वार्षिक वन क्षेत्र वृद्धि में तीसरे स्थान पर भारत: आर्थिक समीक्षा
नई दिल्ली। सरकार की स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और गरीबी उन्मूलन से संबंधित नीतियों के कारण दुनिया में वार्षिक वन क्षेत्र वृद्धि में भारत तीसरे स्थान पर आ गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए कहा कि भारत विश्व के सबसे महत्वाकांक्षी स्वच्छ ऊर्जा वितरण और पारेषण कार्यक्रमों में प्रमुखता से भागीदारी कर रहा है और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए अपने कर्तव्यों के प्रति वचनबद्ध है।
ये भी पढ़ें - सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023 में 9.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद: आर्थिक समीक्षा
उन्होंने कहा कि भारत का जलवायु दृष्टिकोण विकास के साथ गंभीरता से जुड़ा हुआ है। भारत ने गरीबी उन्मूलन के उपायों और अपने सभी नागरिकों का आधारभूत कल्याण सुनिश्चित करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं। उन्होंने बताया कि भारत का वन क्षेत्र वर्ष 2010 से 2020 के बीच की अवधि में औसत वार्षिक वन क्षेत्र की बढ़ोतरी के संबंध में वैश्विक रूप से तीसरा स्थान है।
समीक्षा के अनुसार इस वृद्धि का श्रेय मुख्य रूप से राष्ट्रीय और राज्यों सरकारों की नीतियों तथा मजबूत ढांचे को ही जाता है। इनसे वन क्षेत्र को बढ़ावा मिला और उनका संरक्षण सुनिश्चित हुआ है। ग्रीन इंडिया मिशन तथा प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण आदि योजनाओं का इस उपलब्धि में विशेष महत्व है।
भारतीय राज्यों में अरुणाचल प्रदेश के वनों में सर्वाधिक कार्बन स्टॉक मौजूद हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर में अधिकतम प्रति हेक्टेयर कार्बन स्टॉक 173.41 टन है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि भारत ने पारिस्थिकी तंत्र के संरक्षण के लिए केन्द्रीय प्रयासों के महत्वपूर्ण हिस्सों के रूप में भारत में 75 रामसर स्थल हैं। वर्ष 2021 के दौरान देश में मैंग्रोव क्षेत्र में 364 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिए बहुत कम समय में पंसदीदा स्थल बन गया है। वर्ष 2014 से 2021 की अवधि के दौरान भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 78.1 अरब डॉलर का निवेश आया था। आर्थिक समीक्षा के अनुसार वर्ष 2029-30 के अंत तक संभावित स्थापित क्षमता 800 गीगा वाट से अधिक होने की उम्मीद है, जिसमें से 500 गीगा वाट के लिए गैर-जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल होगा।
यह अनुमान लगाया गया है कि 2014-15 की तुलना में 2029-30 तक औसत उत्सर्जन दर में करीब 29 प्रतिशत की गिरावट आएगी। भारत को एक स्वतंत्र ऊर्जा राष्ट्र बनाने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों को डी-कार्बोनाइज करने के उद्देश्य से सरकार ने 19,744 करोड़ रुपये के प्रारंभिक परिव्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाईड्रोजन मिशन को स्वीकृति प्रदान की है।
इसके परिणाम स्वरूप 2050 तक कुल कार्बन डाइ ऑक्साइड उर्त्सन में 3.6 गीगा टन की कमी आएगी। समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने के उद्देश्य से एक सांकेतिक कलेंडर जारी किया है। इन बॉन्ड का कुल मूल्य 16,000 करोड़ रुपये है।
समीक्षा के अनुसार भारत ने 2018 में ही बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल कर लिया था, जबकि इसके लिए समय-सीमा चार वर्ष बाद 2022 तक के लिए निर्धारित थी। एशियाई शेरों की संख्या में भी बहुत तेज गति से बढ़ोतरी हुई है, जहां वर्ष 2015 में 523 शेर थे, 2020 में उनकी संख्या बढ़कर के 674 हो गई है।
ये भी पढ़ें - MSME के लिए ऋण वृद्धि तेज रहने की संभावना: आर्थिक समीक्षा