सियासी पिच पर धुरंधरों के दम से तय होगा सत्ता का सफर

सियासी पिच पर धुरंधरों के दम से तय होगा सत्ता का सफर

विनोद श्रीवास्तव/अमृत विचार  चुनावी जंग में सियासी पिच पर धुरंधरों का दम ही सत्ता का सफर तय करेगा। हर दल के दिग्गजों पर विधानसभा में सरकार के बनने-बिगड़ने का दारोमदार है। चुनावी रैलियों, सभाओं में दल के धुरंधर किस नारे और शब्दों के नुकीले वाण से विरोधी खेमे को किस तरह ध्वस्त कर किलाबंदी करते …

विनोद श्रीवास्तव/अमृत विचार  चुनावी जंग में सियासी पिच पर धुरंधरों का दम ही सत्ता का सफर तय करेगा। हर दल के दिग्गजों पर विधानसभा में सरकार के बनने-बिगड़ने का दारोमदार है। चुनावी रैलियों, सभाओं में दल के धुरंधर किस नारे और शब्दों के नुकीले वाण से विरोधी खेमे को किस तरह ध्वस्त कर किलाबंदी करते हैं, इस पर जीत का समीकरण निर्भर है। दल के धुरंधर ही प्रत्याशियों की नैया के खेवनहार बने हैं।

दो दशक पहले तक चुनाव प्रचार में भले ही स्टार प्रचारकों का क्रेज रहता था। लेकिन, दलों के घोषित प्रत्याशियों के कद व आभा से जनता पर असर पड़ता था। लेकिन, दौर बदला, चुनाव का तरीका हाईटेक हुआ तो स्थानीय प्रत्याशियों के चेहरे की चमक फीकी पड़ गई। अब चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा की जंग, हर सियासी समर को जीतने का दारोमदार बड़े व दिग्गज नाम वालों के इर्द गिर्द ही घूमकर रह गया है। केवल दिग्गजों के नाम से जनता बूथ तक खिंची चली आती है।

भाजपा में चुनाव के प्रमुख चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं तो सपा में एकमात्र चेहरा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश के दम पर चुनावी रण जीतने की सारी रणनीति बनी है।

भाजपा के बड़े स्टार प्रचारकों से पार पाने के लिए और अपने दल की चुनावी जंग की धार को तेज करने के लिए सपा मुखिया ने इसीलिए सहयोगी दलों व दूसरे दल से आए बड़े चेहरों को आगे किया है। बसपा के हाथी की चाल माया की हुंकार पर निर्भर है तो कांग्रेस की नैया प्रियंका और राहुल के भरोसे है। प्रतिज्ञाओं के सहारे प्रियंका गांधी वाड्रा प्रदेश में पार्टी की सियासी मजबूती के लिए पूरा दमखम दिखा रही हैं। राष्टीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी भी पश्चिम यूपी में किसानों की नब्ज भांपकर भाजपा की नाक में दम कर अखिलेश की जुगलबंदी से सत्ता की सीढ़ियां चढ़ लखनऊ विधानसभा में दबदबा बनाने में लगे हैं।

नारे व गानों से चटख हो रहा चुनावी माहौल
विस चुनाव में रैली व जनसभाओं पर रोक से सोशल मीडिया के सहारे चुनावी जंग तेज हो रही है। नारे व गानों ने सोशल प्लेटफॉर्म्स पर धूम मचा रखी है जनता भी गाने व नारे की पैरोडी पर झूम रही है, मोबाइल पर दिन रात लोगों की अंगुलियां ऐसे नारे व गाने को देख सुन कर राजनीति के विविध रंग का आनंद ले रहे हैं।

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