डीआईजी मुनिराज जी : जन सामान्य को पूरी तरह से संतुष्ट करना ही मेरी प्राथमिकता, मादक पदार्थों की तस्करी रोक अपराधियों पर कसेंगे शिकंजा

डीआईजी मुनिराज जी : जन सामान्य को पूरी तरह से संतुष्ट करना ही मेरी प्राथमिकता, मादक पदार्थों की तस्करी रोक अपराधियों पर कसेंगे शिकंजा

निर्मल पांडेय, अमृत विचार। राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र (एनसीआर) का सीधा प्रभाव और पड़ोस में उत्तराखंड की विविधताएं परिक्षेत्र में पुलिसिंग की सहूलियत और चुनौती दोनों हैं। क्षेत्र से सैलानियों का आना-जाना बना रहता है। सड़क और रेल मार्ग लोगों की हर तरह की यात्राओं का सहारा है। मगर पश्चिमी यूपी की संवेदनशीलता के भी यहां कई मायने हैं।

मुरादाबाद को पीतलनगरी के रूप में वैश्विक पहचान है। रामपुर, संभल, अमरोहा और क्षेत्रीय विस्तार के मामले में कई रिकार्ड समेटने वाला बिजनौर पुलिसिंग को लेकर बड़ी चुनौती भी है। अब परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मुनिराज जी क्षेत्र की भौगोलिक और सामाजिक चुनौतियों से बखूबी परिचित भी हो गए हैं। वह शासन की नीतियों का पालन और जन सामान्य को पूर्ण रूप से संतुष्ट करना अपनी प्राथमिकता मानते हैं। गुरुवार को इन्होंने अमृत विचार से विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बात की। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश....

सवाल : परिक्षेत्र पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और देश की राजधानी दिल्ली से सटा है, वहां के अपराधी भी यहां सक्रिय रहते हैं। पुलिस के लिए यह किस तरह की चुनौती है? 
जवाब : गैर राज्यों के अपराधी परिक्षेत्र के जिलों में ड्रग्स, शराब, चरस जैसे मादक पदार्थों की तस्करी करते हैं। इस कारोबार में वे लोग स्थानीय स्तर पर भी जड़े जमा लिए हैं। इन्हें रोकने के लिए हम अभियान चला रहे हैं। कार्रवाई हो रही है और अपराधियों को सजा भी मिल रही है। ऐसे लोगों को पकड़ने के लिए हमने लोकल सूत्र विकसित किए हैं। ऐसे मामलों में कमी आ रही है।

सवाल : पीड़ित की समस्या सुलझाने के लिए पुलिस को कितना संजीदा मानते हैं? 
जवाब : हमारा संदेश है कि पीड़ित व्यक्ति यदि थाने से संतुष्ट नहीं है तो सीधे एसपी-एसएसपी से मिले। वह अपनी बात कहे, यदि वहां पर भी संतुष्ट नहीं होता है तो हमारे पास आकर बताएं। हम उसकी समस्या का निस्तारित करेंगे। जनता को संतुष्ट करना हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। जनता को संतुष्ट करने के नई तरीके क्या हो सकते हैं, इस पर जोर दे रहे हैं। थानाध्यक्ष-सीओ कैसे सुनवाई कर रहे हैं? वह पीड़ित को संतुष्ट कर पा रहे हैं या नहीं, इस पर नजर रखी जा रही है। 

सवाल : न्यायालय में अपराध के लंबित मामलों पर पुलिस कितना गंभीर है? 
जवाब : न्यायालय में लंबित मामलों में अपराधी को सजा दिलाने के लिए हमारा कन्वेंक्शन (दोषसिद्ध) अभियान चल रहा है। इसमें काफी सफलता मिल रही है। रोजाना तीन-चार अपराधियों को सजा दिलाने में कामयाब हो रहे हैं। अभियोजन, विवेचक, अधिवक्ता, पैरोकार इनसे हमारा सीधा संपर्क रहता है। किसी वाद में अपराधी को सजा दिलाने में साक्ष्य आदि की कोई दिक्कत आ रही है तो उसे निस्तारित कर न्यायालय में मजबूत साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं। केवल मुरादाबाद की बात करें तो अगस्त, सितंबर व अक्टूबर तीन महीने में ही 5,639 अपराधियों को सजा दिलाई गई है। परिक्षेत्र के पांच जिलों में अगस्त-सितंबर में कुल 8,510 मामलों में अपराधियों को सजा मिली है।

सवाल : आम आदमी के लिए कानून की व्यवस्था को कितना प्रभावी मानते हैं? 
जवाब : देखिए, हमारा कहना है कि जो कानून को मानता उसे सुरक्षा मिलेगी और जो नहीं मानेगा उसे सजा मिलेगी। इसी दिशा में हम काम कर रहे हैं। व्यक्ति के अपराध करने से लेकर सजा दिलाने तक हम उसका पीछा नहीं छोड़ते हैं। अपराध और अपराधी को पुलिस आसानी से पहचान सके, ताकि समय से कार्रवाई हो। ऑपरेशन दृष्टि के तहत जन सहयोग से महानगर, शहर, कस्बों व गांवों में प्रमुख मार्गों, चौराहा-तिराहा व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगवा रहे हैं। परिक्षेत्र के जिलों में अब तक 50,000 से अधिक कैमरे लग भी गए हैं। 

सवाल : अपराधियों पर नजर रखने के लिए अन्य कोई उपाय? 
जवाब : जी हां, आगरा जोन के बाद मुरादाबाद परिक्षेत्र में ऑपरेशन पहचान के तहत टेक्नोलॉजी काे विकसित कर रहे हैं। इस ऐप पर चोरी करने वाले से लेकर हत्या, अपहरण, लूट आदि जितने भी श्रेणी के अपराध हैं, उनमें शामिल होने वाले प्रत्येक अपराधी का विस्तृत विवरण एकत्र कर रहे हैं। संबंधित अपराधी का फोटो भी रहेगा। ये फोटो बीट पुलिसकर्मी अपराधी की पहचान के लिए खुद करेगा और ऑपरेशन पहचान सेल में उपलब्ध कराएगा। इस टेक्नोलॉजी से हम अपराधी पर आसानी से लगातार निगरानी कर सकेंगे। उसने पूर्व में कितने अपराध किए हैं, ये विवरण भी रहेगा। 

सवाल : अवैध खनन व परिवहन को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठते हैं? 
जवाब : अवैध खनन और उसके परिवहन को रोकने के लिए हर जिले में टास्क फोर्स है। जिले पर डीएम-एसपी, तहसील में एसडीएम-सीओ की जिम्मेदारी है। परिवहन और खनन विभाग भी है। इनको अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए। खनन में शामिल कोई वाहन अवैध तरीके से न चले, इसको लेकर हमने कड़े निर्देश जारी किए हैं। यदि इस मामले में हमारा कोई पुलिसकर्मी संलिप्त मिलता है तो हम उसे बख्शेंगे नहीं।

सवाल : चार महीने के कार्यकाल में किस अपराध को बड़ी चुनौती मानते हैं? 
जवाब : जी, 10 अगस्त को पार्श्वनाथ प्रतिभा सोसाइटी में भाजपा नेता अनुज चौधरी हत्याकांड और अमरोहा में डबल मर्डर ये दोनों घटनाएं चुनौतीपूर्ण थीं। लेकिन, हमारी पुलिस ने इन पर अच्छा काम किया है। वैसे परिक्षेत्र में कोई बड़े अपराध नहीं है। गांव के चौकीदार की सक्रियता पर भी हम जोर दे रहे हैं, इससे हमें अपराधी के बारे में अच्छा इनपुट मिल रहा है।

सवाल : थानों पर पुलिस आवास और अन्य सुविधाओं काे लेकर विभाग को कितना आत्मनिर्भर मानते हैं? 
जवाब : अब थानों पर पुलिस की सुविधाएं कम नहीं हैं। बैरक बन गए हैं। बाकी जगह पर बनाए जा रहे हैं। भोजन-पानी की भी अच्छी सुविधाएं हैं। हम किसी भी पुलिसकर्मी को छुट्टी के लिए नहीं रोकते हैं। हां, चुनाव या अन्य कोई बड़े इवेंट पर पुलिसबल को देखते हुए छुट्टी के प्रार्थना पत्र पर निर्णय करते हैं। लेकिन, यदि वाकई जरूरत है तो उस दौर में भी छुट्टी को मना नहीं करते।

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