भाकियू ने बौद्ध परिपथ पर लगाया जाम, वाहनों की लगी कतार

अमृत विचार, बहराइच। भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर में अपने 10 सूत्री मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। धरने के दौरान ज्ञापन लेने के लिए नगर मजिस्ट्रेट नहीं पहुंची। इससे कैसे नाराज किसानों ने कलेक्ट्रेट के सामने बौद्ध परिपथ पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शन के चलते वाहनों की …
अमृत विचार, बहराइच। भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर में अपने 10 सूत्री मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। धरने के दौरान ज्ञापन लेने के लिए नगर मजिस्ट्रेट नहीं पहुंची। इससे कैसे नाराज किसानों ने कलेक्ट्रेट के सामने बौद्ध परिपथ पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शन के चलते वाहनों की लंबी कतार लग गई। कुछ देर बाद नगर मजिस्ट्रेट धरना स्थल पहुंची। उन्होंने किसानों से ज्ञापन लिया। तब मामला शांत हुआ।
भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष मोहनलाल की अगुवाई में सैकड़ों किसान सोमवार को कलेक्ट्रेट के धरना स्थल में प्रदर्शन करने पहुंचे। किसान धान की खरीद सुचारु रुप से करने, पराली प्रबंधन की व्यवस्था, आवारा मवेशियों से फसल को बचाने, ट्रैक्टर ट्राली पर लगाया गया जुर्माना को हटाने, बेमौसम बारिश से हुई क्षति में मुआवजा और चिलवरिया चीनी मिल में बकाया किसानों को दिलाने समेत 10 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना दे रहे थे। दोपहर 2:00 बजे तक किसानों का धरना चलता रहा।
लेकिन सूचना के बाद भी नगर मजिस्ट्रेट ज्ञापन लेने नहीं पहुंची। इससे किसान नाराज हो गए सभी ने सड़क जाम करने की चेतावनी दी। फिर सभी किसान कलेक्ट्रेट के सामने बौद्ध परिपथ पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। दोनों तरफ से वाहनों की लंबी कतार लग गई कोतवाली नगर, देहात और बौंडी के प्रभारी निरीक्षक भी मौके पर पहुंच गए।
सभी ने किसानों को समझाया। साथ ही कुछ देर में नगर मजिस्ट्रेट के आने की बात कही। इस पर किसान धरना स्थल पहुंचे। 10 मिनट बाद नगर मजिस्ट्रेट ज्योति राय को सभी ने 10 सूत्रीय मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया। सदर एसडीएम सुभाष सिंह धामी, कोतवाल, उप निरीक्षक के अलावा महिला और पुरुष सुरक्षा में मुस्तैद रहे। इस दौरान काफी संख्या में महिला और पुरुष किसान एवं संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहे।
मुझे जीने का अधिकार नहीं
कलेक्ट्रेट के धरना स्थल नगर मजिस्ट्रेट ज्योति राय तीन बजे पहुंची। इस पर एक किसान ने समस्या बताते हुए संविधान के बारे में दुहाई देने लगा। इसको देख नगर मजिस्ट्रेट ने कहा कि क्या मुझे जीने का अधिकार नहीं है। मेरी तबियत खराब थी। जिससे आने में असमर्थ थी।
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