भारतीय सेना जल्द ही बनेगी दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में एक: राजनाथ सिंह

भारतीय सेना जल्द ही बनेगी दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में एक: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत ने रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए मजबूत कदम उठाए हैं और जल्द ही हमारी सशस्त्र सेना दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में से एक होगी। रक्षा मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार सिंह पोर्ट ब्लेयर में अंडमान-निकोबार कमान की परिचालन तैयारियों और परिचालन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास की समीक्षा की।

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यह देश की एकमात्र ऑपरेशनल संयुक्त-सेना कमान है, जिसका मुख्यालय पोर्टब्लेयर में है। उन्होंने कहा कि सरकार सशस्त्र बलों की दक्षता और ताकत बढ़ाने के लिए सभी प्रयास कर रही है। सिंह ने कहा, “ प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में, हमने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है।

हमने 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' विजन को साकार करने की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं। हमारी सशस्त्र सेना जल्द ही दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में से एक होगी। यह हमारा विजन भी है और हमारा मिशन भी।” रक्षा मंत्री ने इस अवसर अरुणाचल में नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ झड़प की ओर संकेत करते हुए उस बहादुरी और मुस्तैदी का विशेष उल्लेख किया, जिसके साथ सशस्त्र बलों ने उत्तरी क्षेत्र में हाल की स्थितियों से निपटा।

रक्षा मंत्री को समीक्षा के दौरान अंडमान-निकोबार संयुक्त कमान के कमांडर-इन-चीफ अंडमान लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने रक्षा मंत्री को अंडमान-कोबार द्वीप समूह की भू-रणनीतिक क्षमता और इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को बढ़ाने और सैन्य अभियानों को समर्थन देने में उनकी भूमिका के बारे में जानकारी दी। जनरल सिंह ने रक्षा मंत्री को कमान की उपलब्धियों, भविष्य की योजना और चुनौतियों के बारे में भी जानकारी दी।

उन्होंने सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को आगे बढ़ाने और देश के समुद्री पड़ोसियों के साथ 'ब्रिज ऑफ फ्रेंडशिप' का निर्माण करके क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) के मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने में अंडमान-निकोबार कमान द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

रक्षा मंत्री वहां संयुक्त ऑपरेशंस सेंटर (जेओसी) का भी दौरा किया, जो निगरानी, संचालन के संचालन और रसद समर्थन के लिए एकीकृत योजना का प्रमुख केंद्र है। अधिकारियों और जवानों के साथ बातचीत करते हुए, रक्षा मंत्री ने मानवतावादी सहायता, आपदा राहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और समुद्री क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए अंडमान-निकोबार कमान की सराहना की।

रक्षा मंत्री अंडमान-निकोबार कमान की समीक्षा के लिए दौ दिन के दौरे पर आज ही दिल्ली से यहां पहुंचे। उन्होंने ‘क्वाड-सर्विस गार्ड ऑफ ऑनर’ का निरीक्षण किया और संकल्प स्मारक गए। यह स्मारक 29 दिसंबर, 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ऐतिहासिक आगमन की स्मृति में बनाया गया है।

उन्होंने नेताजी द्वारा गठित आज़ाद हिंद फौज (आईएनए)के सैनिकों के बलिदान का सम्मान करने के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की। पोर्ट ब्लेयर में उनके आगमन पर, अंडमान- निकोबार द्वीप समूह के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल डी के जोशी (सेवानिवृत्त) तथा सैन्य बालों और स्थानीय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। जनवरी 2019 के बाद से रक्षा मंत्री की इंदिरा पॉइंट की यह पहली यात्रा है।

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