MP के पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय में गूंज रही किलकारी, खोला पालनाघर
इंदौर। मध्यप्रदेश में अपनी तरह के पहले प्रयोग के तहत इंदौर के पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय में छोटे बच्चों की देख-भाल के लिए पालनाघर खोला गया है।
इस सुविधा से खासतौर पर उन महिला प्रशिक्षणार्थियों को मदद मिल रही है जिन्होंने अपने पति को खोने के बाद खाकी वर्दी पहनकर जीवन की नई शुरुआत की है।
पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय की पुलिस अधीक्षक हितिका वासल ने मंगलवार को एक न्यूज एजेंसी को बताया, हमने देखा कि हमारे प्रशिक्षण केंद्र में ऐसी महिलाएं भी आती हैं जिनके छोटे बच्चे होते हैं।
अपने बच्चों की देख-भाल का उचित इंतजाम नहीं होने से उन्हें प्रशिक्षण लेने में बड़ी दिक्कत होती है और कई बार तो उन्हें अपना प्रशिक्षण टालना भी पड़ता है। उन्होंने बताया कि ऐसी महिला प्रशिक्षणार्थियों की मदद के लिए पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय के छात्रावास वात्सल्य में किलकारी नाम का पालनाघर खोला गया है जिसमें 20 बच्चों की देख-भाल की जा सकती है।
वासल ने बताया कि राज्य में अपनी तरह के पहले पालनाघर में बच्चों के मनोरंजन के लिए जहां खिलौनों और टेलीविजन का इंतजाम है, वहीं उनकी शुरुआती पढ़ाई के लिए एक शिक्षिका की नियुक्ति भी की गई है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पालनाघर के परिसर में ही उस जगह का भी इंतजाम है जहां महिला प्रशिक्षणार्थियों का कोई परिजन उनके बच्चों की देख-भाल के लिए रह सकता है।
पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय की महिला प्रशिक्षणार्थियों में शामिल प्रिया यादव (25) ने बताया कि वह सात महीने की गर्भवती थीं, जब बैतूल जिले में तैनात उनके पुलिस आरक्षक पति दिलीप यादव की एक सड़क हादसे में अचानक मौत हो गयी।
उन्होंने बताया कि पति की मौत के बाद उन्हें राज्य सरकार ने पुलिस विभाग में ही आरक्षक के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति दी है और अब वह अपनी नन्ही बेटी के साथ पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय में रहकर खुद को जिंदगी की नयी शुरुआत के लिए तैयार कर रही हैं।
मूलत: खंडवा जिले की रहने वाली यादव ने कहा, पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय में हमारा शारीरिक प्रशिक्षण अलसुबह शुरू हो जाता है और रात तक हमारी कक्षाएं चलती रहती हैं।
ऐसे में महाविद्यालय के पालनाघर की वजह से मुझे अपनी बेटी की देख-भाल में बड़ी मदद मिल रही है और मैं निश्चिंत होकर प्रशिक्षण ले पा रही हूं।
पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय की निरीक्षक शैलजा भदौरिया ने बताया कि इस केंद्र में फिलहाल 200 रंगरूट आरक्षक का प्रशिक्षण ले रहे हैं जिनमें 118 महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन रंगरूटों को मैदानी तैनाती से पहले नौ महीने का कड़ा शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण लेना होता है।
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