अयोध्या: विश्वविद्यालय ने नए पाठ्यक्रमों पर 4 साल में फूंक डाले 75 करोड़ से ज्यादा

अयोध्या, अमृत विचार। डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में शुक्रवार को हुई कार्य परिषद की बैठक ने विश्वविद्यालय में अर्से से चल रहे 'खेल' का कच्चा चिठ्ठा खोल दिया। दस से कम छात्र संख्या वाले पाठ्यक्रमों को बंद किए जाने के निर्णय के बाद विश्वविद्यालय की साख पर बट्टा लगने के साथ-साथ सवाल भी खड़े हो गए हैं। बताया जाता है कि अदूरदर्शिता के अभाव में चार साल पहले नए पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए हुए फैसले से विश्वविद्यालय के खजाने से 75 करोड़ 84 लाख रुपए से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। वह भी तब जब नवीन पाठ्यक्रमों में इस अवधि में छात्रों की संख्या कभी भी 100 से अधिक नहीं हुई।
डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में सत्र 2021-22 में तत्कालीन कुलपति प्रो रविशंकर सिंह के कार्यकाल में आवासीय पाठ्यक्रमों में बढ़ोतरी का फैसला किया गया था। तब बिना भविष्य की संभावनाओं और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यहां के छात्रों की आमद के स्वरूप को अनदेखा कर आनन-फानन में राजभवन की निगाह में आने के लिए 35 से 40 नए पाठ्यक्रमों का संचालन शुरू कर दिया गया। सूत्र बताते हैं कि उस दौरान कई विभागाध्यक्षों द्वारा इन पाठ्यक्रमों को शुरू किए जाने पर आपत्ति भी दर्ज कराई गई थी लेकिन तत्कालीन कुलपति के दबाव में आपत्ति धरी की धरी रह गई।
बताया जाता है कि इन पाठ्यक्रमों के संचालन को लेकर ही विश्वविद्यालय ने प्रतिमाह 44 हजार के करीब मानदेय पर 45 संविदा शिक्षकों की नियुक्ति की गई। यह वही संविदा शिक्षक हैं जो बीते चार साल से मानदेय बढ़ाने के लिए आंदोलन करते आ रहे हैं। अयोध्या में दीपोत्सव के दौरान भी लगातार 25 दिन से अधिक धरना प्रदर्शन किया लेकिन मामला ठस पड़ गया। सूत्र बताते हैं कि बीते चार वर्षों में वर्तमान शैक्षिक सत्र तक 18 करोड़ 84 लाख प्रति वर्ष मानदेय के रूप में 75 करोड़ 84 लाख से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। जबकि वर्तमान में भी बंद किए जाने वाले पाठ्यक्रमों में छात्र संख्या सौ से अधिक नहीं है।
सूत्र बताते हैं कि हर माह एक करोड़ 98 लाख रुपए मानदेय के मद में खर्च किया जा रहा है लेकिन छात्रों के अनुपात में फीस आदि के रूप में मात्र एक से दो लाख रुपए ही अर्जित किए जा रहे हैं। 75 करोड़ 98 लाख रुपए की यह धनराशि तो केवल मानदेय के रूप में सामने आ रही है जबकि अन्य संसाधनों के जुटाने के नाम पर लाखों की धनराशि पानी की तरह बहा दी गई।
बताया जाता है कि इन चार सालों में हर सत्र में एक-एक पाठ्यक्रम में अधिकतम तीन से चार आवेदन ही आते रहे, संविदा शिक्षक भी इस छात्र संख्या को पढ़ाने के नाम पर विश्वविद्यालय का उल्लू काटते रहे। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार बीते चार वर्षों में परीक्षा समिति, कार्य परिषद और वित्त समिति की बैठकों में भी यह मामला उठता रहा लेकिन किसी न किसी रूप में उसे दबाया जाता रहा।
हैरानी वाली बात यह है कि चार सत्रों में इन 35 पाठ्यक्रमों के छात्रों को परीक्षा देने के लिए जितने संसाधनों का व्यय किया गया, उतना विश्वविद्यालय को परीक्षा शुल्क के रूप में प्राप्त ही नहीं हुआ। आमदनी अठन्नी और खर्च रुपया के चलते विश्वविद्यालय को हर वर्ष करोड़ों का घाटा उठाना पड़ रहा है। हालांकि वर्तमान कुलपति प्रो प्रतिभा गोयल ने जब 22 नवम्बर 2022 को कुलपति के रूप में विश्वविद्यालय की बागडोर संभाली, तब उन्होंने इन पाठ्यक्रमों को लेकर समीक्षा शुरू की।
कई बार कम प्रवेश का मामला सामने आया लेकिन प्रवेशित छात्रों के हितों को देखते हुए इसे बंद करने से रोका गया। छह महीने पहले भी इन नवीन पाठ्यक्रमों में कम प्रवेश को लेकर बवंडर उठा था लेकिन इसे संचालित रहने दिया गया। इस खेल के पीछे तत्कालीन कुलपति और विश्वविद्यालय के वर्तमान सलाहकारों की क्या भूमिका थी, यह तो समय बताएगा लेकिन यह तय है कि अवध विश्वविद्यालय में सक्रिय एक काकस वर्तमान नेतृत्व को घेरे रहता है, नतीजा अब तमाम विसंगतियां सामने आने लगी हैं।
कार्य परिषद की बैठक में राज्यपाल कुलाधिपति न होतीं तो फिर न होता बंद करने का फैसला
डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के सूत्रों के अनुसार यदि शुक्रवार की कार्य परिषद की बैठक में राज्यपाल कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल मौजूद न होतीं, तो यह घाटे वाले पाठ्यक्रम फिर न बंद किए जाते। सूत्र बताते हैं कि कार्य परिषद की बैठक में जब यह विषय सामने आया, तो कुलाधिपति खुद हैरान रह गईं और कड़ी आपत्ति तक जताई। इसके बाद विश्वविद्यालय में संचालित इन पाठ्यक्रमों को बंद करने का फैसला किया गया है। हालांकि यह छूट दी गई है कि जिन पाठ्यक्रमों में दस से कम प्रवेशित छात्र हैं, वर्तमान सत्र तक उन्हें प्रवेशित माना जाएगा और नियमानुसार परीक्षा आदि भी होगी।
35 पाठ्यक्रमों में से 25 तक किए जा सकते हैं बंद
डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में वर्ष 2021 में प्रारंभ किए गए 35 पाठ्यक्रमों में से 25 तक बंद किए जा सकते हैं। जबकि दस ऐसे पाठ्यक्रम संचालित रह सकते हैं जहां शिक्षण कार्य सुचारू और छात्र संख्या ठीक है। हालांकि अभी कार्य परिषद की बैठक के मिनट्स नहीं तैयार हुए हैं, इसलिए विश्वविद्यालय के प्रवेश परीक्षा प्रभारी प्रो शैलेन्द्र कुमार यह बता पाने में असमर्थ हैं कि कौन-कौन से पाठ्यक्रम बंद किए जा रहे हैं। शनिवार को उन्होंने बताया कि अभी विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अधिकृत सूचना उनके पास नहीं आई है। उन्होंने स्वीकार किया है कि इन पाठ्यक्रमों में शुरु से प्रवेशित छात्रों की संख्या काफी कम रही है।
कार्य परिषद द्वारा कुछ पाठ्यक्रम बंद किए जाने का निर्णय लिया गया। इन पाठ्यक्रमों में एक से छात्रों से फीस आदि के रूप में 25 हजार आ रहे थे जबकि शिक्षक, अनुचर आदि मिलाकर 12 लाख प्रतिमाह खर्च हो रहा था। ऐसे अन्य में भी है। इसे घाटा तो नहीं कहा जा सकता लेकिन बंद होने से विश्वविद्यालय को बचत होगी। शेष जानकारी तो पाठ्यक्रम संचालित करने वाले ही दे सकते हैं- पूर्णेन्दु शुक्ला, वित्त अधिकारी, डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय
डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय कार्य परिषद द्वारा कुछ कोर्स बंद किए जाने की जानकारी तो है लेकिन कौन-कौन से पाठ्यक्रम बंद होंगे, अभी कोई सूचना नहीं है। इन पाठ्यक्रमों में कुल 45 संविदा शिक्षक तैनात हैं, यह पाठ्यक्रम 2021 में शुरू किए गए थे- प्रो शैलेन्द्र कुमार, समन्वयक, आवासीय प्रवेश, अवध विश्वविद्यालय
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