शिक्षक दिवस : गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु...आइए जानें ये कैसे निभा रहे हैं अपनी गुरुतर जिम्मेदारी?

शिक्षक दिवस : गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु...आइए जानें ये कैसे निभा रहे हैं अपनी गुरुतर जिम्मेदारी?

देश के पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नमन।

मुरादाबाद, अमृत विचार। देश के पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (5 सितंबर 1888) का आदर जन-जन में है। यह दिन गुरू का है। सच तो यह है कि हर दिन शिक्षक का होता है। मगर, इस मौके पर छात्र अपने गुरुजनों के प्रति सम्मान व प्यार प्रकट कर उनके संदेश के अनुगामी होते हैं। महानगर में भी विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे कई किरदार हैं। जो इस दौर में भी निस्वार्थ और निशुल्क अपनी कला से उभरती प्रतिभाओं का भविष्य संवार रहे हैं। शिक्षक दिवस के हमारे समाचारीय अभियान में उनकी संक्षिप्त चर्चा है। आइये, अमृत विचार से मौजूदा दौर के गुरुजनों के बारे में जानते हैं-

महिलाओं को निशुल्क नक्काशी का गुर दे रहे शिल्पगुरु
मुरादबाद। पद्मश्री दिलशाद हुसैन महिलाओं को निशुल्क नक्काशी सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं। दुनिया भर में यहां के पीतल उत्पाद मशहूर है। यहां बने उत्पाद देश-विदेश में निर्यात किए जाते हैं। दिलशाद अपने हुनर और नक्काशी से पीतल के उत्पादों को इतना सुंदर और आकर्षित बनाते हैं कि देश-विदेश में लोग इन्हें पसंद करते हैं। अब वह महिलाओं को मुफ्त में नक्काशी करना सिखाते हैं। जिससे वह आत्मनिर्भर बनकर अपना जीवन यापन कर रही हैं। बताया कि मैं चाहता हूं कि महिलाएं भी इस काम में आगे आएं और नक्काशी सीखें। जिससे वह आत्मनिर्भर बनें और घर बैठे ही अपना जीवन यापन कर सकें।

रसोइयों को शिक्षित कर रहीं डॉ.सुधा सिरोही
मुरादबाद। कुंदरकी में नगला सालार प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका डॉ.सुधा सिरोही ने एक अनूठी पहल की है। वह स्कूल में सिर्फ बच्चों की पढ़ाई को लेकर ही काम नहीं कर रही हैं। बल्कि स्कूल में रसोइयों के पद पर कार्यरत महिलाओं को शब्दों का ज्ञान दे रही हैं। कोरोनाकाल में रसोईया शरीफन और शायरून को पढ़ाने से शुरू किया डॉ.सिरोही का यह सफर जारी है। अब वह तीसरे रसोईया सावित्री को भी शिक्षित कर रही हैं। तीनों अब अंगूठा लगाने के बजाय हस्ताक्षर करतीं हैं। डॉ.सिरोही ने बताया कि जब मैं यहां आई थी। तब इन्हें पढ़ना-लिखना भी नहीं आता था। आज यह अपने काम करने में खुद सक्षम हैं। आगे भी मेरा ऐसी महिलाओं को शिक्षित करने का प्रयास रहेगा।

कोच इकबाल हॉकी खिलाड़ियों को दे रहे निशुल्क सेवा
मुरादबाद। महानगर का जीआईसी हॉकी मैदान किसी पहचान का मोहताज नहीं हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी युवा हॉकी खिलाड़ियों को कोचिंग दे रहे इकबाल खान की लगन बेमिसाल है। रेलवे में कार्यरत इकबाल खान 2005 से खिलाड़ियों को निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। जरूरतमंद खिलाड़ियों को किट आदि देने का भी प्रयास करते हैं। बताते हैं कि मैंने यह नौकरी नेशनल लेवल पर खेलकर पाई है। मैं चाहता हूं कि कोई खिलाड़ी आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से खेल से दूर न हो। मेरा लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों का भविष्य सुरक्षित करना है।

कमजोरों की मदद कर रहे सौरभ और शिवम
मुरादबाद। नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्पोर्ट्स स्टेडियम ने देश को दो बार के वर्ल्ड कप विजेता टीम के हिस्सा रहे लेग स्पिन गेंदबाज पीयूष चावला और मौजूदा क्रिकेट भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी जैसे सितारे दिए हैं। मगर सुविधाओं के अभाव में आर्थिक रूप से कमजोर खिलाड़ी पिछड़ रहे हैं। ऐसे ही खिलाड़ियों के हौसले को रामगंगा विहार के सौरभ और हरथला निवासी शिवम कुमार पंख लगा रहे हैं। दोनों लंबे समय से ऐसे खिलाड़ियों को किट आदि वितरित करके उनकी मदद कर रहे हैं। शिवम स्टेडियम में निशुल्क सहायक कोच की भूमिका निभा रहे हैं। शिवम ने बताया कि उन्होंने क्रिकेट खेलते हुए आर्थिक परेशानियों का सामना किया है। इसलिए वह खिलाड़ियों को निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं।

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