मुरादाबाद : अव्यवस्थाओं के बीच हुई नगर की खेल प्रतियोगिता, गड्ढायुक्त छोटे मैदान पर दौड़ा दिए बच्चे

मुरादाबाद : अव्यवस्थाओं के बीच हुई नगर की खेल प्रतियोगिता, गड्ढायुक्त छोटे मैदान पर दौड़ा दिए बच्चे

बेसिक शिक्षा विभाग की वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता में 50 मीटर की दौड़ में भाग लेतीं छात्राएं।

मुरादाबाद, अमृत विचार।   नगर क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों की वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता में शिक्षकों ने 23 कदम चौड़े व 25 कदम लंबे कंक्रीट और गड्ढायुक्त मैदान पर बच्चे दौड़ा दिए। बच्चों के पास न स्पोर्ट्स शूज भी नहीं थे। स्कूली शूज और नंगे पैर बच्चों ने दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया। कुछ बच्चे ही स्कूल से मिली स्पोर्ट्स टी शर्ट में नजर आए। 

बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों की 12 दिसंबर से 23वीं वाहिनी पीएसी मैदान वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताएं होनी हैं। लेकिन, जिम्मेदार अधिकारी नगर क्षेत्र के स्कूलों के वार्षिक खेलकूद भूल गए। अमृत विचार ने सोमवार के अंक में इसे प्रमुखता से उठाया तो अधिकारी जागे और आनन-फानन में नगर क्षेत्र के स्कूलों खेल जूनियर हाईस्कूल मऊ के परिसर में हुए। नगर क्षेत्र के 30 विद्यालयों के 400 बच्चों ने भाग लिया। लेकिन, इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलबाड़ किया गया। यहां छोटे से मैदान में एक बड़ा पेड़ और सरकारी नल भी था। इस मैदान पर 400 बच्चों की प्रतियोगिता कराना जोखिम भरा कदम था। 

मैदान में कंक्रीट की भरमार थी। 23 कदम चौड़े मैदान में एक साथ 15 से 20 बच्चे दौड़ा दिए। इतना ही नहीं हालात इतने खराब रहे कि मैदान में 100 मीटर दौड़ का आयोजन करा दिया। ऐसे में अगर किसी बच्चे के पैर में चोट या बच्चे छोटे मैदान में पेड़ या नल से टकरा जाते तो वह चोटिल हो सकते थे। लेकिन, जिम्मेदारों ने प्रतियोगिता की औपचारिकता को बच्चों की सुरक्षा की भी चिंता नहीं की। 

कंक्रीट भरे मैदान पर नंगे पैर दौड़े बच्चे
वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन ऐसे मैदान पर किया गया, जिसमें कंक्रीट की भरमार थी। इसमें नौनिहाल स्कूली जूते पहनकर व नंगे पैर दौड़े। इतना ही नहीं बच्चों ने स्कूली यूनिफार्म में भाग किया। कुछ ही बच्चे सिर्फ स्पोर्ट्स टी शर्ट में नजर आए। इनके पास भी न तो पैंट थी और न स्पोर्ट्स जूते। इतना ही नहीं यहां पर एबुंलेंस तक की व्यवस्था नहीं थी। 

खाली पेट खेले बच्चे, नहीं मिला खाना  
बच्चों को भले ही खाना नहीं मिला और उन्हें खाली पेट दौड़ना पड़ा, लेकिन शिक्षकों के लिए व्यवस्था वीआईपी से कम नहीं रहीं। 400 बच्चों के बैठने तक की व्यवस्था आयोजक नहीं कर पाए। सभी बच्चे घर से खाना खाकर आए थे, उनके लिए विद्यालय की ओर से खानपान की कोई व्यवस्था नहीं थी। सभी बच्चे पानी पीने के लिए स्कूल में लगे सरकारी नल पर निर्भर रहे।

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