मेरे जिस्म में ज़हर है तेरा

मेरे जिस्म में ज़हर है तेरा मेरा दिल है तेरा घर तू मौजूद है साथ हमेशा ख़ौफ़ सा बन कर शाम-ओ-सहर तेरा असर है मेरे लहू पर जैसे चाँद समुंदर पर इतनी ज़र्द है रंगत तेरी जम जाती है उस पे नज़र तू है सज़ा मिरे होने की या है मेरा ज़ाद-ए-सफ़र करेगा तू बीमार …

मेरे जिस्म में ज़हर है तेरा
मेरा दिल है तेरा घर

तू मौजूद है साथ हमेशा
ख़ौफ़ सा बन कर शाम-ओ-सहर

तेरा असर है मेरे लहू पर
जैसे चाँद समुंदर पर

इतनी ज़र्द है रंगत तेरी
जम जाती है उस पे नज़र

तू है सज़ा मिरे होने की
या है मेरा ज़ाद-ए-सफ़र

करेगा तू बीमार मुझे या
बनेगा ना-मालूम का डर

रहेगा दाइम गहरी तह में
जैसे अँधेरे में कोई दर

गुम कर देगा राह में मुझ को
या देगा मंज़िल की ख़बर

तू है मेरा दोस्त कि दुश्मन
ये तो बता मुझ को ऐ ज़र

मुनीर नियाज़ी

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