भारत से ही हमारे राष्ट्र की पहचान, इंडिया से नहीं- अनिला सिंह

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अमरोहा, अमृत विचार। भारत हमारा राष्ट्र है। भारतीय संस्कृति, भारतीय परंपरा हमारी पहचान है। इंडिया नाम अंग्रेजों की बनाई हुई पार्टी है। मुझे लगता है कि भारतीय परंपरा संस्कृति जो है। उसको अगर दोबारा पूरी तरह से जीवित करना है तो भारत नाम से ही हमारा राष्ट्र जाना जाना चाहिए। यह बात अमरोहा पहुंची भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिला सिंह ने मीडिया से कही।
मीडियो से बातचीत में उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि लोग दोबारा से इस संस्कृति को जीवित कर रहे हैं। अपनी आस्था का सम्मान कर रहे हैं। अपनी आस्था को जान रहे हैं, पहचान रहे हैं। उत्तर प्रदेश, पूरा राष्ट्र राममय हो रहा है। आप देख रहे हैं कि जनवरी में रामलला मंदिर का उद्घाटन हो रहा है।
यह सब हमारे भारतीय परंपरा आस्था संस्कृति है। हमारा राष्ट्र जिसका नाम भारत था, इंडिया नहीं, भारत से ही हमारे राष्ट्र की पहचान होनी चाहिए। इसी के तहत में लोगों से मिल भी रही हूं और और बहुत बड़ी ही तादाद में मुझे सपोर्ट सिस्टम मिल रहा है। लोग सहमत हैं और अपना समर्थन दे रहे हैं। मिसकॉल भी करते हैं।
लोग जुड़ भी रहे हैं। खुशी होती है जब मैं देखती हूं कि युवा पीढ़ी बहुत जोश के साथ इसका समर्थन कर रही है कि हमारा राष्ट्र भारत के नाम से पूरे विश्व में जाना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा एक चीज पूछना चाहती हूं इंडिया दैट इज़ भारत, भारत दैट इज़ इंडिया आर्टिकल नंबर एक हमारे संविधान में लिखा हुआ है।
एक राष्ट्र और दो नाम जब आप स्कूल कॉलेज में जाते हैं तो आप अपने दो नाम लिखते हैं। क्या दो नाम से आपकी पहचान होती है। नाम एक ही होता है तो फिर दो नाम किस लिए हैं। राष्ट्र एक है नाम भी एक होना चाहिए। ज्ञानवापी की याचिका को खारिज करने पर कहा कि जो कोर्ट का फैसला होता है, वह सर्वोपरि होता है।
उसके ऊपर किसी भी राजनीतिक दल को टीका टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। लेकिन मैं जानती हूं कि जो संघर्ष सनातन को मानने वाले कर रहे हैं, उसके लिए उनको सफलता जरूर मिलेगी। मौलाना तौकीर अहमद के फूट डालो राजनीति करो के बयान पर कहा कि यह वह लोग हैं, जिनको उल्टी सीधी बयान बाजी करनी होती है।।
जब तक यह बयान नहीं देंगे तब तक इनको मीडिया कवरेज नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र बिल्कुल नहीं टूट रहा है। राष्ट्र को अगर तोड़ा था तो 1947 में कांग्रेस पार्टी ने तोड़ा था। उसका अपना स्वार्थ था और अखंड भारत को खंड-खंड कर दिया था।