शिक्षकों की तदर्थ सेवा जोड़कर नहीं होगा पेंशन भुगतान, हाईकोर्ट ने लगाई रोक

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के रिटायरमेंट के बाद उनकी तदर्थ सेवाओं को जोड़कर पेंशन आदि का फिलहाल भुगतान नहीं होगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित कर प्रदेश सरकार की तरफ से दाखिल एक विशेष अपील में एकल जज के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें माध्यमिक स्कूल में कार्यरत रहे टीचर को उसकी तदर्थ नियुक्ति की सेवा को जोड़कर पेंशन आदि समस्त भुगतान करने का शिक्षा विभाग को निर्देश दिया गया था। अदालत ने याची अध्यापक के अधिवक्ता को सरकार की अपील पर जवाब लगाने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति दोनाडी रमेश की खंडपीठ ने एकल जज के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार की तरफ से दाखिल विशेष अपील पर पारित किया है। एकल जज ने नेहरू इंटर कॉलेज, रतनपुरा जिला मऊ में कार्यरत रहे टीचर श्रीप्रकाश सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक मऊ के आदेश 8 अप्रैल 2024 को रद्द कर दिया था तथा अध्यापक की कुल 29 साल 3 माह 24 दिन की सेवा को जोड़कर समस्त पेंशन आदि के भुगतान का निर्देश दिया था।
जिला विद्यालय निरीक्षक ने टीचर की तदर्थ नियुक्ति के रूप में की गई सेवा को पेंशन आदि समस्त सेवाजनित लाभों के लिए जोड़ने से इंकार कर दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कोर्ट को बताया कि याची टीचर की सेवा 4 जनवरी 2019 को 22 मार्च 2016 से नियमित की गई थी। उसने बतौर नियमित टीचर 10 वर्ष की सेवा पूरा नहीं किया था। उनका रिटायरमेंट 2024 में हो गया था।
सरकार की तरफ से बहस की गई कि पेंशन रुल्स 1964 के नियम 19 ( बी) में 12 दिसंबर 2023 को संशोधन हो गया है।
इस संशोधित व्यवस्था के अनुसार तदर्थ सेवाओं को जोड़ने का प्रावधान समाप्त हो गया है। ऐसे में याची टीचर की तदर्थ सेवाओं को जोड़कर उसे पेंशन आदि समस्त सेवाजनित लाभों का भुगतान नहीं किया जा सकता। कहा गया था कि जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है। हाईकोर्ट ने इस अपील में उठे मुद्दे को विचारणीय माना तथा एकल जज के आदेश के अमल पर रोक लगा दी है। सरकार की विशेष अपील पर कोर्ट छह सप्ताह बाद सुनवाई करेगी।
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