बरेली में गरीब नवाज के दरबार की याद दिलाएगा बुलंद दरवाजा

बरेली में गरीब नवाज के दरबार की याद दिलाएगा बुलंद दरवाजा

मोनिस खान, बरेली, अमृत विचार। शहर की ऐतिहासिक खानकाह-ए-नियाजिया के साथ एक और नया अध्याय जल्द जुड़ने वाला है। सूफियों की चौखट को चूमने के बाद निहारने के लिए अब सर बुलंद करना होगा। क्योंकि खानकाह-ए-नियाजिया में पिछले करीब तीन साल से निर्माणाधीन बुलंद दरवाजा अपने अंतिम स्वरूप में पहुंचने को है। जल्द यह दरवाजा आने …

मोनिस खान, बरेली, अमृत विचार। शहर की ऐतिहासिक खानकाह-ए-नियाजिया के साथ एक और नया अध्याय जल्द जुड़ने वाला है। सूफियों की चौखट को चूमने के बाद निहारने के लिए अब सर बुलंद करना होगा। क्योंकि खानकाह-ए-नियाजिया में पिछले करीब तीन साल से निर्माणाधीन बुलंद दरवाजा अपने अंतिम स्वरूप में पहुंचने को है। जल्द यह दरवाजा आने वाले जायरीन के लिए खोल दिया जाएगा।

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21 वीं सदी में मुगलकालीन हस्तशिल्प का बेहतरीन नमूना साबित होगा। फारसी, तुर्की व भारतीय वास्तुकला का मिश्रण इसमें दिखाई देगा। खास बात यह है कि दरवाजे को अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के बुलंद दरवाजे की तर्ज पर बनाया गया है, जो बरेली में अजमेर के गरीब नवाज की याद दिलाएगा। हालांकि इस पर उकेरी गई शिल्पकारों की कला इसे अजमेर के बुलंद दरवाजे से अलग करेगी।

सूफी परंपरा के अजीम बुजुर्ग नियाज बेनियाज हजरत शाह नियाज अहमद की यह खानकाह दुनिया भर में मशहूर है। बॉलीवुड की बड़ी हस्तियां हों या संगीत जगत से जुड़े सितारे या फिर कोई आम अकीदतमंद। यह किसी के लिए यह दरबार बेहद पाकीजा है। खानकाह में प्रवेश के लिए यूं तो कई रास्ते हैं। मगर मौजूदा समय में गली के अंदर मुख्य द्वार है। बुलंद दरवाजे की तामीर हो जाने के बाद गली के बाहर एक मुख्य रास्ता यहां आने वाले जायरीन के लिए शुरू हो जाएगा।

करीब 65 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे में पच्चीकारी, मीनाकारी व नक्काशी का कार्य लगभग अपने अंतिम चरण में है। इसके अलावा मेहराबें, मीनारें, संगमरमर की जालियां भूरे और सफेद रंग में इसकी खूबसूरती को निखार रही हैं। फूल पत्तियों में नीले, हरे, भूरे रंग की मीनाकारी किसी मुगलकालीन इमारत से कम नहीं। इसको बनाने में लाल पत्थर व मकराना संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। जो निर्माण अभी बचा हुआ है वो अगले तीन महीने तक पूरा हो जाने की बात कही जा रही है। यह काम पूरा हो जाने के बाद फव्वारा, झाड़, फारनूस आदि से भी इसको सजाया जाएगा।

हसनी मियां ने उठाया था तामीर का बीड़ा
कई साल पहले खानकाह के पूर्व सज्जादानशीन हजरत हसनी मियां ने इस बुलंद दरवाजे की तामीर कराने का बीड़ा उठाया था। लगभग तीन साल पहले निर्माण कार्य शुरू किया गया। लेकिन साल 2020 में उनका निधन हो गया। जिसके बाद उनके बेटे और खानकाह के मौजूदा सज्जादानशीन मेहंदी मियां की निगरानी में बुलंद दरवाजे काम जारी रखा गया।

राजस्थान व तेलंगाना के कारीगर कर रहे तामीर
खानकाह के प्रबंधक शाह मोहम्मद सिब्तैन उर्फ शब्बू मियां नियाजी के मुताबिक बुलंद दरवाजे की तामीर के लिए खास तौर से बाहर से कारीगर बुलाए गए हैं। राजस्थान, तेलंगाना व गुजरात के हस्तशिल्पी अपनी कला का नमूना इस बुलंद दरवाजे के रूप में पेश करेंगे। इसके अलावा यह बुलंद दरवाजा यहां आने वाले जायरीन के लिए एक सेल्फी प्वाइंट के रूप में भी जल्द जाना जाएगा।

पिछले तीन साल से बुलंद दरवाजे का निर्माण खानकाह-ए-नियाजिया में कराया जा रहा है। तीन से चार महीने के अंदर निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर मौजूद बुलंद दरवाजे की तर्ज पर इसे बनाया गया है। बाहर से आए कारीगर अपना हुनर दिखा रहे हैं। हजरत हसनी मियां के दौर में तामीर शुरू हुई थी। अब सज्जादानशीन मेहंदी मियां की निगरानी में इसका निर्माण हो रहा है।-शब्बू मियां नियाजी, प्रबंधक, खानकाह-ए-नियाजिया

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