Women’s Day Special: हर दिन को समझें महिला दिवस, करें महिलाओं का सम्मान

Women’s Day Special: हर दिन को समझें महिला दिवस, करें महिलाओं का सम्मान

बरेली, अमृत विचार। दो बरस पहले जहां पूरी दुनिया कोरोना के कहर की डर से सहमी हुई थी वहीं अब महामारी के घटते मामलों के बीच लोग महिला दिवस के मौके पर अपनी रिश्तेदारों, सहेलियों और सहयोगी महिलाओं को शुभकामना संदेश भेजने के साथ ही कार्ड, चॉकलेट, फूल और अन्य उपहार देने की तैयारियां कर रहे …

बरेली, अमृत विचार। दो बरस पहले जहां पूरी दुनिया कोरोना के कहर की डर से सहमी हुई थी वहीं अब महामारी के घटते मामलों के बीच लोग महिला दिवस के मौके पर अपनी रिश्तेदारों, सहेलियों और सहयोगी महिलाओं को शुभकामना संदेश भेजने के साथ ही कार्ड, चॉकलेट, फूल और अन्य उपहार देने की तैयारियां कर रहे हैं। हालांकि इस बात से बहुत ज्यादा लोग वाकिफ नहीं हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आखिर क्यों और कब से मनाया जाता है।

दरअसल साल 1908 में एक महिला मजदूर आंदोलन की वजह से महिला दिवस मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई। इस दिन 15 हजार महिलाओं ने नौकरी के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और कुछ अन्य अधिकारों की मांग को लेकर न्यूयार्क शहर में प्रदर्शन किया था। एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया।

1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं का एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें इस दिन को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाने का सुझाव दिया गया और धीरे-धीरे यह दिन दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में लोकप्रिय होने लगा। इस दिन को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता 1975 में मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक थीम के साथ मनाने की शुरुआत की। अब हम जानेंगे की महिलाओं के मन में आखिर इस दौर में क्या है। आखिर कौनसी ऐसी परेशानिया हैं जो अकसर महिला को समाज में फेस करनी ही पढ़ती हैं।

अंकिता भाटिया कहती हैं कि जॉब से ज्यादा अपना कारोबार अच्छा है
अंकिता भाटिया बरेली के रामपुर गार्डन में रहती हैं। अंकिता शादीशुदा हैं, उनका एक बेटा भी है। अंकिता ने सबसे पहले इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी में पढ़ाना शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने कई कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाया है। लेकिन अब वे अपने पति के साथ उनका कारोबार में हांथ बटाती हैं। इनका मानना है कि महिलाएं आज के इस युग में किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है। जितनी पुरुष तरक्की कर रहे हैं उतना ही महिलाएं भी। अंकिता ने बताया कि शादी के बाद प्रथम बार जब उनकी इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी मे जॉब लगी थी तब उनके परिवार वालों ने उन्हें जॉब करने से मना कर दिया था। उनके परिवार का कहना था कि हमारा अच्छा खासा रेस्टोरेंट का कारोबार है घर में किसी चीज की कमी नहीं है तो फिर तुम्हें जॉब करने की क्या जरूरत है। लेकिन अंकिता के पति ने उनके परीवार वालों को समझाया और अपनी पत्नी को भी समझा। जिसके बाद अंकिता को जॉब करने की इजाजत मिल गई।

अंकिता भाटिया

इसके बाद से अंकिता ने अपने बड़ते कदमों को रुकने नहीं दिया। लंबे समय तक जॉब करने के बाद इन्होंने खुद से जॉब ना करने का फैसला ले लिया। अंकिता ने ये फैसला अपने पति और अपने बच्चे के कारण लिया। उनका कहना है कि जॉब पर पूरे दिन रहने की वजह से वे अपने बच्चे और अपने पति का ठीक से ख्याल नहीं रख पा रहीं थी। बच्चे को पढ़ाने और पति को खाना खिलाने की जिम्मेदारी में वो कहीं न कहीं पीछे छूट जा रहीं थी। घर पर पति को टाइम से खाना नहीं मिल पा रहा था और बच्चा पढ़ाई में पीछे रह जा रहा था। अंकिता अब अपने पति के साथ ही कारोबार में हांथ बटाती हैं। उन्होंने अपने रेस्टोरेंट की एक और ब्रांच खोल ली है जिसे वे खुद से संभालती हैं। उन्होंने बताया की जॉब छोड़ने का एक बड़ा कारण ये भी था कि वे एक प्रेशर में रहती थीं। तरह तरह की बातें सुननी पड़ती थीं। जिस से की वे तंग आ चुकी थीं। अंकिता ने कहा कि मैं सभी महिलाओं से यही निवेदन करना चाहूंगी की वे जॉब को कम और अपने कारोबार को ज्यादा महत्व दें। इससे उनका घर-परिवार भी ठीक चलेगा और कभी किसी के हुकुम की गुलामी भी नहीं करनी पढ़ेगी।

आशा शर्मा कहतीं हैं कि पुरूष दिवस भी मनाया जाना चाहिए
आशा शर्मा अलीगढ़ की रहने वाली हैं। आशा इस वक्त इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी में BJMC के छात्रों को पढ़ाती हैं। इनका मानना है कि महिला की उप्लबधिय‍ों को गिनाने के लिए किसी दिवस की जरूरत नहीं है। अगर महिला दिवस मनाया जाता है तो पुरुष दिवस भी मनाया जाना चाहिए। आशा ने बताया कि महिला दिवस पर लोग महिला और पुरुष में समानता की बात करते हैं लेकिन फिर भी सिर्फ महिला दिवस ही क्यों मनाया जाता है। अगर समानता वाकई में लोग मन से मानते हैं तो हर दिन को महिला दिवस की नजर से देखना चाहिए। हर दिन महिलाओं का सम्मान करना चाहिए नहीं तो फिर पुरुष दिवस भी मनाना चाहिए। आशा ने बताया कि एक परेशानी है जो ज्यादातर महिलाओं को फेस करनी पढ़ती है। जब भी किसी महिला को पढ़ाई करने या नौकरी करने घर से दूर जाना पड़ता है तो उसे रोक दिया जाता है।

आशा शर्मा

घर वालों को डर होता है कि बेटी अगर घर से बाहर जाएगी तो उसके साथ कहीं कुछ गलत ना हो जाए साथ ही ये भी सोचतें हैं कि कहीं घर से बाहर रहने के बाद बेटी हमारे हांथ‍ों से न निकल जाए। लेकिन जब बेटा घर से बाहर जाता है तो घर वाले बस यही सोंचते हैं की बेटा कुछ बड़ा करके ही घर वापस लौटेगा। उन्होंने कहा कि ये परेशानी ज्यादातर तब आती है जब महिला घर से बाहर अपने पैरों पर खड़ी होने के लिए कमाने निकलती है। समाज में तरह तरह की बातें उड़ाई जाती हैं कि अब लड़की घर से बाहर जा रही है। माता के हाथों से बाहर निकलेगी। कहीं किसी के साथ प्रेम प्रसंग में न पड़ जाए। लेकिन बावजूद इसके लड़की बेटों से ज्यादा नाम कमा कर घर लौटती है। उन्होंने कहा कि मेरी फैमिली ने मुझे कभी इन परेशानियों से मुहैया नहीं होने दिया। हर वक्त हर जगह उन्होंने मुझे सपोर्ट किया। आशा ने सभी महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि वे खुद को नारी कम इनसान जायदा समझें और लोग भी नारी को एक दिन पूजने से अच्छा उसे हर दिन हर जगह बराबर का सम्मान दें।

मिथलेस गुप्ता ने कहा की पढ़ना है बहुत जरूरी
मिथलेस गुप्ता बरेली के नकटिया गांव में रहती हैं। मिथलेस एक हाउस वाइफ हैं। इनका कहना है कि महिला को पढ़ना जरूर चाहिए और सभी माता पिता को अपनी बेटिंयों को पढ़ाना भी चाहिए। मिथलेस ने बताया की वे पढ़ने में बचपन से ही तेज थी स्कूल में हमेशा अब्बल आती थीं। वो 12वीं के बाद और भी आगे पढ़ना चाहती थीं लेकिन उन्हें उनके परिवार में आगे पढ़ाने से मना कर दिया था। बहुत जिद्द करने के बाद भी उन्हें पढ़ने नहीं दिया गया। इसके बाद आख‍ों में आसू भरे और मुंह पर चुप्पी साधकर मिथलेस ने अपनी पढ़ने की इच्छाओं को मन में ही दवा लिया। उन्होंने बताया कि उनके पिता का बचपन में ही स्वर्गवास हो गया था।

मिथलेस गुप्ता

जिसके बाद से घर उनकी मां ने संभाला था। बड़े भाई बाहर कमाने जाते थे और वे अपनी माता के साथ घर ही से चल रहे एक चाये समोसे की दुकान में हांथ बटाती थीं। मिथलेस का कहना है कि हर महिला को पढ़ाई लिखाई जरूर करनी चाहिए और सभी माता पिता को भी अपनी बेटियों को पढ़ाना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि अगर भविष्य में घर के हालात कमजोर हों तो महिला भी बाहर निकल कर हालातों को सुधारने में अपने पति की मदद कर सके। उन्होंने कहा कि मेरा सभी पुरुषों से भी निवेदन है कि अपनी पत्नी का सम्मान हर जगह करें। कभी भी उन्हें अपने से कम ना समझें और अगर लड़की के घर वाले उसे किसी कारण पढ़ा न पाएं हो तो शादी के बाद पति अपनी पत्नी को जरूर पढ़ाएं ताकि वो आने वाले समय में आपकी घर चलाने में मदद कर सके।

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