एडीए की अचानक बढ़ी आय ही है उसके पुराने भ्रष्टाचार की कहानी

एडीए की अचानक बढ़ी आय ही है उसके पुराने भ्रष्टाचार की कहानी

अमृत विचार, अयोध्या। सरकार को करोड़ों के राजस्व की चोट पहुंचाने वाले एडीए (अयोध्या विकास प्राधिकरण) की अचानक बढ़ी आय उसके अब तक चले लूटतंत्र का खुलासा है। दशक भर से भू-माफिया के गठजोड़ के सहारे नगर नियोजन की अनदेखी कर पचासों अनियोजित कालोनियां विकसित कर लेने की छूट भूमाफ़िया को देने वाले प्राधिकरण की …

अमृत विचार, अयोध्या। सरकार को करोड़ों के राजस्व की चोट पहुंचाने वाले एडीए (अयोध्या विकास प्राधिकरण) की अचानक बढ़ी आय उसके अब तक चले लूटतंत्र का खुलासा है। दशक भर से भू-माफिया के गठजोड़ के सहारे नगर नियोजन की अनदेखी कर पचासों अनियोजित कालोनियां विकसित कर लेने की छूट भूमाफ़िया को देने वाले प्राधिकरण की इधर बढ़ी आय उसके पुराने भ्रष्टाचार की पूरी कहानी का जीता जागता प्रमाण है। बीते तीन माह से अमृत विचार द्वारा एडीए के लूटतंत्र को लेकर चलाई जा रही मुहिम का असर है कि अब उसके पास विकास शुल्क की आमद अचानक बढ़ गई है।

इससे पहले अयोध्या विकास प्राधिकरण के अफसर भू-माफिया के साथ गठजोड़ कर लूट का खुला खेल कर रहे थे। बीते तीन माह के दौरान लगातार चले अमृत विचार के खबरों के हथौड़े ने इस काकस को हिला कर रख दिया, जिसका नतीजा है कि जुलाई तक जिस प्राधिकरण के पास ले-आउट पास कराने एक आवेदन तक नहीं आता था वहीं अब रोजाना चार से छह आवेदन आ रहे हैं। इतना ही नहीं अब नक्शा स्वीकृत कराने के लिए भी लोगों ने प्राधिकरण की दौड़ लगानी शुरू कर दी है।

तीन माह पहले जहां प्राधिकरण में नक्शा पास कराने के लिए माह में तीन से पांच आवेदन आते थे वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 15 से 18 हो गई है। खुद प्राधिकरण के अफसर तक स्वीकार कर चुके हैं कि दशक भर में शहर में 50 से अधिक अवैध कालोनियां विकसित हो गई हैं। यह कॉलोनियां ही इस बात का प्रमाण हैं कि अब तक प्राधिकरण के अधिकारी और जूनियर इंजीनियर भूमाफिया काकस के साथ मिलकर प्राधिकरण ही नहीं शासन को भी राजस्व का चूना लगा रहे थे। बिना लेआउट के बसाई गईं इन कालोनियों के जरिए अफसरों ने जमकर कमाई की।

29 से 99.82 फीसदी पहुंची आय

अगस्त 2020 तक जहां इसकी आय 29.94 फीसदी थी, वहीं अब 2022 में 99.82 फीसदी तक पहुंच चुकी है। श्रीराम मंदिर निर्माण से पहले विकास प्राधिकरण का दायरा 3556.86 हेक्टेयर था, लेकिन इसे बढ़ाकर 8959.333 हेक्टेयर कर दिया गया। इन क्षेत्रों में आवासीय के साथ तेजी के साथ व्यवसायिक, होटल व उद्योग लगाने के लिए जमीनें मुहैया कराई जा रही हैं। प्राधिकरण के अधिकारियों का दावा है कि अयोध्या में अच्छी योजनाएं आने से जमीन लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है, जिसके चलते आय बढ़ी है जबकि हकीकत इससे बिल्कुल इतर है। सच तो यह है कि गठन के बाद से अब तक प्राधिकरण खुद नियमों के पालन के बजाए अपने लूटतंत्र के सहारे खुला खेल खेलता रहा। सूत्रों की मानें तो एडीए में जबसे एक बड़े अधिकारी ने कमान संभाली है तबसे यह अवैध कॉलोनियां और प्लॉटिंग तेजी के साथ पनपी हैं। अब भी प्लाटिंग का दौर चल रहा है। जगह-जगह बिना लेआउट के कॉलोनियां तैयार करने का काम किया जा रहा है।

शासन द्वारा निर्धारित होता है लक्ष्य

विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद को शासन का आवास विभाग आय अर्जित करने का लक्ष्य देता है। जमीनों की बिक्री और बड़ी योजनाओं से आने वाले विकास शुल्क से आय का आंकलन होता है। अभी तक इससे पहले कभी भी प्राधिकरण द्वारा निर्धारित लक्ष्य के तीस फीसद से ऊपर कभी नहीं पहुंचा था। अब अचानक बढ़ी आय ने अयोध्या विकास प्राधिकरण को टॉप पांच शहरों में पहले स्थान पर ला दिया है। – गोर्की, नगर नियोजक, अयोध्या विकास प्राधिकरण

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