बरेली: जल्द से जल्द गरीबों तक पहुंचाएं सदका-ए-फित्र और जकात

बरेली: जल्द से जल्द गरीबों तक पहुंचाएं सदका-ए-फित्र और जकात

बरेली, अमृत विचार। रमजान के तीसरे जुमा को शहर भर की प्रमुख दरगाहों,खानकाहों, मस्जिदों में अपने वक्त पर नमाज अदा की गई। इसी कड़ी में दरगाह आला हजरत पर भी नमाज-ए-जुमा अदा की गई। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि जिन मुसलमानों पर सदका-ए-फित्र वाजिब और …

बरेली, अमृत विचार। रमजान के तीसरे जुमा को शहर भर की प्रमुख दरगाहों,खानकाहों, मस्जिदों में अपने वक्त पर नमाज अदा की गई। इसी कड़ी में दरगाह आला हजरत पर भी नमाज-ए-जुमा अदा की गई। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि जिन मुसलमानों पर सदका-ए-फित्र वाजिब और जकात फर्ज है, वो इसकी रकम को जल्द से जल्द गरीबों तक पहुंचा दें, ताकि गरीब मुसलमान भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें।

उन्होंने कहा कि अल्लाह ने सभी शरई मालदार मुसलमानों पर सदका-ए-फित्र वाजिब और जकात को फर्ज किया है। साहिबे निसाब (शरई मालदार) मुसलमान सदका-ए-फित्र की रकम अपनी और अपने नाबालिग औलाद की तरफ से निकालें। सदका-ए-फित्र वाजिब होने के लिए रोजा रखना शर्त नहीं। अगर किसी बीमारी, सफर या किसी अन्य वजह से रोजा न रख सकें, तब भी वाजिब है।

ईद की नमाज से पहले जो इसके शरई हकदार हैं, उन तक यह रकम पहुंचा दें। जकात मुसलमानों पर अल्लाह ने फर्ज की, वहीं सदका-ए-फित्र वाजिब। अमूमन लोग सदका-ए-फित्र को जकात समझ लेते हैं, जबकि दोनों अलग-अलग हैं। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि दरगाह पर जुमे की नमाज के बाद सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने जकात और फित्र पर रोशनी डाली।

उन्होंने कहा कि जकात कुल माल पर 2.5 फीसद अदा करनी है। वहीं, सदका-ए-फित्र 2 किलो 47 ग्राम गेहूं या 4 किलो 94 ग्राम जौ, खजूर और मुनक्का या इसकी बाजार मूल्य की कीमत गरीब, बेवा,बेसहारा,यतीमों या मदरसों के छात्रों को अदा करनी है। बरेली में सदका-ए-फित्र की कीमत प्रति व्यक्ति 60 रुपये तय की गई है। लोग इससे ज्यादा बढ़ाकर भी अदा कर सकते हैं, लेकिन कम वजन देने पर सदका-ए-फित्र अदा न होगा।

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