कानपुर, बरेली समेत देश के 56 कैंट बोर्ड का कार्यकाल 6 महीने बढ़ा, 11 अगस्त से प्रभावी

कानपुर, बरेली समेत देश के 56 कैंट बोर्ड का कार्यकाल 6 महीने बढ़ा, 11 अगस्त से प्रभावी

अमृत विचार, कानपुर। नगर निकाय के साथ कैंट बोर्ड (छावनी परिषद) के चुनाव कराए जाने की अटकलों के बीच रक्षा मंत्रालय ने गजट नोटीफिकेशन जारी करते हुए कानपुर, बरेली समेत देश के 56 कैंट बोडों का कार्यकाल छह माह तक के लिए और बढ़ा दिया है। यह 11 अगस्त से प्रभावी होगा। बता दें, कि …

अमृत विचार, कानपुर। नगर निकाय के साथ कैंट बोर्ड (छावनी परिषद) के चुनाव कराए जाने की अटकलों के बीच रक्षा मंत्रालय ने गजट नोटीफिकेशन जारी करते हुए कानपुर, बरेली समेत देश के 56 कैंट बोडों का कार्यकाल छह माह तक के लिए और बढ़ा दिया है। यह 11 अगस्त से प्रभावी होगा।

बता दें, कि अक्टूबर 2021 को निर्वाचित कैंट बोर्डों का कार्यकाल खत्म हो गया था तब से तीन सदस्यीय नामित केयर टेकर कैंट बोर्ड सारे प्रशासनिक और आवश्यक विकास संबंधी मामले देख रहा है।

इन कैंट बोर्ड का कार्यकाल 6 महीने बढ़ा
इन कैंट बोर्ड का कार्यकाल 6 महीने बढ़ा

पहले 29 अक्टूबर 22021 फिर 10 फरवरी 2022 व अब 10 अगस्त 2022 को कार्यकाल बढ़ाया गया है। सीधे जनता से चुनाव होने तक इनका कार्यकाल 6-6 माह तक बढ़ाया जाता रहा है। अबकी तीसरी बार बढ़ाया गया है। इस कार्यकाल में भी ब्रिगेडियर, सीईओ कैंट बोर्ड और जनता की तरफ से नामित प्रतिनिधि कामकाज देखेंगे। कानपुर कैंट बोर्ड में लखन ओमर जनता के प्रतिनिधि हैं।

कैंट बोर्ड के विधिवत गठन तक ही कार्यकाल विस्तार प्रभावित रहेगा। हालांकि अबकी नगर निगमों में महापौर के सीधे जनता से चुनाव की तरह कैंटबोर्ड के उपाध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से होगा।

छावनी (संशोधन) अधिनियम 2022 को लोकसभा से मंजूरी मिलने के बाद ही यह संभव होगा। फिलहाल छावनी अधिनियम 2006 ही लागू है। हालांकि छावनी बोर्ड के सिविल एरिया यानी वार्डों का नगर निगम क्षेत्र में विलय को लेकर तेजी से मंथन चल रहा है। राज्यों से भी राय मांगी गयी है। इस पर अब तक अंतिम निर्णय नहीं हो सका।

बता दें कि भारत के संविधान की संघ सूची (अनुसूची VII) की प्रविष्टि 3 के अनुसरण में छावनियों का शहरी स्वशासन तथा उनमें स्थित आवास भारत के संघ के विषय में शामिल है। देश में 62 छावनियां हैं जो छावनी अधिनियम, 1924 (जिसका स्थान छावनी अधिनियम, 2006 ने ले लिया है) के अंतर्गत अधिसूचित हैं।

अधिसूचित छावनियों के नगर प्रशासन का समग्र कार्य छावनी बोर्डों के पास है जो कि लोकतांत्रिक निकाय हैं। छावनी का स्टेशन कमांडर बोर्ड का पदेन अध्यक्ष होता है तथा भारतीय रक्षा संपदा सेवा अथवा रक्षा संपदा संगठन का एक अधिकारी मुख्य अधिशासी अधिकारी होता है जो बोर्ड का सदस्य शासकीय प्रतिनिधित्व का सचिव भी होता है।

छावनी प्रभाग के कार्य तथा कर्तव्य

  • छावनी प्रशासन के विभिन्न पहलूओं से संबंधित नीति बनाना।
  • छावनियों से संबधित विषयों पर रक्षा मंत्रालय को परामर्श देना।
  • सभी छावनियों की वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट तैयार करना तथा संसद में प्रस्तुत करना।
  • नियमों, विनियमों तथा उपनियमों को क्रियान्वित करना।
  • छावनी बोर्डों के चुनाव करवाना तथा फेर बदल करना।
  • विभिन्न कार्यात्मक मापदंडों पर बोर्डों की मानीटरी, निरीक्षण तथा मार्गदर्शन करना।
  • छावनियों को अनुदान की आवश्यकता का मूल्यांकन करना तथा छावनी बोर्डों को साधारण व विशेष सहायता अनुदान आबंटित करना।
  • सभी छावनी बोर्डों के सेवा प्रभारों का मूल्यांकन करना तथा आबंटित करना।
  • कराधान प्रस्तावों पर कार्रवाई करना।
  • पदों, पर्यवेक्षी व गैर पर्यवेक्षी पदों तथा औद्योगिक विवाद आदि का वर्गीकरण करना।
  • छावनी बोर्ड के कर्मचारियों के कल्याण, बोनस आदि के अनुग्रहपूर्वक भुगतान से संबंधित विषय।

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