प्रयागराज : महाकुंभ क्षेत्र में कुप्रबंधन को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज

प्रयागराज : महाकुंभ क्षेत्र में कुप्रबंधन को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज

प्रयागराज , अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ में हुई गड़बड़ी की सीबीआई जांच को लेकर दाखिल जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिका में कुंभ क्षेत्र में हुई अनियमितताओं, कुप्रबंधन, दुर्घटना, उत्तरदायित्व तय करने तथा जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही करने के संबंध में मांगी गई पहली राहत अत्यंत कमजोर है, क्योंकि इसमें जिससे रिपोर्ट मांगी जा रही है, उसका संकेत ही नहीं दिया गया है। इसके अलावा 29 जनवरी को हुई भगदड़ के शोक संतप्त परिवार के सदस्यों को पर्याप्त मुआवजे का भुगतान और भगदड़ की सीबीआई रिपोर्ट के संदर्भ में निर्देश की मांग भी अधूरी और तथ्यहीन है। 

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि पूरी याचिका अखबारी रिपोर्टों और कतरनों पर आधारित है। याची के शपथ-पत्र के अनुसार याचिका में दिए गए कथन उसके व्यक्तिगत ज्ञान के हिसाब से सही हैं। हालांकि याचिका में इस बात का कहीं भी संकेत नहीं दिया गया है कि याची ने तथ्य खोजने के लिए अनुसंधान किया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि जनहित याचिकाएं अखबारों और पत्रिकाओं में छपी रिपोर्टों पर आधारित नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अखबारों की रिपोर्ट में शामिल तथ्य केवल सुनी-सुनाई बातों पर आधारित होते हैं। 

कोर्ट ने माना कि याचिका में लगाए गए विभिन्न आरोप कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद निरर्थक हो गए हैं, क्योंकि अगर याची वास्तव में 45 दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं की कठिनाइयों के बारे में चिंतित था तो उसे व्यक्तिगत रूप से अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था या अपनी शिकायतों को दूर करने के लिए अन्य उपायों का सहारा लेना चाहिए था, जो नहीं किया गया। उक्त आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने केशर सिंह, योगेंद्र कुमार पांडेय व कमलेश सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया। 

मालूम हो कि कोर्ट ने उक्त याचिका पर गत सप्ताह यानी 11 मार्च को ही फैसला सुरक्षित कर लिया था। याचिका में 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित होने वाले महाकुंभ के दौरान प्रशासन द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफलता को लेकर प्रार्थनाएं की गई थीं। याचिका में पानी की गुणवत्ता और मात्रा, पांटून पुलों पर आवाजाही पर प्रतिबंध, भीड़ प्रबंधन, ड्रोन के उपयोग, भक्तों के लिए भोजन, पानी, शौचालय और स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की अनुपलब्धता, आग की घटनाएं, शटल बसों की व्यवस्था से संबंधित कई शिकायतों को उठाते हुए आयोजन के लिए निर्धारित बजट, खर्च की गई राशि के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई थी।

ये भी पढ़ें- Prayagraj News : एएमयू को भविष्य में व्याख्याता पदों के लिए जारी विज्ञापन में सावधानी बरतने के निर्देश

ताजा समाचार