भाषा विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर निलंबित, कार्यपरिषद ने लिया निर्णय

लखनऊ, अमृत विचार। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में कार्यरत एक असिस्टेंट प्रोफेसर को निलंबित कर दिया गया है। उनके निलंबन पर कार्यपरिषद ने मुहर लगा दी है। डिग्री के संबंध में गलत जानकारी देने को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। हालांकि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा।
ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में वर्ष 2020 में पॉलिटिकल साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तबिंदा सुल्ताना की नियुक्ति हुई थी। उनकी नियुक्ति को पूर्व में चुनौती दी गई थी और मामले की प्राथमिक जांच कराई गई। शासन से भी विश्वविद्यालय को जांच कराने को कहा गया था। तबिंदा सुल्ताना ने परास्नातक एमए पालीटिक्ल साइंस मानव भारतीय विश्वविद्यालय सोलन हिमाचल प्रदेश से करने संबंधी प्रपत्र विश्वविद्यालय में दाखिल किए थे।
विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार भावना मिश्रा ने बताया कि उक्त डिग्री के संबंध में मानव भारती विश्वविद्यालय से जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया था। विश्वविद्यालय से आई रिपोर्ट में कहा गया कि इस नंबर से कोई पंजीकरण नहीं हुआ है और न ही अभिलेखों में इस नाम का कोई मिला है। गुरुवार को हुई कार्यपरिषद में उन्हें निलंबित करने का निर्णय लिया गया है।
रजिस्ट्रार भावना मिश्रा ने बताया कि अनुशासनात्मक समिति मामले की पूर्व से ही जांच कर रही है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी पाया है। साथ ही आरोप पत्र को भी अनुमोदित कर दिया गया है। अब उन्हें चार्जशीट दी जाएगी और जवाब देने का समय दिया जाएगा।
बताया कि तबिंदा को सोशल साइंस विभाग के साथ संबंद्ध कर दिया गया है। इस संबंध में जब तबिंदा सुल्ताना से उनका पक्ष पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गुरुवार को विश्वविद्यालय में ही उनका स्वास्थ्य कुछ खराब हो गया था। आज वे अवकाश पर हैं और इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। जानकारी होने पर ही बात करेंगी।
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