Shayari
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Javed Akhtar Birthday: 79 वर्ष के हुए जावेद अख्तर, बचपन से ही शायरी से था गहरा नाता
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By Priya
मुंबई। बॉलीवुड के जानेमाने शायर और गीतकार जावेद अख्तर आज 79 वर्ष के हो गये। 17 जनवरी 1945 को शायर-गीतकार जां निसार अख्तर के घर जब एक लड़के ने जन्म लिया तो उसका नाम रखा गया ''जादू''। यह नाम जां...
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अकबर इलाहाबादी: शायरी जो भुला न पाएंगे
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By Jagat Mishra
खींचो न कमानों को, न तलवार निकालो
जब तोप मुक़ाबिल हों तो अखबार निकालो.
जब अपनी फितरत को बयान करने की बारी आती है तो इठला कर कहा जाता है:
दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं
बाज़ार से...
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जावेद अख़्तर की कलम से… ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी
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By Amrit Vichar
जावेद अख्तर उर्दू गजलों के मशहूर नामों में से एक हैं और उन्होंने कई फिल्मी गीत भी लिखे हैं। पेश हैं जावेद अख्तर की गजलों से मशहूर शेर… ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी वो बात ख़त्म हुई दास्तान बाक़ी है यह भी पढ़ें- सौभाग्य न सब दिन होता है, देखें आगे क्या …
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ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में…
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By Amrit Vichar
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में एक पुराना ख़त खोला अनजाने में शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में रात गुज़रते शायद थोड़ा वक़्त लगे धूप उन्डेलो थोड़ी सी पैमाने में जाने किस का ज़िक्र है इस अफ़्साने में दर्द मज़े लेता है जो दोहराने में दिल …
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इतने ख़ामोश भी रहा न करो
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By Amrit Vichar
इतने ख़ामोश भी रहा न करो ग़म जुदाई में यूँ किया न करो ख़्वाब होते हैं देखने के लिए उन में जा कर मगर रहा न करो कुछ न होगा गिला भी करने से ज़ालिमों से गिला किया न करो उन से निकलें हिकायतें शायद हर्फ़ लिख कर मिटा दिया न करो अपने रुत्बे का …
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आओ कभू तो पास हमारे भी नाज़ से
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By Amrit Vichar
आओ कभू तो पास हमारे भी नाज़ से करना सुलूक ख़ूब है अहल-ए-नियाज़ से फिरते हो क्या दरख़्तों के साए में दूर दूर कर लो मुवाफ़क़त किसू बेबर्ग-ओ-साज़ से हिज्राँ में उस के ज़िंदगी करना भला न था कोताही जो न होवे ये उम्र-ए-दराज़ से मानिंद-ए-सुब्हा उक़दे न दिल के कभू खुले जी अपना क्यूँ …
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फूल थे बादल भी था और वो हसीं सूरत भी थी
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By Amrit Vichar
फूल थे बादल भी था और वो हसीं सूरत भी थी दिल में लेकिन और ही इक शक्ल की हसरत भी थी जो हवा में घर बनाए काश कोई देखता दश्त में रहते थे पर ता’मीर की आदत भी थी कह गया मैं सामने उस के जो दिल का मुद्दआ’ कुछ तो मौसम भी अजब …
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मेरे जिस्म में ज़हर है तेरा
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By Amrit Vichar
मेरे जिस्म में ज़हर है तेरा मेरा दिल है तेरा घर तू मौजूद है साथ हमेशा ख़ौफ़ सा बन कर शाम-ओ-सहर तेरा असर है मेरे लहू पर जैसे चाँद समुंदर पर इतनी ज़र्द है रंगत तेरी जम जाती है उस पे नज़र तू है सज़ा मिरे होने की या है मेरा ज़ाद-ए-सफ़र करेगा तू बीमार …
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बरेली: मशहूर शायर वसीम बरेलवी से प्रेरणा लेकर मथुरा के योगेश ने लिख डाली अनकहे लम्हे
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By Amrit Vichar
बरेली, अमृत विचार। मथुरा के रहने वाले लेखक ने बरेली के मशहूर शायर प्रोफेसर वसीम बरेलवी से प्रेरणा लेकर एक किताब लिख डाली। उन्होंने अपने स्कूली दिनों से ही शायरी व कविता लिखना शुरू कर दिया था। मथुरा के रहने वाले योगेश कुमार ने आज बरेली आ कर अपनी किताब अनकहे लम्हों का प्रोफेसर वसीम …
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पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है
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By Amrit Vichar
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है लगने न दे बस हो तो उस के गौहर-ए-गोश को बाले तक उस को फ़लक चश्म-ए-मह-ओ-ख़ुर की पुतली का तारा जाने है आगे उस मुतकब्बिर के हम ख़ुदा ख़ुदा किया करते हैं कब मौजूद ख़ुदा …
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कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया
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By Amrit Vichar
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया वो लोग बहुत ख़ुश-क़िस्मत थे जो इश्क़ को काम समझते थे या काम से आशिक़ी करते थे हम जीते-जी मसरूफ़ रहे कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया काम इश्क़ के आड़े आता रहा और इश्क़ से काम उलझता रहा फिर आख़िर तंग आ कर हम ने दोनों को अधूरा …
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जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा है
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By Amrit Vichar
जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा है संग हर शख़्स ने हाथों में उठा रक्खा है उस के दिल पर भी कड़ी इश्क़ में गुज़री होगी नाम जिस ने भी मोहब्बत का सज़ा रक्खा है पत्थरो आज मिरे सर पे बरसते क्यूँ हो मैं ने तुम को भी कभी अपना ख़ुदा रक्खा है …
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