सपा गठबंधन के प्रत्याशी मुख्तार अंसारी की बड़ी मुश्किलें, जानें क्यों?

लखनऊ। विधानसभा चुनाव में मऊ सदर सीट पर न केवल हलचल बढ़ी है, बल्कि कुछ ऐसा हुआ है कि सपा-सुभासपा खेमे में हड़कंप मच गया है। मऊ सदर विधानसभा सीट से सपा के सहयोगी दल सुभासपा के टिकट पर जेल में बंद विधायक मुख्तार अंसारी ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, लेकिन सपा …
लखनऊ। विधानसभा चुनाव में मऊ सदर सीट पर न केवल हलचल बढ़ी है, बल्कि कुछ ऐसा हुआ है कि सपा-सुभासपा खेमे में हड़कंप मच गया है। मऊ सदर विधानसभा सीट से सपा के सहयोगी दल सुभासपा के टिकट पर जेल में बंद विधायक मुख्तार अंसारी ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, लेकिन सपा के नेता ने ही उनकी मुसीबत बढ़ा दी है। मऊ सदर विधानसभा सीट से मुख्तार अंसारी के खिलाफ 2017 में सपा प्रत्याशी रहे अल्ताफ अंसारी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।
मऊ में सातवें चरण में मतदान है। इस बीच मऊ जिले की सभी विधानसभा सीटों पर कुल 45 पर्चे खरीदे गए। जितने लोगों ने पर्चा खरीदा है, उनमें सबसे अधिक चर्चा सपा के 2017 के प्रत्याशी रहे अल्ताफ अंसारी और विधायक मुख्तार अंसारी की है। मुख्तार अंसारी ने अदालत से नामांकन प्रक्रिया के लिए स्वीकृति भी ले ली है। जिस सीट पर सपा-सुभासपा के संयुक्त उम्मीदवार मुख्तार अंसारी ताल ठोकने वाले हैं, उसी सीट पर सपा नेता अल्ताफ अंसारी ने पर्चा खरीद कर सियासी पारा बढ़ा दिया है।
अल्ताफ अंसारी के पर्चा खरीदे जाने के बाद राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। दरअसल पिछली 2017 विधानसभा चुनाव में अल्ताफ अंसारी तीसरे नंबर पर थे और मुख्तार अंसारी से करीब छह हजार वोटों से रहते हुए चुनाव हारे थे। वहीं दूसरे स्थान पर भाजपा गठबंधन के सुभासपा के प्रत्याशी महेंद्र राजभर थे। इस सीट से सपा के पूर्व प्रत्याशी अल्ताफ के नाम पर पर्चा लिए जाने के बाद पूरा समीकरण बदल गया है और इससे लगने लगा है कि मुख्तार अंसारी को लेकर सपा और सुभासपा में कुछ न कुछ जरूर खींचतान है।
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