King Cong: कैसे मिलती है कांग्रेस की कमान, एक क्लिक में ही ले लीजिए पूरा ज्ञान

King Cong: कैसे मिलती है कांग्रेस की कमान, एक क्लिक में ही ले लीजिए पूरा ज्ञान

नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद चुनाव के लिए आज (सोमवार, 17 अक्टूबर) मतदान होगा। कांग्रेस पार्टी अपना अगला अध्यक्ष चुनने के लिए आज मतदान करेगी। पार्टी अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर हैं। 19 अक्टूबर को दिल्ली में वोटों की गिनती और नतीजों की घोषणा होगी। बेल्लारी (कर्नाटक) के मतदान …

नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद चुनाव के लिए आज (सोमवार, 17 अक्टूबर) मतदान होगा। कांग्रेस पार्टी अपना अगला अध्यक्ष चुनने के लिए आज मतदान करेगी। पार्टी अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर हैं। 19 अक्टूबर को दिल्ली में वोटों की गिनती और नतीजों की घोषणा होगी। बेल्लारी (कर्नाटक) के मतदान केंद्र के बाहर सुरक्षा कड़ी की गई है। बेल्लारी में आज कांग्रेस सांसद राहुल गांधी मतदान करेंगे।

मतदान आज सुबह 10 बजे से मतदान शुरू होगा और शाम 4 बजे तक चलेगा। इस चुनाव के लिए कुल 36 मतदान केंद्र और 67 बूथ होंगे। प्रत्येक 200 मतदाताओं पर एक बूथ होगा। इस चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच पार्टी के शीर्ष पद के लिए मुकाबला है। खास बात ये है कि इस बार कांग्रेस में 24 साल बाद नेहरू-गांधी परिवार के बाहर से कोई अध्यक्ष बनेगा।

जानकारी मिली है कि प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) के 9,000 से अधिक प्रतिनिधि गुप्त मतदान के जरिये पार्टी के नये अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। यहां पार्टी मुख्यालय में और देशभर में 65 से अधिक केंद्रों पर मतदान होगा। कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को चुनाव होने के बाद इसके परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे।

राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी पार्टी की कमान संभाल रही हैं।

बता दें, कि कांग्रेस में अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया लंबी और रोचक है। कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव पार्टी के संविधान के अनुसार होता है। पार्टी के संविधान में चुनाव प्रक्रिया से लेकर संगठन के तमाम पदों की भूमिका, जिम्मेदारी, चयन आदि के बारे में प्रक्रिया बताई गई है।

कांग्रेस के इतिहास में कांग्रेस अध्यक्ष का पद ज्यादातर समय नेहरू-गांधी परिवार के पास ही रहा है, जहां निर्विरोध तरीके से आम सहमति के आधार पर अध्यक्ष का फैसला होता है। हालांकि कुछ मौकों पर अध्यक्ष पद के लिए बाकायदा चुनाव भी हुआ है। तो आइए जानते हैं कि कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव की क्या है प्रक्रिया।

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ऐसे चुना जाता है कांग्रेस अध्यक्ष
कांग्रेस संविधान के मुताबिक, पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव बाकायदा कुछ उसी तर्ज पर होता है, जैसे देश में चुनाव होते हैं। चुनाव के लिए सबसे पहले पार्टी सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी (CEA) का गठन किया जाता है। अथॉरिटी के अध्यक्ष और टीम का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष CWC की मदद से करता है।

अथॉरिटी के गठन के बाद वह चुनाव का पूरा खाका और शेड्यूल तैयार करती है। जिसमें हर स्तर पर चयन की प्रक्रिया, नामांकन, नाम वापसी से ले कर, स्क्रूटनी, इलेक्शन, नतीजा और जीत के बाद विजेता को सर्टिफिकेट देने तक सबकी तारीख तय होती है।

हर राज्य में एक प्रदेश रिटर्निंग अफसर की नियुक्ति
कांग्रेस अथॉरिटी पूरे देश में चुनाव कराने के लिए हर राज्य में एक प्रदेश रिटर्निंग अफसर और एक से दो एपीआरओ (राज्यों के आकार के मुताबिक असिस्टेंट प्रदेश रिटर्निंग अफसर) बनाती है। फिलहाल कांग्रेस में हर पांच साल में चुनाव होता है, इससे पहले हर तीन साल में संगठन के चुनाव होते थे।

उसी के मुताबिक, अध्यक्ष का कार्यकाल भी तीन से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया। 2017 में राहुल गांधी संगठन चुनाव के बाद निर्विरोध चुन कर आए थे, जिन्होंने 2019 के आम चुनावों में पार्टी की करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था।

आपात स्थिति में ये बन सकते हैं अध्यक्ष
पार्टी संविधान के मुताबिक, किसी आपातकाल में पदासीन अध्यक्ष के निधन या अचानक इस्तीफा देने से खाली हुए अध्यक्ष पद की रोजमर्रा के कामकाज की जिम्मेदारी संभालने का भार संगठन के सबसे वरिष्ठ महासचिव के कंधे पर आता है। इसी बीच CWC आपस में मिलकर कार्यकारी अध्यक्ष चुनती है, जो अगला पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने जाने तक पार्टी की कमान संभालता है।

इस प्रक्रिया में लगभग छह महीने से एक साल लगते हैं। पार्टी के सामने लगभग यही स्थिति 2019 में अचानक राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद आई थी, जब राहुल के इस्तीफा वापस न लेने पर CWC ने सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था।

बूथ कमिटी से ब्लॉक कमिटी का गठन
अध्यक्ष के चुनाव की शुरुआत सदस्यता अभियान से होती है। जो लगभग एक साल चलता है। इसके पूरा होने बाद बूथ कमिटी और ब्लॉक कमिटी बनती है। इसके बाद जिला कमिटी बनती है। संविधान के मुताबिक इन कमिटियों का गठन भी चुनाव के आधार पर होना चाहिए। ब्लॉक कमिटी -बूथ कमिटी मिलकर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रतिनिधि या पीसीसी डेलिगेट्स चुनते हैं। हर ब्लॉक से एक प्रतिनिधि चुनता है।

बूथ से ब्लॉक और राज्य के अधिकारियों के चयन की प्रक्रिया
हर 8 पीसीसी पर एक केंद्रीय कांग्रेस कमिटी प्रतिनिधि या एआईसीसी डेलिगेट चुना जाता है। एआईसीसी और पीसीसी का अनुपात एक और आठ का होता है। पीसीसी डेलिगेट्स के वोटों से ही प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष और पार्टी अध्यक्ष चुना जाता है। जबकि एआईसीसी के प्रतिनिधियों के वोटिंग से कांग्रेस वर्किंग कमिटी चुनी जाती है।

2017 में हुए संगठन चुनावों के दौरान जहां पीसीसी की तादाद 9000 थी तो वहीं एआईसीसी डेलिगेट्स की संख्या 1500 थी। हर नया अध्यक्ष अपनी CWC बनाता है, जिसमें 12 सदस्य चुनकर आते हैं, जबकि 11 सदस्यों को वह मनोनीत करता है। लेकिन आमतौर पर CWC सदस्य अध्यक्ष ही चुनता है। इस कमिटी में अध्यक्ष के अलावा, संसद में पार्टी का नेता और अन्य सदस्य होते हैं।

अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए किसी भी व्यक्ति को बतौर प्रस्तावक 10 पीसीसी डेलिगेट्स का समर्थन चाहिए होता है। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी अपना अधिवेशन बुलाती है, जहां अध्यक्ष पद का औपचारिक ऐलान होता है और CWC का चुनाव होता है।

जब कांग्रेस में आई चुनाव की नौबत
पिछले तीन दशक में दो बार कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है। 1997 में सीताराम केसरी के खिलाफ शरद पवार और राजेश पायलट ने पर्चा भरा था, जहां केसरी को जीत मिली। केसरी को जहां 6224 वोट मिले तो वहीं पवार को 882 और पायलट को 354 वोट मिले थे।

दूसरी बार वोटिंग की नौबत 2000 में तब आई, जब सोनिया गांधी को कांग्रेस के भीतर से दिग्गज नेता जीतेंद्र प्रसाद से चुनौती मिली। उस चुनाव में सोनिया गांधी को जहां 7448 वोट मिले, वहीं प्रसाद को कुल 94 वोट आए थे।

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