मुरादाबाद : गोबर, गो-मूत्र, गुड़ और बेसन से लहलहाएगी फसल

आशुतोष मिश्र/अमृत विचा। गोबर, बेसन, गो-मूत्र, गुड़, गन्ना का रस, सहजन, धतूरा,ओक की पत्तियां खेती के लिए वरदान हैं। इनसे जीवामृत, दशपर्णी अर्क और अनगिनत कीटनाशक तैयार हो रहे हैं। स्वचालित प्राकृतिक खेती उत्पादन संयंत्र तरल रूप में खाद, टॉनिक और कीटनाशक तैयार कर रहा है। मनोहरपुर से एग्री क्लीनिक-एग्री बिजनेस केंद्र ने इसके लिए …
आशुतोष मिश्र/अमृत विचा। गोबर, बेसन, गो-मूत्र, गुड़, गन्ना का रस, सहजन, धतूरा,ओक की पत्तियां खेती के लिए वरदान हैं। इनसे जीवामृत, दशपर्णी अर्क और अनगिनत कीटनाशक तैयार हो रहे हैं। स्वचालित प्राकृतिक खेती उत्पादन संयंत्र तरल रूप में खाद, टॉनिक और कीटनाशक तैयार कर रहा है। मनोहरपुर से एग्री क्लीनिक-एग्री बिजनेस केंद्र ने इसके लिए स्वचालित संयंत्र तैयार किया है। इसे सोलर प्लेट और बैटरी से से संचालित किया जा रहा है।
1000-1000 लीटर के टैंक में इसे तैयार किया जा रहा है। केंद्र के इंजीनियरों में 1.10 लाख रुपये की लागत से संयंत्र को तैयार किया है, जिससे 50 एकड़ भूमि की खेती के लिए खाद, कीटनाशक और जरूरी उर्वरक तैयार हो सकेगा। यह संयंत्र प्रदेश का इकलौता है। बहुत जल्दी से राज्य सरकार के ध्यान में लाया जाएगा। एक एकड़ खेत के लिए 15 किलोग्राम गोबर और 10 लीटर गो-मूत्र से खाद बनाया जा सकेगा। 1000 लीटर पानी का घोल पांच से सात एकड़ भूमि में प्रयुक्त हो सकेगा।
1000 लीटर पानी के लिए 20 से 25 किलोग्राम गोबर, 10 से 15 लीटर गो-मूत्र, छह किलोग्राम गुण, 10 से 15 लीटर गन्ना का रस, 20 किलोग्राम केला तथा तीन से पांच किलो ग्राम बेसन की जरूरत होगी। केंद्र संचालक डॉ. दीपक मेंदीरत्ता कहते हैं कि स्वचालित प्राकृतिक खेती उत्पादन संयंत्र का शीघ्र लोकार्पण किया जाएगा। मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह इसका लोकार्पण करेंगे। उन्होंने बताया कि देसी प्रकृति का यह प्रयोग बहुत लाभदायक होगा। यानी कि हजार रुपए की लागत में एक एकड़ फसल के लिए खाद, पोषक तत्व और कीटनाशक तैयार हो जाएगा।
कहा कि रासायनिक उर्वरक के लिए कम से कम 3000 रुपये खर्च आता है। पोषक तत्व और कीटनाशक की कीमतों और अधिक हैं। डॉ.मेंदीरत्ता कहते हैं कि 40 से 50,000 की लागत में छोटा टैंक तैयार हो सकता है जो 20 एकड़ तक की खेती के लिए उर्वरक और जीवामृत तैयार कर सकेगा। उन्होंने बताया कि समूह के जरिए इस संयंत्र को तैयार किया जा सकता है।
तीन दिन में तैयार हो जाएगा पदार्थ
बरगद की लकड़ी के साथ गोबर, गो-मूत्र, गन्ना का रस, केला और बेसन को टैंक में रखा जाएगा। एक एकड़ भूमि के लिए 150 लीटर पानी का उपयोग होगा। 15 लीटर घोल 400 लीटर पानी में मिलाया जा सकेगा, जो 20 एकड़ तक की खेती के लिए उर्वरक और जीवामृत तैयार कर सकेगा। समूह के जरिए इस संयंत्र को तैयार किया जा सकता है।
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