Kanpur News: रोक के बावजूद कम उम्र में ब्याही जा रही बेटियां… एनएचएफएस रिपोर्ट पांच में हुआ ये खुलासा

कानपुर में रोक के बावजूद कम उम्र में ब्याही जा रही बेटियां।

Kanpur News: रोक के बावजूद कम उम्र में ब्याही जा रही बेटियां… एनएचएफएस रिपोर्ट पांच में हुआ ये खुलासा

कानपुर में रोक के बावजूद कम उम्र में बेटियां ब्याही जा रही। एनएचएफएस रिपोर्ट पांच में खुलासा हुआ। कम उम्र में शादी से सेहत व भविष्य को खतरा है।

कानपुर, अमृत विचार। बाल विवाह अपराध है, इसके बावजूद कानपुर महानगर में 18 वर्ष से कम उम्र की बेटियों की शादी की जा रही है। इस वजह से हिंसा, शोषण और यौन शोषण का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही कम उम्र में शादी से बेटियां की सेहत और भविष्य दोनों पर ही बुरा प्रभाव पड़ता है। उम्र से पहले शादी होने पर वह शिक्षा व स्वास्थ्य से वंचित रह जाती हैं और इसका नकारात्मक असर होने लगता है। 

मंडल में कानपुर महानगर में बालिका वधु की संख्या तेजी से बढ़ी है। शहर में कितनी बेटियां बालिका वधु बनीं, यह जानकारी हासिल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कुछ समय पहले 20 से 24 वर्ष की महिलाओं पर सर्वे किया था। सर्वे में चौंका देने वाले आंकड़े सामने आए हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे रिपोर्ट पांच (2019-21) के मुताबिक कानपुर में 10.9 फीसदी बेटियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हुई।

जबकि यह आंकड़ा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे रिपोर्ट चार (2015-16) में 7.8 फीसदी ही था। ये आंकड़े कानून की सख्ती के दावे को भी चोट पहुंचा रहे हैं। कम उम्र में मां बनने से जहां एक ओर महिला के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है वहीं, जन्म लेने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। आंकड़ों के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र की बेटियों की शादी के मामले में औरैया में एक प्रतिशत गिरावट आई है। 

सही समय पर गर्भधारण से बच्चा रहता स्वस्थ

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में जच्चा-बच्चा अस्पताल की प्रो. उरूज जहां ने बताया कि 18 साल से कम उम्र में लड़कियों की शादी करने से उनका विकास रुक जाता है। प्रसव में भी दिक्कतें आती हैं। विवाह के बाद कम से कम दो साल तक एक-दूसरे को समझने और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने का समय रखना चाहिए। लड़कियों का शरीर परिपक्व होने पर ही गर्भधारण के लिए ठीक होता है। लड़कियों की शादी 21-22 की उम्र में होने और 24-25 की उम्र में प्रथम गर्भधारण होने से बच्चा स्वस्थ होता है। प्रथम गर्भधारण के कम से कम तीन साल बाद दूसरे बच्चे के लिए दंपती को सोचना चाहिए। ताकि पहले बच्चे की देखभाल पूरी तरह से हो सके। 

मंडल के पांच जिलों में आई गिरावट 

एनएचएफएस सर्वे रिर्पोट पांच में जहां कानपुर महानगर में बालिका वधुओं की संख्या बढ़ी है। वहीं मंडल के अन्य जिलों औरैया, इटावा, कन्नौज, कानपुर देहात व फर्रुखाबाद में बालिका वधु के आंकड़ों में गिरावट आई है। 

जिला            सर्वे रिपोर्ट पांच व चार 

कानपुर नगर      10.9       7.8

कानपुर देहात    12.7      19.4

कन्नौज          10.4      16.7

फर्रुखाबाद      18.8       24.4

इटावा           16.3        22.8

औरैया           18.1       19.0

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