं मिला है, जिसने इलाही के नामांकन पत्र को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि इलाही का पर्चा इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि वह विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार के लिए अलग-अलग बैंक खाते खोलने में विफल रहे। उन्होंने कहा, ''इलाही पांच निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं।'' इस पर न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने पूछा कि कानून में कहां कहा गया है कि अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अलग-अलग खातों की आवश्यकता है।
सिद्दीकी ने कहा, ‘‘अगर चुनाव प्रचार के दौरान अधिक खर्च होता है, तो चुनाव के बाद खातों की जांच की जाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘याचिका में एक और आपत्ति यह उठाई गई है कि मेरे मुवक्किल ने पंजाब में 10 मरला संपत्ति के स्वामित्व को छुपाया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे मुवक्किल ने यह भूखंड कभी नहीं खरीदा। वह उस समय जेल में थे।’’ उन्होंने यह भी कहा कि खरीदारी की तारीख तब की है जब इलाही जेल में थे। न्यायमूर्ति मंडोखैल ने जोर देकर कहा कि किसी व्यक्ति की संपत्ति के बारे में पूछने का कारण यह तुलना करना था कि सत्ता में आने से पहले और बाद में उसके पास क्या था। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप भूखंड के स्वामित्व को खारिज कर रहे हैं तो यह ठीक है।’’
उन्होंने टिप्पणी की कि इलाही भाग्यशाली व्यक्ति हैं कि उनके नाम पर नई संपत्तियां सामने आई थीं। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘आपको ये अतिरिक्त संपत्तियां दान कर देनी चाहिए।’’ एक बिंदु पर, न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने टिप्पणी की कि ऐसा लगता है जैसे कार्यवाहक सरकार इलाही के नामांकन पत्र को खारिज करने में शामिल थी। उन्होंने कहा कि आरओ का काम उम्मीदवारों पर बोझ डालने के बजाय उन्हें सुविधा प्रदान करना है। न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने कहा, "दुर्भाग्य से यह सब केवल एक राजनीतिक दल के साथ हो रहा है।"
दलीलें सुनने के बाद अदालत ने इलाही के नामांकन पत्र को खारिज करने के फैसले को अमान्य घोषित कर दिया और उन्हें पीपी-32 से चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी। इस बीच, ताहिर और आलम की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही पीठ ने उन्हें नेशनल असेंबली के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति दी, जबकि शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ ने बसरा और सनम को चुनाव लड़ने की अनुमति दी। इस पीठ में न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति इरफान सआदत खान शामिल थे।
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