मुरादाबाद : आशाओं के कंधे पर और बढ़ा जिम्मेदारी का बोझ

मुरादाबाद : आशाओं के कंधे पर और बढ़ा जिम्मेदारी का बोझ

मुरादाबाद, अमृत विचार। स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन की अहम कड़ी आशाओं के कंधे पर जिम्मेदारी का और बोझ डाल दिया गया है। सुरक्षित मातृत्व दिवस अब महीने में एक नहीं दो दिन मनाया जाएगा। इसके लिए आशाओं को नौ और 24 अप्रैल को प्रथम संदर्भन इकाई (एफआरयू) पर चार-चार प्रसूताओं को लेकर जाना है, जहां …

मुरादाबाद, अमृत विचार। स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन की अहम कड़ी आशाओं के कंधे पर जिम्मेदारी का और बोझ डाल दिया गया है। सुरक्षित मातृत्व दिवस अब महीने में एक नहीं दो दिन मनाया जाएगा। इसके लिए आशाओं को नौ और 24 अप्रैल को प्रथम संदर्भन इकाई (एफआरयू) पर चार-चार प्रसूताओं को लेकर जाना है, जहां प्रसूताओं के सुरक्षित प्रसव के लिए जांच और इलाज किया जाएगा।

आशाओं का दर्द है कि योजनाओं की जिम्मेदारी दे दी जाती है, लेकिन सरकार उनके मानदेय बढ़ाने व स्थाई करने में आनाकानी करती है। कई-कई माह तक उन्हें तय मानदेय व संस्थागत प्रसव कराने के लिए मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का भुगतान भी समय से नहीं किया जाता है। नाराज आशाओं ने विधानसभा चुनाव से पहले आंदोलन का बिगुल फूंका था। अब मानदेय व प्रोत्साहन भत्ता बढ़ाने के लिए आंदोलन की फिर रणनीति बन रही है।

अभी दो अप्रैल से चल रहे विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान में भी बीमारियों की पहचान जैसे इंसेफेलाइटिस, डेंगू, मलेरिया, घरों में मच्छरों के लार्वा होने या न होने का सर्वे करने, मरीजों का नाम, मोबाइल नंबर समेत पूरा विवरण एकत्रित कर ब्लॉक के माध्यम से जिला मुख्यालय पर भी पहुंचाने में आशाओं की भूमिका ग्राउंड स्तर पर लगाई गई है। अब आशाओं को हर महीने में दो बार नौ व 24 तारीख को सुरक्षित मातृत्व दिवस के दिन चार-चार उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) वाली महिलाओं को चिह्नित कर जिले की चार प्रथम संदर्भन इकाई (एफआरयू) पर लेकर जाना है। जहां उनकी रक्तचाप, मधुमेह सहित अन्य जटिलताओं की जांच कर इलाज किया जाएगा। इसकी नियमित मॉनिटरिंग करने का जिम्मा भी आशाओं के कंधे पर डाल दिया गया है।

आशा-आशा संगिनी कर्मचारी संगठन की मंडल अध्यक्ष अंजू और संगठन की पदाधिकारी नीतू सिंह का कहना है कि फरवरी से आशा-आशा संगिनी को कोई भुगतान नहीं किया गया है। जनवरी 2021 से एफडब्ल्यूसी में मिलने वाली एक हजार रूपये प्रतिमाह की राशि अब तक लंबित है। कोरोना काल में कार्य हर बार कार्य कराया गया, लेकिन केवल तीन महीने का भुगतान किया जाएगा। इसको लेकर जिलाधिकारी और मंडलायुक्त से मिलकर भुगतान दिलाने और आशा-आशा संगिनी का शोषण बंद कराने की मांग करेंगी।

जिलाधिकारी ने दिया था नियमित भुगतान का निर्देश
विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के दो अप्रैल को उद्घाटन से पहले इसकी सफलता के लिए हुई अन्तर्विभागीय समन्वय बैठक में जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने मुख्य चिकित्साधिकारी के निर्देशन में अन्य विभागों को समन्वय करने का निर्देश दिया था। साथ ही जिलाधिकारी ने इस अभियान में भी अहम कड़ी आशाओं के प्रोत्साहन राशि का समय से भुगतान करने के लिए कहा था।

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