रहस्यमयी है नागा साधूओं की दुनिया, अलग हैं इनके रहन सहन के नियम
राजा सक्सेना, सोरोंजी। विचित्र रहन-सहन अलग विचार, अलग नियम और रहस्यमयी है इनकी दुनिया। इनकी गिनती सर्वश्रेष्ठ साधूओं में की जाती है। इनके नियम संयम अलग ही मिसाल बनते है। तन पर वभूत, मन में आस्था और विचारों में विश्व कल्याण की कामना रहती है। यह कहानी है देश के नागा साधूओं की जो इन दिनों मिनी अमृत कुंभ में आकर्षण का केंद्र बन गए है।
देश में नागा साधूओं के कुल 13 अखाड़े पंजीकृत है। यहां नागा बनाए जाते है। प्रयागराज का कुंभ हो या तीर्थ नगरी सोरों का मिनी अमृत कुंभी यहां सभी अखाड़ों के साधू पहुंचते है। इन दिनों सोरोंजी में इनका डेरा जमा हुआ है। सुबह से ही तन पर वभूत लपेटकर यह नागा साधू आश्रम में धूनि रमा रहे है। उनकी सेवा के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे है। विश्व कल्याण की कामना यह साधू संत कर रहे है।
कैसे बनते है नागा साधु
इतिहास के पन्नों में नागा साधुओं का अस्तित्व सबसे पुराना है। नागा साधु बनने के लिए महाकुंभ के दौरान ही प्रक्रिया शुरू हो जाती। इसके लिए उन्हें ब्रह्मचर्य की परीक्षा देनी पड़ती है। इसमें 6 महीने से लेकर 12 साल तक का समय लग जाता है। ब्रह्मचर्य की परीक्षा पास करने के बाद व्यक्ति को महापुरुष का दर्जा दिया जाता है। उनके लिए पांच गुरु भगवान शिव, भगवान विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश निर्धारित किए जाते हैं। इसके बाद नागाओं के बाल कटव कुंभ के दौरान इन लोगों को गंगा नंदी में 108 डुबकियां भी लगानी पड़ती हैं
महापुरुष के बाद ऐसे बनते हैं अवधूत
महापुरुष के बाद ही नागाओं की अवधूत बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। उन्हें स्वयं तमाम परीक्षाएं देनी पड़ती है। कुछ धार्मिक क्रियाओं के लिए 24 घंटे तक बिना कपड़ों के अखाड़े के ध्वज के नीचे खड़ा रहना पड़ता है। परीक्षाओं में सफल होने के बाद ही उन्हें नागा साधु बनाया जाता है।
जमीन पर सोते हैं
नागा साधू गले व हाथों में रुद्राक्ष और फूलों की माला धारण करते हैं. नागा साधुओं को सिर्फ जमीन पर सोने की अनुमति होती है. इसके लिए वह गद्दे का भी उपयोग नहीं कर सकते हैं। नागा साधु बनने के बाद उन्हें हर नियम का पालन करना अनिवार्य होता है। नागा साधूओं का जीवन बहुत रहस्मयी होता है। कुंभ के बाद वह कहीं गायब हो जाते हैं। कहा जाता है कि नागा साधु जंगल के रास्ते से देर रात में यात्रा करते हैं। इसलिए ये किसी को नजर नहीं आते।
यह हैं देश के 13 अखाड़े
आहवान अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, जूना अखाड़ा, अटल अखाड़ा, महानिर्माणी अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, भगनी अखाड़ा, बैराजी अखाड़े, पंचनदशनम अखाड़ा, उदासीन अखाड़ा, गुधर अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा देश के रजिस्ट्रर्ड अखाड़े है।
साधूओं की बात :
संत बनने के लिए 13 अखाड़ों की परंपरा अलग अलग होती है। इनके अलग इष्ट और अलग देवता होते है--- रमेश गिरि बनारस।
पंचदशनाम अखाड़े में बाल ब्रह्मचारी एवं जटिल नाग सन्यासी परंपरागत आज भी चले आ रहे है। आहवान अखाड़े और जूना अखाड़े सात गुरु होते हे--- महंत आकाश गिरि, महाराज।
प्रथम साधू बनने पर पांच गुरु होते हैं। जब कुंभ में प्रक्रिया होती है और हवन होने के बाद फिर नागा साधू बनाया जाता है--- महंत किशन गिरि महाराज।
एक दिगंबर गुरु होता है जो नागा बनाते हैं और सातवां गुरु आचार्य महामंडलेश्वर होते है। यही सन्यासियों की परंपरा है---महंत नीरज गिरि महाराज।
दिखाने लगे करतब
सोरों में नागा साधू अभी से करतब दिखाने लगे है। एक नागा साधू ने मंगलवार को गुप्तांग से अर्टिगा कार को खींचा यह करतब देखकर सोरों के लोग आश्चर्यचकित रह गए। अब स्याही में और भी तमाम करतब दिखाएंगे।
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