दुनिया का सबसे अनोखा हनुमान धाम, यहां होते हैं बजरंगबली के 21 रूपों के दर्शन

भागदौड़ और व्यस्त जीवनशैली के बीच मन की शांति पाने को हर कोई आतुर रहता है। ऐसे में कोई प्रकृति के नजदीक जाकर तो कोई भगवान के मंदिर में जाकर सुकून की तलाश को पूरा करता है। उत्तराखंड में प्रकृति और आस्था का ऐसा ही संगम है हनुमान धाम। नैनीताल जिले में रामनगर से सटे …
भागदौड़ और व्यस्त जीवनशैली के बीच मन की शांति पाने को हर कोई आतुर रहता है। ऐसे में कोई प्रकृति के नजदीक जाकर तो कोई भगवान के मंदिर में जाकर सुकून की तलाश को पूरा करता है। उत्तराखंड में प्रकृति और आस्था का ऐसा ही संगम है हनुमान धाम।

नैनीताल जिले में रामनगर से सटे अंजनी गांव छोई में प्रकृति की गोद में स्थित हनुमान धाम बजरंगबली के भक्तों के लिए अटूट आस्था का केंद्र है। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी का यह मंदिर देश ही नहीं दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां एक साथ बजरंगबली के नौ रूपों के साथ ही उनकी 12 लीलाओं के दर्शन होते हैं। हनुमान धाम मंदिर का निर्माण कार्य 2011 में शुरू हुआ था। मंदिर से जुड़े सेवादार बताते हैं कि बजरंगबली हनुमान जी के जीवन के दो ही लक्ष्य थे सेवा और भक्ति। बस उनके आदर्शों पर चलते ही इस धाम का निर्माण किया है।
ये है धाम में हनुमान जी के नौ रूप
दिव्यस्वरूप, मां अंजनी के साथ बाल रूप, राम जी के चरणों में दास्य रूप, रमामणी हनुमान, संकीर्तनी हनुमान, पंच मुखी हनुमान, संजीवनी हनुमान, राम लक्ष्मण को कंधों पर लिए पराक्रमी हनुमान, राम सीता हृदय में राममयी हनुमान।

प्रतिदिन पहुंचते हैं सैकड़ों श्रद्धालु
हनुमान धाम के भव्य स्वरूप और हनुमान जी के विभिन्न रूपों को देखने के लिए रोजाना देश-विदेश से सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। रामनगर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी होने के कारण मां गर्जिया के दर्शन और कार्बेट की सैर पर आने वाले पर्यटक भी हनुमान धाम में हाजिरी लगाना नहीं भूलते। हनुमान धाम रामनगर के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। श्री हनुमान धाम की वास्तुकला आंतरिक और बाहरी दोनों रूपों में शानदार है। मंदिर का धनुषाकार प्रवेश द्वार में दो मछलियों को दर्शाया गया है जो भाग्य और समृद्धि का प्रतीक है।

कैसे पहुंचे हनुमान धाम
मंदिर के खुलने और बंद होने का समय सुबह छह बजे से शाम आठ बजे तक है। हनुमान धाम के निकटतम रामनगर रेलवे स्टेशन से करीब 11 किमी दूर है। जबकि यहां से निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर करीब 77 किमी दूर है।