वाल्मीकि जयंती के बाद निकलेगा जुलूस-ए-मोहम्मदी: सुब्हानी मियां

बरेली, अमृत विचार। ईद मिलादुन्नबी का जश्न शहर में दो दिन मनाया जाएगा। मुल्क भर में 9 अक्टूबर को पैगम्बर-ए-रसूल की आमद का जश्न मनाया जाएगा। बरेली में इस मौके पर मुख्य जुलूस कोहाड़ापीर से अंजुमन खुद्दामे रसूल के तत्वाधान में दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) और सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी …
बरेली, अमृत विचार। ईद मिलादुन्नबी का जश्न शहर में दो दिन मनाया जाएगा। मुल्क भर में 9 अक्टूबर को पैगम्बर-ए-रसूल की आमद का जश्न मनाया जाएगा। बरेली में इस मौके पर मुख्य जुलूस कोहाड़ापीर से अंजुमन खुद्दामे रसूल के तत्वाधान में दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) और सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की क़यादत में निकलेगा। जो अपने कदीमी रास्तों कोहाड़ापीर पेट्रोल पम्प से शुरू होकर कुतुबखाना, कुमार टाकीज, नॉवल्टी के रास्ते इस्लामिया स्कूल, करोलान, बिहारीपुर से दरगाह आला हज़रत पहुंचकर देर रात खत्म होगा।
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इसी दिन वाल्मीकि जयंती पर जुलूस भी निकलेगा। दोनों जुलूस को लेकर ज़िला प्रशासन, दरगाह इन्तेज़ामिया, वाल्मीकि समाज और अंजुमन खुद्दामें रसूल के साथ बैठक में तय किया गया है कि वाल्मीकि समाज के लोग तय शुदा वक़्त से दो घंटे पहले और जुलूस-ए-मोहम्मदी दो घंटे बाद निकाला जाए। ताकि शहर में अमन और शांति कायम रहे। कोई भी शरारती तत्व इसका फायदा न उठा सके। दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां ने तय किया है कि जब शहर से वाल्मीकि जयंती का जुलूस निकल जायेगा। इसके बाद ही जुलूस-ए-मोहम्मदी शुरू होगा।
दरगाह प्रमुख ने पुराने और नए शहर की सभी अंजुमनों से कहा कि वो लोग अपनी अपनी अंजुमनों को लेकर वाल्मीकि जयंती जुलूस के बाद ही शामिल हो। अंजुमन खुद्दामे रसूल के सचिव शान अहमद रज़ा ने बताया कि जुलूस में लगभग 150 अंजुमने शिरकत करेगीं। अंजुमनों को दिशा निर्देश देने के लिए एक अहम बैठक छह अक्टूबर जुमेरात को कोहाड़ापीर के मिलन हॉल में शाम आठ बजे बजे होगी। मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी ने सभी से अपने आक़ा की मिलाद शरई दायरे में रहते हुए मनाने की अपील की। इश्के रसूल में घर-घर परचम-ए-रिसालत लगाने को कहा।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि दरगाह पर ईद मिलादुन्नबी का जश्न सुबह से शुरू हो जाएगा। सुबह 10 बजे दरगाह प्रमुख के घर पर नात-ओ-मनकबत होगी। उलेमा नबी करीम पर रोशनी डालेगें। फातिहा और दुआ के बाद तबर्रूक तक़सीम किया जाएगा।
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