योगी सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बदली यूपी की छवि, आयुष शिक्षा को भी मिला बढ़ावा

सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों, रिसर्च संस्थानों तथा आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देकर चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में नया स्वर्णिम अध्याय लिखा

योगी सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बदली यूपी की छवि, आयुष शिक्षा को भी मिला बढ़ावा

लखनऊ, अमृत विचार। पिछले आठ वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच और सार्थक प्रयासों से उत्तर प्रदेश स्वस्थ्य और उत्तम बनकर उभरा है। प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का तेजी से विस्तार हुआ है। योगी सरकार ने प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में वृद्धि, एमबीबीएस-पीजी सीटों में विस्तार, सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों और रिसर्च संस्थानों की स्थापना तथा आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देकर चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में खासी उपलब्धि हासिल की है। प्रदेश के लाखों युवाओं को बेहतर चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण का अवसर मिल रहा है।

मेडिकल कॉलेज और एमबीबीएस व पीजी सीटें बढ़ी

चिकित्सा शिक्षा की महानिदेशक किंजल सिंह ने सोमवार को बताया कि पिछले आठ वर्षों में प्रदेश में 80 मेडिकल कॉलेज संचालित किए गए हैं, जिनमें 44 राजकीय एवं 36 निजी मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। राज्य सरकार के प्रयासो से ही बिजनौर, बुलंदशहर, कुशीनगर, पीलीभीत, सुल्तानपुर, कानपुर देहात, ललितपुर, औरैया, चंदौली, गोंडा, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी और कौशांबी जैसे जिलों में स्वशासी मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा सत्र शुरू हो चुके हैं। वहीं, महाराजगंज, शामली और संभल में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की गई है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करने के लिए एमबीबीएस और पीजी सीटों में वृद्धि की गई है। वर्तमान में सरकारी क्षेत्र में 5,250 एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हैं, जबकि निजी क्षेत्र में 6,550 सीटें हैं। इसके अतिरिक्त पीपीपी मॉडल पर स्थापित तीन नए मेडिकल कॉलेजों में 350 अतिरिक्त सीटें जोड़ी गई हैं। इसी तरह, सरकारी क्षेत्र में एमडी,एमएस व डिप्लोमा सीटों की संख्या 900 से बढ़कर 1,871 हो गई है, जबकि निजी क्षेत्र में 2,100 पीजी सीटें उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं, सुपर स्पेशियलिटी विषयों में भी 250 सीटें जोड़ी गई हैं।

आयुष शिक्षा को भी मिला बढ़ावा

योगी सरकार में आयुष चिकित्सा शिक्षा को खासा बढ़ावा मिला है। अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय और वाराणसी में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई है। प्रदेश में कुल 2,110 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी और 1,585 होम्योपैथिक चिकित्सालय कार्यरत हैं। इसके अलावा आठ आयुर्वेदिक कॉलेज, दो यूनानी कॉलेज और नौ होम्योपैथिक कॉलेजों के साथ उनके संबद्ध चिकित्सालय संचालित हो रहे हैं। इतना ही नहीं, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की है। प्रदेश में आयुष बोर्ड के गठन का भी निर्णय लिया गया है, जिससे आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा को एक सुदृढ़ संरचना मिलेगी।

सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों और संस्थानों की स्थापना

कैंसर रोगियों के लिए राजधानी में कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट में ‘सेंटर फॉर एडवांस मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स एंड रिसर्च फॉर कैंसर’ की स्थापना की गई है। संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में डायबिटीज सेंटर की स्थापना के साथ-साथ पांच सौ बेड के एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। आईआईटी कानपुर के तहत 500 शैय्यायुक्त सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के साथ ‘स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी’ की स्थापना भी की जा रही है, जो चिकित्सा अनुसंधान और अत्याधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देगा।

नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा को लगे पंख

मिशन निरामया के अंतर्गत नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में भी राज्य ने बड़ी छलांग लगाई है। प्रदेश में स्वीकृत 27 नर्सिंग कॉलेजों में से 25 का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। साथ ही, नर्सिंग में सात हजार सीटों और पैरामेडिकल में दो हजार सीटों की वृद्धि की गई है। 

प्रदेश में लंबे समय से बंद पड़े 35 एएनएम (सहायक नर्सिंग मिडवाइफरी) प्रशिक्षण केंद्रों को पुनः शुरू किया गया है। मिशन निरामया के अंतर्गत ‘मेंटॉर-मेंटी मॉडल’ लागू किया गया है। योगी सरकार लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। वहीं, गोरखपुर और रायबरेली में एम्स में मरीजों अत्याधुनिक इलाज मिल रहा हैं।

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