पीलीभीत: ग्रामीणों ने ली चैन की सांस, 23 दिन बाद खेत से जंगल में पहुंचा शावक

पीलीभीत, अमृत विचार। पूरनपुर की सामाजिक वानिकी रेंज के गांव जटपुरा में 23 दिन से जंगल से निकालकर आबादी में पहुंचा शावक ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गया। पीटीआर की कड़ी मशक्कत के बाद शावक सोमवार को जंगल में पहुंच गया। शावक के जंगल में जाने के बाद ग्रामीण और वन विभाग की टीम ने …
पीलीभीत, अमृत विचार। पूरनपुर की सामाजिक वानिकी रेंज के गांव जटपुरा में 23 दिन से जंगल से निकालकर आबादी में पहुंचा शावक ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गया। पीटीआर की कड़ी मशक्कत के बाद शावक सोमवार को जंगल में पहुंच गया। शावक के जंगल में जाने के बाद ग्रामीण और वन विभाग की टीम ने राहत की सांस ली है।
हालांकि अभी भी निगरानी के लिए टीम को लगा रखा है। जो उसकी मॉनिटरिंग कर रही है। पूरनपुर के गांव जटपुरा में हरीपुर रेंज से निकलकर एक शावक गन्ने के खेत में पहुंच गया। बीते दिनों जब एक किसान गन्ने की कटाई करने के लिए पहुंचा तो शावक को देखकर घबरा गया। मामले की सूचना वन विभाग की टीम को दी।
इधर, शावक के खेतों में पहुंचने के बाद किसान अपने खेतों में कटाई नहीं कर पा रहे थे। इस पर पीटीआर के अफसरों ने मौके पर जाकर कमान संभाली। एसडीओ माला सत्यपाल प्रसाद, एसडीओ पूरनपुर कपिल सिंह और पीटीआर के डॉ. दक्ष गंगवार ने टीम के साथ गांव में डेरा जमा लिया। किसानों की खड़े होकर फसल कटवाई।
शावक की निगरानी करने के लिए आसपास के खेतों में कैमरे और बाड़ लगा दी गई। लेकिन वह उसमें नहीं फंसा। सोमवार को सुबह अचानक ही वह गन्ने के खेत से निकालकर जंगल की ओर से भाग गया। इस दौरान कैमरे में कैद हुई तस्वीर से पीटीआर के अफसरों ने बाघ की उम्र करीब दो साल बताई है। वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो दो साल के बाद बाघिन शावक को अकेला छोड़ देती है।
इसलिए वह जंगल से भटकर आबादी में पहुंच गया। इधर, शावक के खेतों से निकलने के बाद किसानों ने राहत की सांस ली है। सोमवार को किसानों ने बेखौफ होकर अपने खेतों में खड़ी फसल की कटाई की। वन विभाग की टीम अभी भी जटपुरा गांव में अपना डेरा जमाए हुए है। शावक की लोकेशन कैद करने के लिए एक फार्म हाउस पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं, ताकि उसे ट्रेस किया जा सके।
डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि शावक जंगल में दोबारा लौट गया है। फिलहाल टीम को लगा रखा है। ताकि उसकी लोकेशन ट्रेस की जा सके। अगर, वह तीन दिन तक उसे एरिया में दिखाई नहीं देता है तो माना जाएगा कि वह जंगल में वापस लौट गया है। ग्रामीणों को भी सर्तक रहने की हिदायत दी गई है।
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