लखनऊ: दो साल बाद फिर शुरू हुआ बड़े मंगल पर भंडारा, जलजीरा पौशाला चला रखा सेहत का ध्यान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जेष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है और यहां पर यह दिन त्योहार की तरह मनाया जाता है, जगह-जगह भण्डारे का आयोजन होता है। लेकिन कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में करीब दो साल तक भंडारे का आयोजन नहीं हो सका था …
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जेष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है और यहां पर यह दिन त्योहार की तरह मनाया जाता है, जगह-जगह भण्डारे का आयोजन होता है। लेकिन कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में करीब दो साल तक भंडारे का आयोजन नहीं हो सका था और ढाई सौ साल से चली आ रही परंपरा टूट गयी थी। कोरोना काल में दो साल तक थमा भंडारे का आयोजन एक बार फिर शुरू हो गया है।
कथाओं की माने तो करीब ढाई सौ साल पहले नवाबों के दौर में लखनऊ के निवासियों पर एक महामारी का संकट आया था। जिसने सैंकड़ों लोगों को अपनी चपेट में लिया था। बताया जाता है कि उस समय के नवाब ने मन्नत मानी थी और उसी दिन से जेष्ठ माह के हर मंगलवार पर भण्डारे का आयोजन होता आ रहा है।
बताया जा रहा है कि कोरोना काल में भंडारे का आयोजन नहीं हुआ था,लेकिन इसके बाद भक्तों की मंशा को देखते हुये भण्डारे का आयोजन पुन: शुरू हुआ ।
भण्डारे में रखा जा रहा सेहत का ख्याल
पुराने हनुमान मंदिर में बड़े मंगल के अवसर आयोजित भंडारे में एक तरफ जहां पूड़ी सब्जी, बूंदी व चावल बांटे जा रहे थे, वहीं मौसम तथा लोगों की सेहत को देखते हुये जलजीरा पौशाला भी चलायी जा रही थी, इसके पीछे की जो वजह बतायी गयी, वह काफी दिलचस्प रही। बताया गया कि मधुमेह के रोगी मीठा तथा आलू खाने से परहेज करते हैं, ऐसे में जलजीरे का शरबत पिलाया जा रहा है।
पढ़ें-मुरादाबाद: लव, SEX और धोखा…दुल्हन करती रही इंतजार, बारात लेकर नहीं पहुंचा प्रेमी