मुरादाबाद: नवजात की मौत पर अस्पताल में हंगामा, परिजन बोले- इमरजेंसी फीस लेकर भी देखने नहीं आए डॉक्टर... स्टाफ मंगवाता रहा दवाएं

लापरवाही: इमरजेंसी फीस लेकर भी देखने नहीं आए डॉक्टर, अप्रशिक्षित स्टाफ करता रहा इलाज, मरने के बाद भी दवा लाने को दिए पर्चे, परिजनों के हंगामे के बाद अस्पताल पहुंचा डॉक्टर

मुरादाबाद: नवजात की मौत पर अस्पताल में हंगामा, परिजन बोले- इमरजेंसी फीस लेकर भी देखने नहीं आए डॉक्टर... स्टाफ मंगवाता रहा दवाएं

मुरादाबाद, अमृत विचार। लाजपतनगर के रॉयल हॉस्पिटल में अप्रशिक्षित स्टॉफ की लापरवाही से शनिवार को नवजात की जान चली गई। नवजात की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा काटा। पुलिसकर्मी हॉस्पिटल आए तो नवजात के इलाज में कुल 4200 रुपये खर्चे में से डॉक्टर ने 4000 रुपये भी वापस कर दिए। तहरीर देने पर पुलिसकर्मियों ने मृतक नवजात का पोस्टमार्टम कराया जाना जरूरी बताया तो पीड़ित पक्ष ने हॉस्पिटल के विरुद्ध तहरीर भी नहीं दी।

मृतक के पिता का आरोप है कि इमरजेंसी फीस लेने के बावजूद डॉक्टर उसके बीमार बच्चे को देखने तक नहीं आए। अप्रशिक्षित स्टाॅफ ही बच्चे का इलाज करता रहा। उसके बच्चे के इलाज में हॉस्पिटल के डॉक्टर ने लापरवाही बरती, इसी वजह से उसके बच्चे की मौत हो गई। इस मामले में रॉयल हॉस्पिटल संचालक और स्टॉफ अपना पक्ष देने के लिए सामने नहीं आया। यह हॉस्पिटल कटघर थाना क्षेत्र में लाजपत नगर में स्थित है। इस हॉस्पिटल को डॉक्टर मोहम्मद फरीद संचालित करते हैं। हॉस्पिटल के बाहर बोर्ड पर नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ लिखा हुआ है। हॉस्पिटल के बाहर पीड़ित परिवार वाले रॉयल हॉस्पिटल के संचालक पर तमाम आरोप लगा रहे थे। 

डिलारी थाना क्षेत्र के काजीपुरा गांव निवासी राशिद ने बताया कि उसकी पत्नी तरन्नुम ने 8 दिन पहले बेटे को जन्म दिया था। बच्चे को पीलिया और हल्का बुखार था। जिस पर वह शुक्रवार रात करीब 8 बजे रॉयल हॉस्पिटल लेकर आए थे। राशिद के मुताबिक, उनके हॉस्पिटल पहुंचते ही स्टॉफ ने उनसे डॉक्टर की इमरजेंसी फीस के नाम पर 800 रुपये जमा करा लिए। लेकिन, काफी देर होने के बाद भी डॉक्टर मोहम्मद फरीद बच्चे को देखने नहीं आए। 

स्टॉफ ने फोन पर ही डॉक्टर से बात की और बच्चे को भर्ती कर उन लोगों ने इलाज शुरू कर दिया। राशिद का आरोप है कि उन्होंने हॉस्पिटल के स्टॉफ के कहने पर रात में ही 3200 रुपये की दवाएं लाकर दी थीं। थोड़ी देर बाद ही स्टॉफ ने उनसे कहा कि बच्चे की हालत बिगड़ रही है। इसलिए उसे वेंटीलेटर पर लेना पड़ेगा। हॉस्पिटल के स्टॉफ की सलाह पर राशिद ने बच्चे को वेंटीलेटर पर लेने को हां कर दी। जैसे-तैसे रात गुजरी। राशिद का कहना है कि शनिवार सुबह 5 बजे जब वह अपने बेटे को देखने के लिए गए तो उसकी सांस नहीं चल रही थी। 

स्टॉफ उनको वेंटीलेटर कक्ष से भगाने लगा। धक्का दे दिया जिस पर उसने मोबाइल से हॉस्पिटल की गतिविधियों को कैद करते हुए वीडियो बनानी शुरू कर दी। आरोप है कि हॉस्पिटल के स्टाॅफ ने राशिद से बदतमीजी कर धक्का देते हुए वेंटीलेटर कक्ष से बाहर निकाल दिया। फिर थोड़ी देर बाद नर्सिंग स्टॉफ ने 200 रुपये का एक इंजेक्शन उनसे मंगवाया। कुछ देर बाद फिर नर्सिंग स्टाॅफ ने एक कागज पर फिर से दवाएं लिखकर एक पर्ची उन्हें दी और बाजार से दवाएं खरीदकर लाने को कहा। जिस पर राशिद ने स्टॉफ कर्मियों से कहा कि जब उनका बच्चा जीवित ही नहीं है तो अस्पताल के स्टॉफ कर्मी दवाएं मंगा कर क्या करेंगे? राशिद ने बताया कि बच्चे की मौत के बाद भी स्टाफ उनसे दवाएं मंगाता रहा जबकि, डॉक्टर एक बार भी बच्चे को देखने नहीं आए।

पुलिस के पहुंचने पर हॉस्पिटल आए डॉक्टर
राशिद ने बताया कि नवजात बेटे को रात आठ बजे रॉयल हॉस्पिटल में लाकर भर्ती कराया था। लेकिन, पूरी रात गुजर गई। सुबह के 11 बज गए, डॉक्टर मोहम्मद फरीद हॉस्पिटल में उनके बेटे को देखने ही नहीं आए। जब राशिद की गुहार सुनकर पुलिसकर्मी हॉस्पिटल आए तो उसके बाद ही डॉक्टर मोहम्मद फरीद आए थे।

सीएचसी में कराया था प्रसव
राशिद दिल्ली में स्टील पॉलिश का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने पत्नी की डिलीवरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डिलारी में कराई थी। उसके बेटे को जन्म दिया था। इससे बड़ी उनके डेढ़ साल की बेटी है। राशिद ने बताया कि उनके एक बेटी और बेटा हो गया था, इस तरह उनका परिवार पूरा हो गया था लेकिन, रॉयल हॉस्पिटल की लापरवाही से उनका बेटा बच नहीं पाया। प्रसव के बाद पत्नी भी अभी ठीक नहीं हैं।

सीएमओ ने नहीं रिसीव किया फोन
इस मामले में जब रॉयल रॉयल हॉस्पिटल का पक्ष नहीं मिला तो सीएमओ डॉ. कुलदीप सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गई। सीएमओ को उनके सीयूजी व व्यक्तिगत नंबर पर भी कई बार कॉल की गई लेकिन, उनका भी फोन रिसीव नहीं हुआ।

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